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छब्बीस जनवरी मनाबो : वंदे मातरम गाबोन

छब्बीस जनवरी मनाबो छब्बीस जनवरी मनाबो संगी, तिरंगा हम फहराबो। तीन रंग के हमर तिरंगा, एकर मान बढाबो । ए झंडा ल पाये खातिर, कतको जान गंवाइस। कतको बीर बलिदान होगे, तब आजादी आइस । हमर तिरंगा सबले प्यारा , लहर लहर लहराबो। छब्बीस जनवरी मनाबो संगी, तिरंगा हम फहराबो। चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह, जनता ल […]

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कविता : नोनी बर फुल

नोनी बर फुल …. घर के अंगना म फुले हे कनेर के फुल पिअर -पियर दिखत हे डाली म झुलत हे नोनी ह देख के दाई ल पुचकारत हे खिलखिलाके हांस के बेलबेलावत हे अंचरा ल दाई के खिंच – खिंच के फुल ल बतावत हे दाई भुइंया म बैठ के दही ले लेवना निकालत […]

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छत्तीसगढ़ी भासा

छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन । नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई । डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई । इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन। अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन । कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल […]

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सुशील यादव के रचना

सुनव हमर सरकार पानी पलोय ओतके ,जतका के दरकार पनछुटहा सब भाग के ,खबर लिही सरकार रखव जी लीप पोत के ,साथी तीर-तखार सफई के अभियान में ,माते हे सरकार हांका जम के पार दो ,सकलाय गोतियार सुध लेवय न चेत धरय,काबर जी सरकार ईद-दिवाली सब मनय,अपने – अपन तिहार महंगाई ‘बम’ झन फुटय,सुनव हमर […]

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मोर गांव मया-प्रेम के

मोर गांव हवे अबड़ बढिय़ा, बोहवत नदिया, सुहावत तरिया। मान मनऊला छोटे-बड़े के ‘भेदभाव’ करै न कोना ला जिहां दया के तरिया छलकत हे मया-प्रेम के नदिय बोहवत हे घर-आंगन सब सजे-धजे आना-जाना लोगन के ले हवे, गली खोर अऊ संगी संगवारी बइठे मंदिर के चौरा में संझौती बने सियान संग बबा बिहारी। बरजत लइकन […]

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लक्ष्‍मण कुम्हार : कोमल यादव के कविता

छत्तीसगढीहा माई के दुलार डांस इण्डिया बर रहिस तइयार ददा हे जेखर रिक्शा चरवार नाव हे लक्षमण कुम्हार। पन्नी बिनइया लइका के सोनी टी वी करिस उद्धार नाव हे लक्षमण कुम्हार।

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जै छत्‍तीसगढि़या किसान अउ खुश रहा

जै छत्‍तीसगढि़या किसान तै कभू नई करे विराम जम्मो दिन तैं करे हस काम हो गेहे अब तैं सियान जै छत्‍तीसगढि़या किसान। अपन मेहनत लगाके पनपुरवा अउ बासी खाके उपजावत हस तैं हर धान जै छत्‍तीसगढि़या किसान।

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कोमल यादव के कविता : बेटी बचावा अउ जाड के बेरा

बेटी बचावा कइथे बेटी हाथ पसार मोला देवा मया दुलार। बेटी मन ला काबर मया नई करय हमर संसार। सोचा जम्मो झन बेटी बिना बन सकही का घर परिवार। नानकुन ले लेके जवानी तक मोर ऊपर लटकत हावय तलवार। मोर पिडा अउ वेदना के का अब होही कोनो स्थाई उपचार।

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नंदावत ढ़ेंकी

भुकरुंस ले बाजय आवत-जावत घर के हमर ढेंकी फेर भाखा नंदागे एकर, अउ संग म एकर लेखी रकम-रकम के मशीन उतरत हे ए भुइयां म रोजे तइहा के जिनिस नंदावत हावय, सबके देखा-देखी – सुशील भोले मो. 098269-92811, 080853-05931

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देवारी तिहार मनाबों

चलव संगी सुग्घर देवारी तिहार मनाबों, फईले हे मन में अंधियार उहीं ल भगाबों, अऊ दिया हिरदे के देहरी मा जलाबों । तईहा के बात ल छोड़के,आजे कुछु करबों, मया पिरित के गोठ गोठियाके, संगी जहुरियां के हिरदे मा बसबों । पथरा गेहे जेकर आँखी ह, ऊहूँ ल सुग्घर फुलझड़ी धराबों, परब हाबय खुशीके अऊ […]