जब ले तैं सपना से आये मोला कुछु सुहावत नइये संगी तैं ह अतेक सुहाये पुन्नी चंदा ल देखेंव तोरे मुह अस गोल गढन हे अंधियारी म तारा देखेंव माला के मोती अस तन हे तोर सुगंध रातरानी हर भेजत रहिथे संग पवन के नींद भरे रहिथे आंखीं में दुख बिसराथंव जनम मरन के । […]
Category: कविता
कबिता : होरी के बजे नंगारा हे
होरी के फाग म चैतू शूंभयफिरतू के बजे नंगारा हे।भांग-मंद मा मंगलू नाचे-झपयमंगतिन के मया भरे बियारा हे।बुधू ह उड़ावय फुदकी-गुलालअंचरा तोपे बुधनी के गाल होगे लाल।लईका-जुवान टोली म घूमयगली-दुवारी म मस्ती छाए हे।गोंदा-दशमत-परसा के सुग्घर खिले फूलऐसो के फागुन ह, नवा बिहिनिया लाए हे। संदीप साहू ‘प्रणय’68एफ, रिसाली सेक्टरभिलाईनगर, जि. दुर्ग
माटी के कुरिया
सुख कब पाहू दु घड़ी –दू मंजिला महल भीतर म।थीरा लवं का दाई थोकुन,माटी के कुरिया अउ खदर म।। जाड़ म कपासी मरथवं,घाम म पछनाय परथवं।भिंसरहा के भटकत संझौती आवं,रतिहा चंदैनी के अंजोरी नई पावं।कोनजनी कब का हो जही –निंद गवायेवं इही डर म।थीरा लवं का दाई थोकुन,माटी के कुरिया अउ खदर म।। तेलई म […]
कबिता : हाबे संसो मोला
हाबे संसो मोला, होगे संसो मोला ये देश के। भाई-भाई भासा बर लड़थे, बिपदा गहरावथे महाकलेस के॥ मंदिर-मस्जिद के झगरा अलग, सुलगावत रहिथे आगी। मया-पिरीत ल छोंड़ भभकावत बैरी पाप के भागी। बात-बात म खून-खराबा, भाई ल भूंजत हे लेस के॥ माँहगी होगे भाजी-भांटा, तेल, सक्कर, चाउर-दार। छोटे-बड़े, मंझला झपागे, धरम-करम होगे भ्रष्टाचार। माफिया सरगना, […]
छत्तीसगढ़ के राजिम धाम
बड़ भाग मानी मानुष तन।नंदिया तरिया कहत हे बन॥जग म होगे कुंभ नाम।मोर छत्तीसगढ़ के राजिमधाम॥ऋषि, मुनि के दरसन पाए।दूर-दूर ले मनसे आए।सरग ले भगवान कुंभ मेला आगे।सब नगर म मंगल छागे॥देख के महादेव कुंभ के गुन गाईचजेन नहाइच त्रिवेणी म तेन सरग पाइच॥इंहा सब सरग लागे।जगा-जगा मंगल गीत बाजे।महानदी सोढुर, खारून नदिया नाम।मोर छग […]
कबिता : मोर अंगना मा बसंत आगे ना
आगे बसंत आगे ना, मोर अंगना मां बसंत आगे ना पियर-पियर आमा मउरे, लाली-लाली परसा फूले मन मंदिर महकन लागे ना, आगे बसंत आगे ना। मुच-मुचावय फगुनवा, मुच-मुचावय फगुनवा मन न ल महर-महर महकावय फगुनवा फगुनवा के रंग बरसाय बर बसंत आगे ना। महुवा के रस मन ला मतावन लागे ना बैरी बसंत हिरदे मां […]
कबिता : बसंत गीत
मउरे आमा गमके अमरइया झेंगुरा गावथे छंद। गुन गुनावत भंवरा रे चुहके गुरतुर मकरंद॥ प्रकृति म समागे हे, ममहई सुगंध। आगे संगी येदे आगे रे, रितु राज बसंत॥ पेड़ ले पाती हा झरगे हे। तेंदू लदा-लद फरे बोईर बिचारी निझरगे हे। परसा ललियावत खड़े॥ चना गहूं झुमय नाचय जी, मउहा माते मंगत। आगे संगी ये […]
जाड़ मा हाथ पांव चरका फाटथे
सुर सुर सुर पुरवईया चले, रूख राई हालत हे।पूस के महीना कथरी, कमरा काम नई आवते॥सुटुर-सुटुर हवा मा पुटुर-पुटुर पोटा कांपत हे।पानी ला देख के जर जुड़हा ह भागत हे॥ब्यारा मा दौंरी बेलन के आवाज ह सुनावत हे।गोरसी भूर्री के मजा मनखे जम्मो उठावत हे॥खाय-पिये के कमी नईए लोटा-लोटा चाय ढरकावत हे।हरियर साग-भाजी ल मन […]
हमर घर गाय नइए
हमर घर गाय नइए, अब्बड़ बडा बाय होगे।द्वापर मं काहयं, लेवना-लेवनाकलजुग मं कहिथें, देवना-देवनाकोठा म गाय नहीं, अलविदा, टाटा बाय होगे।हमर घर गाय नइए…गिलास, लोटा धरे-धरेमोर दिमाक आंय-बांय होगेखोजे म दूध मिले नहीं,लाल-लाल चाय होगे,दूध टूटहा लइका ल जियाय बर, बड़ा बकवाय होगे…दूध बिन कहां बनहीं,खोवा अउ रबड़ीखाय बर कहां मिलही,तसमई अउ रबड़ीपीके लस्सी, जिए […]
मध्यान्ह भोजन अउ गांव के कुकुर
इसकुल म मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम चलत हेलइका मन के संगे-संग गांव के कुकुर घलो पलत हें।मंझनिया जइसे ही गुरुजीखाना खाय के छुट्टी के घंटी बजाथेलइका मन के पहिली कुकुर आके बइठ जाथे।अब रसोइया राम भरोसेलइका म ल पहिली खाना परोसेके कुकुर ल परोसे!एक दिन पढ़ात-पढ़ात गुरुजीडेढ बजे घंटी बजाय बर भुलागे,कुकुर मन गुरार्वत कक्छा भीतरी […]