सम्मान करव जी नारी मन के, नारी सक्ति महान हे। दुरगा,काली,चण्डी नारी, नारी देवी समान हे।। किसम-किसम के नता जुँड़े हे, नारी मन के नाव में। देंवता धामी सब माँथ नवाँथे, नारी मन के पाँव में।। रतिहा बेरा लोरी सुनाथे, डोकरी दाई कहाथे। नव महिना ले कोख मा रखके, महातारी के फरज निभाथे।। सात फेरा के भाँवर किंजर के, सुहागिन नाव धराथे। दाई ददा के सेवा करके, बेटी ओहा कहाथे।। भाई मन के कलाई मा सुग्घर, राखी के धागा सजाथे। मया दुलार करथे अउ, बहिनी ओहा कहाथे।। सम्मान करव जी…
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जाड़ भागत हे
जाड़ ह भागत हे जी, गरमी के दिन आगे। स्वेटर साल ल रखदे, कुछु ओढे ल नइ लागे। कुलर पंखा निकाल, रांय रांय के दिन आगे। घाम ह अब्बड़ बाढ़गे, गरम गरम हावा लागे। आमा अब्बड़ फरे हे, लइका मन सब मोहागे। चोरा चोरा के खावत लइका, ओली म धर के भागे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreराजिम नगरी
पबरित हावे राजिम नगरी, पदमावती कहाये! बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे, तोरे महीमा गाये!! महानदी अउ पइरी सोंढ़हू, कल-कल धारा बोहाय! तीनो नदिया के मिलन होगे, तिरवेनी संगम कहाय!! ब्रम्हा बिष्णु अउ सिव संकर, सरग उपर ले सिस नवाये! बेलाही घाट म लोमश रिसि, सुग्घर धुनी रमाय!! राजिव लोचन तोर कोरा म बइठे, सुग्घर रूप सजाय! राजिम के दुलौरिन करमा दाई, तोर कोरा मा माँथ नवाय!! राम लखन अउ सीया जानकी, तोर दरस करे बर आय! वीर सपुत बजरंगबली, तोरे चँवर डोलाय!! तोरे चरण म कलम धरके, गोकुल महिमा बखाने!…
Read Moreबसंत रितु आगे
बसंत रितु आगे मन म पियार जगागे हलु – हलु फागुन महीना ह आगे सरसों , अरसी के फूल महमहावत हे देख तो संगवारी कैसे बर – पीपर ह फुनगियागे हलु – हलु फागुन महीना ह आगे पिंयर – पिंयर सरसों खेत म लहकत हे भदरी म परसा ह कैसे चमकत हे अमली ह गेदरागे बोइर ह पकपकागे आमा मउर ह महमहावत हे नीम ह फुनगियावत हे रितु राज बसंत आगे हलु – हलु फागुन महीना ह आगे कोयली ह कुहकत हे मीठ बोली बोलत हे सखी ! रे देख…
Read Moreराजिम मेला
राजिम मेला आगे संगी, घूमे ल सब जाबो। राजीव लोचन के दर्शन करके, जल चढ़ा के आबो। अब्बड़ भीड़ हाबे संगी, राजिम के मेला में। जगा जगा चाट पकौड़ी, लगे हे ठेला में। किसम किसम के माला मुंदरी सबोझन बिसाबोन। नान नान लइका मन बर, ओखरा लाई लाबोन। बड़े बड़े झूला लगे हे, लइका मन ह झूलत हे। ब्रेक डांस अऊ आकाश म, बइठे बइठे घूमत हे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreपावन धरती राजिम ला जोहार
पैरी सोढ़ू के धार, महानदी के फुहार पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार माघी पुन्नी के मेला भरागे किसम किसम के मनखे सकलागे दुख पीरा सबके बिसरागे अउ आगे जीवन मा उजियार पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार। तीन नदी के संगम हे जिहां बिराजे कुलेश्वर नाथ हमर राज के हे परयाग जागत राहय राजीवलोचन नाम धन धन भाग छत्तीसगढ़ के बाढ़त राहय एखर परताप पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार। पुन्नी पुनवास के मउसम आगे हमर परयाग मा मेला भरागे नवा सुरूज के दरसन पाके जाड़ शीत हा घलो…
Read Moreवंदे मातरम
देश हमर हे सबले प्यारा, एकर मान बढ़ाना हे। भेदभाव ला छोड़ो संगी, सबला आघू आना हे।। आजादी ला पाये खातिर, कतको जान गँवाये हे। देश भक्त मन आघू आइस, तब आजादी आये हे।। नइ झुकन देन हमर तिरंगा, लहर लहर लहराना हे। भारत माँ के रक्षा खातिर, सीमा मा अब जाना हे।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कबीरधाम) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com
Read Moreखिलखिलाती राग वासंती
खिलखिलाक़े लहके खिलखिलाक़े चहके खिलखिलाक़े महके खिलखिलाक़े बहके खिलखिलाती राग वासंती आगे खिलखिलाती सरसों महकती टेसू मदमस्त भँवरे सुरीली कोयली फागुन के महीना अंगना म पहुना बर पीपर म मैना बैठे हे गोरी के गाल हाथ म रंग गुलाल पनघट म पनिहारिन सज – संवर के बेलबेलावत हे पानी भरे के बहाना म सखी – संगवारी संग पिया के सुध म सोरियावत हे मने मन अपन जिनगी के पीरा ल बिसरावत हे खिलखिलाक़े राग वासंती आगे पिंजरा ले मैना आँखी ले काजर हाथ ले कंगन मुँह ले मीठ बोली गावत…
Read Moreपरीक्षा
परीक्षा के दिन आगे जी , लइका मन पढ़त हे, अव्वल नंबर आही कहिके , मेहनत अबड़ करत हे। बड़े बिहनिया सुत उठ के , पुस्तक कापी ल धरत हे, मन लगाके पढ़त लिखत। जिंनगी ल गढ़त हे।। पढ़ लिख के विद्वान बनही, रात दिन मेहनत करके। दाई ददा के सेवा करही, सपना पूरा करके।। प्रिया देवांगन ” प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़ ) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreकविता – चिड़िया रानी
चिड़िया रानी बड़ी सयानी , दिनभर पीती पानी। दाना लाती अपना खाती, बच्चों को संग खिलाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी —-।। सुबह सुबह से , चींव चींव करके। सबको सपनों से जगाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। आसमान की सैर करती, बाग बगीचों में घूमा करती। रंग बिरंगी फूल देखकर , मीठी मीठी गीत सुनाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। बच्चों को उड़ना सिखाती, घर घर के आंगन को जाती। चींव चींव कर सबको बुलाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। दाना लाती पत्ते लाती, तिनका तिनका करके। पेड़ों…
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