कविता : हुसियारी चाही रे

नाली चाही बिजली पानी चाही रे। कोनो होवय नेता मा दमदारी चाही रे।। नान-ना काम बर घूमेल झन लागय, भसटाचारी मन दुरीहा भांगय, गरीब के संगवारी चाही रे। जाम झन होवय रद्दा मोटर गड़ी मा , दिया छोड़ कुछू माढ़य झन दुवारी मा। हमला ता रोड खाली-खाली चाही रे।। नाचय झन जेन हा पईसा मा, सोसन बर लड़य चढ़ भईसा मा, नांग नथैया बनवारी चाही रे।। लिखव, पढ़व, सोचव अपन भाखा मा, कतका दिन छलही सकुनी के पासा हा, हावव हुसियार फेर हुसियारी चाही रे।। राजकमल सिंह राजपूत, दर्री (थान…

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😜चल संगी चुनाव आगे😜

चल संगी चुनाव आगे,नेता मन हा फेर बऊरागे कोनो बाँटय साल-सेटर कोनो बने हे मयारू कोनो बाँटय लुका-लूका के गली गली मा दारु स्वारथ ला साधे बर सबो बादर कस छागे!     चल संगी चुनाव……………. घर-घर मा नेता दिखय मतदाता हा नंदागे भाई,भाई संग लड़त-भिड़त हे नता हा गँवागे पइसा झोंकेव बोट ला दे बर तभे तो बिकास देखे तोर जिनगी हा पहागे!       चल संगी चुनाव…………      तरिया सुखागे बिन पानी के नदिया हा अटागे फुदकी उड़य गाँव गली म नाली हा पटागे सोंच समझ के दुहु बोट ला बने…

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मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!

मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे! ओकर कोठ ल सुन के में असकटा जथंव, तेकरे सेती फेसबुक म रही रही के हमा जथंव! उहीच उही गोठ ल घेरी बेरी गोठियाथे, अउ नै सुनव तहले अपने अपन रिसाथे ! ए जी-ए जी कहिके मोला रोज सुनाथे, कहू कही कहिथव त मइके डहर दताथे ! मज़बूरी में महू ह मुड़ी ल नवाथव , हवच हव कहिके बाई ल मनाथव ! कही कुछू लेहु कहिके रोज बजार म जाथे , अपन बर कुछु लानै नहीं उल्टा मुहिल सजाथे ! काम बुता में जाथव तबले…

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हमर देश के किसान ….

हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान। तोर बिना ये देश ह , तोर बिना ये दुनिया ह , हो जाही गा बिरान । हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान । घाम ल सहिथव , पियास ल सहिथव , अउ सहिथव जाड़ ल। कभु फसल ल ले जाथे सुख्खा ह , कभु ले जाथे बाढ़ ह। तभो नइ होवव जी निराश । हमर देश के किसान , तुमन हबो अड़बड़ महान । तोर नांगर के नास म , ये दुनिया के बिकास हे , तोर…

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जब तोर सुरता आथे

दाई ओ! जब तोर सुरता आथे, तब मोला लागथे- तैं ह मोरे तीर म हस, नई गे हावस दुरिहा। जब-जब हताशी म आंसू ढारथंव ते ह अपन अंचरा के कोर म पोंछ देथस। कहिथस- ”झिन रो बेटा, मे ह तोर करा हंव हतास झिन हो। जा, बने पुलकत-कुलकत काम कर।” तोर आशिर्वाद ल पाके, मोर मन ह जुड़ा जाथे मेह भगवान सोज इही गोहरावत रथौं- ”मोर फेर जनम होही त तोरे कोख म जनम लेवां। सिरतोन कहत हांवा दाई!”  राघवेन्द्र अग्रवाल (खैरझटा ),बलौदाबाजार

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वाह रे मनखे के मन

वाह रे मन तोर महिमा अपरम्पार। कभू बुडोथच बीच भंवर म कभू नहकाथच पार। तहीं बांध मुसकी बंधना म भवसागर म देथच डार। घर दुवार दुनिया दारी के लमा डरथच बखरी के नार। कभू गुड के गुरतुर भेला कभू नून डल्ला सक्खार। बन बैपारी करे दुकानी तैं भरे तिजोरी कांटा मार। छल कपट ल छूट म बेंचे चारी चुगरी उपराहा डार। खांटी जिनीस के पिटे ढिंढोरा चना म मिंझेरे बटूरी दार। सत ईमान के लिखना टांगे “बादल ” मारे लबारी मुसकीढार। चोवा राम वर्मा बादल नाम- चोवा राम वर्मा”बादल” पता-…

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मंतर

कंहा गै वो असीस के भाखा बाबू के ददा नोनी के दाई मोर दुलरवा मोर दुलौरीन बहिनी दीदी भईया भाई। गुडमार्निग साॅरी थैंक्यू बोल रे पप्पू  बोल अपन संस्कृति के छाती ल अंगरेजी बंऊसला म छोल। तब अऊ अब मे कतका जादा अंतर हे आई लभ यू अब सबले भारी मंतर हे। पती ह पतनी ल टूरा ह टूरी ल दाई ह बेटा ल बाप बेटी भूरी ल संझा बिहिनिया इही मंतर म एक दूसर ल भारत हें ” बादल”बईगा मरजादा ल इही मंतर म झारत हे। चोवा राम वर्मा…

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छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे 

छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे  कोनो मरत हे त कसूर हमर हे आंखी फूटिस, गरभ फूटिस  उल्टी-दस्त म परान ह छूटिस पीलिया-डायरिया म मरगे झारा-झारा बता भला का जिम्मेदारी हमर हे छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे  कोनो मरत हे त कसूर हमर हे मै थोड़ेव मांगे रहेव सीएम ले पूछ स्वास्थ बिभाग म होवय चाहे कुछ न डाक्टर, न डाक्टरी, मै सिरिफ मंतरी बता भला येमा का दोस हमर हे छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे  कोनो मरत हे त कसूर हमर हे मोला न दुख न गम हे मोला का…

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बहिरी ह इतरावत हे

जम्मोझन ऐके जगह जुरियाये, बहिरी धरे मुस्कियात फोटू खिंचावत हे, अउ बहिरी मन के बीच, मंजवा मचावत हे। कचरा के होगे हे बकवाय ऐती जाय कि ओती जाय, पुक बरोबर उड़ियावत हे। एइसन तो स्वच्छ्ता अभियान ल आगू बढ़ावत हे, वेक्यूम क्लीनर ह कुड़कुड़ावत हे बहिरी ह इतरावत हे।         वर्षा ठाकुर

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सच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे

सच बोले के काम  सिरिफ सरकारी हे  बाकी सब मुंहदेखी  बात लबारी हे … ऐसे समे म चुप रहना  सबसे बढ़े समझदारी हे –  काबर के महिमा मंड़ित  सिरिफ निंदाचारी हे  सरकार अउ बयपारी  जउन कहत हे वोला  टी.वी. रेडियो गजट बगरात हे  मनखे के सुख-दुख म भला  कोन आंसू बरसात हे  सच्छात धरम राज उतर के  कहूं जनता के दुख गोहरही  वोकर बात के कोनो असर नइ होय  वो जतके लकठाही वोतके दुरियाही  रेडियो टी.वी. गजट ल का फायदा  सरकार समरथ हे वोकर  जवाब के का फायदा  सुराज राज…

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