दू रूपिया के चॉंउर अउ घीसू-माधव: जगन

रेल गाड़ी ह टेसन म छिन भर रूकिस अउ सीटी बजात आगू दंउड़ गिस। छिने भर म टेसन ह थोड़ देर बर बदल जाथे। सइमों-सइमों करे लागथे। सोवत, नींद म बेसुध कोई प्राणी ह जइसे अकचका के, झकनका के जाग जाथे। कोनो चघत हे, कोनो उतरत हे। कोई आवत हे, कोई जावत हे। कोई कलेचुप हे, कोई गोठियावत हे। कोई हाँसत हे, कोई रोवत हे। कोई दंउड़त हे, कोई बइठत हे। चहा बेंचइया, फूटे चना-मुर्रा बेंचइया, केरा-संतरा बेचइया, सबके सब मानों नींद ले जाग जाथें। कुली, आटो वाले अउ रिक्‍शा वाले…

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बसंती

आज संझा बेरा पारा भर म सोर उड़ गे – ‘‘गनेसी के टुरी ह मास्टरिन बनगे…………..।’’ परतिंगहा मन किहिन – ‘‘काबर अइसने ठट्ठा करथो जी? ओली म पइसा धरे-धरे किंजरत हें, तिंखर लोग-लइका मन कुछू नइ बनिन; गनेसी के टुरी ह मास्टरिन बनगे? वाह भइ ! सुन लव इंखर मन के गोठ ल।’’ हितु-पिरीतू मन किहिन – ‘‘अब सुख के दिन आ गे ग गनेसी के। अड़बड़ दुख भोगत आवत हे बिचारी ह जनम भर।’’ तिसरइया ह बात ल फांकिस – ‘‘अरे, का सुख भोगही अभागिन ह? बेटी के जात,…

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बाम्हन चिरई

बिहाव ह कथे कर के देख, घर ह कथे बना के देखा। आदमी ह का देखही, काम ह देखा देथे। घर बनात-बनात मोर तीनों तिलिक (तीनों लोक) दिख गे हे। ले दे के पोताई के काम ह निबटिस हे, फ्लोरिंग, टाइल्स, खिड़की-दरवाज अउ रंग-रोगन बर हिम्मत ह जवाब दे दिस। सोंचे रेहेन, छै-सात महीना म गृह-प्रवेश हो जाही। फेर गाड़ी अटक गे। मुसीबत कतको बड़ होय, माई लोगन मन बुलके के रास्ता खोजिच् लेथें; घर वाली ह कहिथे – ‘‘करजा ले-ले के कतिक बोझा करहू , आखिर हमिच ल तो…

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आज के सतवंतिन: मोंगरा

बाम्हन चिरई ल आज न भूख लगत हे न प्यास । उकुल-बुकुल मन होवत हे। खोन्धरा ले घेरी-बेरी निकल-निकल के देखत हे। बाहिर निकले के चिटको मन नइ होवत हे। अंगना म, बारी म, कुआँ-पार म, तुलसी चंवरा तीर, दसमत, सदा सोहागी, मोंगरा, गुलाब, अउ सेवंती के फुलवारी मन तीर, चारों मुड़ा वोकर आँखी ह मोंगरा ल खोजत हे; मने मन गुनत हे, हिरदे ह रोवत हे। मोंगरा ह आज काबर नइ दिखत हे भगवान? कहाँ गे होही? घर भर म मुर्दानी काबर छाय हे? कतको सवाल वोकर मन म,…

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फूलो

फगनू घर बिहाव माड़े हे। काली बेटी के बरात आने वाला हे। जनम के बनिहार तो आय फगनू ह, बाप के तो मुँहू ल नइ देखे हे। राँड़ी-रउड़ी महतारी ह कइसनों कर के पाले-पोंसे हे। खेले-कूदे के, पढ़े-लिखे के उमर ले वो ह मालिक घर के चरवाही करत आवत हे। फूटे आँखी नइ सुहाय मालिक ह फगनू ल, जनम के अँखफुट्टा ताय हरामी ह; गाँव म काकर बहू-बेटी के इज्जत ल बचाय होही? फगनू ह सोचथे – वाह रे किस्मत! जउन आदमी ह हमर बहिनी-बेटी के, दाई-माई के इज्जत लूटथे;…

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छत्तीसगढ़ी लघुकथा संग्रह – करगा

शकुन्तला शर्मा भिलाई, छत्‍तीसगढ़ शिक्षा – एम.ए.(संस्‍कृत, हिन्‍दी), बी.एड.(सिद्धॉंतालंकार) ब्लाॅग – http://shaakuntalam.blogspot.in कृतियॉं – 1. चंदा के छॉंव म (छत्‍तीसगढ़ी कविता संग्रह), 2. ढ़ाई आखर (कविता संग्रह), 3. लय (गीत संग्रह), 4. शाकुन्‍तल (खण्‍ड काव्‍य), 5. कठोपनिषद् (गीतिमय व्‍याख्‍या), 6. संप्रेषण (गीत संग्रह), 7. इदं न मम (निबंध संग्रह), 8. रघुवंश (महाकाव्‍य), 9. कोसला (चम्‍पू), 10. कुमारसम्‍भव (छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य) अलंकरण – राजभाषा प्रशस्ति पत्र, कुवर वीरेन्‍द्र सिंह सम्‍मान, ताज मुगलिनी अलंकरण, भारती रत्‍न अलंकरण, पं.माधव राव सप्रे साहित्‍य सम्‍मान, दीपाक्षर सम्‍मान, रोटरी क्‍लब द्वारा सम्‍मानित, द्विज कुल गौरव अलंकरण, आचार्य…

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गउ हतिया

ननकी कभू सोचे नई रिहीस के ओकर ऊपर अतका बड़े जान पाप थोप दे जाही। अंधियार कोठा म बइठे रिहीस ओहा। कोठा के अंधियारा ले जादा ओला अपन अंतस म अंधियार लगत रिहीस हे। ये अंधियारा ओला लीलत रिहीस। ओकर मन म विचार उठत रिहीस – का सेवा के आइसने परिनाम निकलथे ? का ओहर ओकर हतिया कर सकत हे जेकर ले ओला अपन जान ले जादा लगाव रिहीस हे ? का ओहर अपन सबले प्रिय ल ही अपन से दूरिहा करे के पाप कर सकत हे ? अइसन प्रश्न…

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छन्नू अउ मन्नू

श्रीकांत ल नवा बइला लेना रिहिस। ओहर आमगांव के बजार गिस। उहां बइला बजार म श्रीकांत बइला मन ल देखन – परखन लगिस। ओला निमेष के दावन म बंधाये बइला जोड़ी भा गे। बइला ब्यापारी निमेष बइला जोड़ी के कीमत बीस हजार बताइस। कहिस – ये मन ल लेके तो देख। अइसन बइला जोड़ी दीया धर के खोजे म नइ मिलही। श्रीकांत, निमेष के बात मं हां ले हां मिलावत रिहिस फेर ओकर कीमत कम करवाये के फिराक म रिहिस हे। निमेष झट छन्नू नाम के बइला के पीठ ला…

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बनकैना

समारू हा कालू ल घर म बला लाइस। खुसुर – पुसुर आरो सुनके देवबती रंधनी खोली ले अंगना म अइस। ओहर देखीस – ओकर गोसइया समारु के संगे – संग एक झन आदमी कोठा डहर ल झांकत हवै। देवबती ल देख के समारु बताइस – ये कालू आवै। मरहा – खुरहा गाय – बइला मन ल लेथे। – तुम्मन कोठा म एला का देखावत हव। देवबती पूछीस। – बनकैना ल देखावत रहेंव। समारु बताइस। – काबर … ? – बतायेंव न येहर मरहा – खुरहा गाय – बइला लेथे। –…

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फुटहा छानी

गांव भर चरचा च ले लगिस. अब पंचाइती चुनाव म सरपंच महिला ल चुने जाही. कोन अपन माई लोगन ल चुनाव म उतारही, दिन – रात इही बात होय लगिस. कम पढ़े लिखे गांव म जइसे माईलोगन ल चूल्हा फुंकइया अउ कोरा म बंस बढ़हइया के संग कोरा म लइका खेलइया समझे जाथे ये गांव, उही गांव के श्रेणी म आये. गांव म बइसका होय अउ कोन चुनाव लड़ही ये गोठ आये अउ जाये पर निणर्य नई होय पाय . काबर के कोनो मरद बइठका म अपन घरवाली ल चुनाव…

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