सपना सही तैं आये चल देहे मोला छोड़,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। आके तीर म पूछे तैंहा, सीट हावै खाली,कहाँ जाबे तैहा ग, मैं हा जाहूं पाली।छुटटा मागें सौ के,मया ल डारे घोर,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। रंग बिरंग के चूरी पहिरे छेव छेव म सोनहा,फूल्ली पहिरे नाक म,नग वाले तिनकोनहा।कोहनिया […]
Category: कविता
अंचरा म फूले हे गोंदा माथा म चमकथे चंदा बगरे चंदैनी हे लुगरा म तोर तहीं हर छत्तीसगढ़ महतारी अस मोर भारत मां के दुलौरिन बेटी तोर सीतल छांव तोर सरन म परे हावैं सहर नगर गांव कोनो आईन हाथ पसारे सरबस ल दे डारे बांधे सब संग तैं मया के डोर तोर नांव ल […]
आदरणीय सुकवि बुधराम यादव संपादक “गुरतुर गोठ”, वरिष्ठ साहित्कार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के प्रकाशनाधीन छत्तीसगढ़ कबिता संग्रह ” मोर गाँव कहाँ सोरियावत हंव “ ले एक-एक ठन कबिता रूपी फूल चुन के “सरलग” हम आपमन के सेवा म परसतुत करत हन. गत अंक में आपमन पढेव …. “तोला राज मकुट पहिराबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा, […]
बने रहै मोर बनी भूती ह, बनै रहै मोर गाँव,बने रहै मोर खपरा छानही,बर पीपर के छाँव। बड़े बिहनिहा बासत कुकरा, आथे मोला जगाये,करके मुखारी चटनी बासी,खाये के सुरता देवाये।चाहे टिकोरे घाम रहै या बरसत पानी असाढ़,चाहे कपावै पू ा मांघ, महिना के ठूठरत जाड.।ओढ़ ले कमरा खूमरी, तैहा बढाना हे पांव,बने रहै मोर खपरा […]
मन धरती के झुमरत हे आज रे चंदा चंदैनी के मड़वा छवाय बांधे मउर खड़े मधुमास रे मन धरती के झुमरत हे आज रे कुहकत हे कोइली हर डारा-डारा म नेवता देवत हावै पारा-पारा म नहावै धरती चंदैनी धारा म धीरे धीरे मुसकावै अकास रे मन धरती के झुमरत हे आज रे सरसों फूल लुगरा […]
सुरता के दियना, बारेच रहिबे,रस्ता जोहत तैं ढाढेंच रहिबे।रइही घपटे अंधियारी के रात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। मैं बनके हिमगिरी,तैं पर्वत रानी,मौसम मंसूरी बिताबो जिनगानी।कुलकत करबो अतंस के हम बात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। मैं करिया लोहा कसमुरचावत हावौं,तैं पारस आके तोर लंग मैं छुआजाहौं।सोनहा बनते मोर,बदल जाही जात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। आये मया […]
बैरी-बैरी मन मितान होगे रे हमर देश म बिहान होगे रे तीन रंग के धजा तिरंगा धरे हे भारत मइया केसरिया हर त्याग सिखोथे सादासत्य बोलइया हरियर खेत के निसान होगे रे। हमर देश म बिहान होगे रे बीच म चरखा गांधी बबा के गोठ ल सुरता करथे सत्य अहिंसा के रद्दा छोड़े ले गोड़ […]
छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया, मोर नीक मीठ बोली, जनम के मैं सिधवा। छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया। कोर कपट ह का चीज ये,नइ जानौ संगी, चाहे मिलै धोखाबाज, चाहे लंद फंदी। गंगा कस पबरित हे, मन ह मोर भइया, पीठ पीछू गारी देवैं,या कोनो लड़वइया। एक बचन, एक बोली बात के रखइया, छत्तीसगढ़ के रहइया, कहिथें […]
छत्तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर ला भात, अपन मन बासी खाथेंठगथैं ये बपुरा मन ला, बंचकमन अडबडपिछडे हावय हमर, इही कारन छत्तीसगढ । ढोंगी मन माला जपैं, लम्मा तिलक लगायहरिजन ला छूवै नहीं, चिंगरी मछरी खायचिंगरी मछरी खाय, दलित मन […]
छत्तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर ला भात, अपन मन बासी खाथेंठगथैं ये बपुरा मन ला, बंचकमन अडबडपिछडे हावय हमर, इही कारन छत्तीसगढ । ढोंगी मन माला जपैं, लम्मा तिलक लगायहरिजन ला छूवै नहीं, चिंगरी मछरी खायचिंगरी मछरी खाय, दलित मन […]