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कहिनी : बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा

सहदेव गुरूजी के ओ दिन इसकूल में पहिली दिन रहीस। ओहा पहिली कक्षा में लइका मन के हाजिरी लेवत रहीस। ओतके बेरा इसकूल में लइका मन गोहार पारे बर धर लीन। ”बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा अपन दाई बर जठाथे पैरा” कहीके। गुरूजी कक्छा ले बाहिर निकल के देखीस तव उहां एक झन सोगसोगवान गड़हन के […]

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कहिनी : लछमी

मास्टर ह रखवार ल कथे- चल जी मंय तोला परमान भीतरी दूंहू आ कहिके रखवार अऊ रऊत संग गुरुजी ह भीतरी म जाथे, गरूआ मन ओला देख के बिदके ल लगथे एती-ओती भागे ल धरथे त रखवार ह हांसथे- ले जम्मो तो तोला देखके भीतरी म भागथे बड़ा गाय वाला बनथस। मास्टर कथे अभी देख […]

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कहिनी : ममता

ममता एक झन ल पूछिस जेहा गाड़ी म बइठे रीहिस। का होगे? कइसे लागत हे एला ओ मनखे ह थोरिक ढकेलहा कस जुबान दिस मोर गोसईन हरे। कालीचे भात रांधत-रांधत लेसागे। उही ल अस्पताल लाने हावन। म मता नांवेच ल सुनके पता चल जथे कि कतिक मया ल समोय हे अपन भीतरी। ममता अऊ मया […]

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जयंत साहू के कहिनी : मनटोरा

चइत बइसाख के महिना तो बर बिहाव के सिजन आय। जेती देखबे तेती गढ़वा बाजा ह बाजत रइथे। किथे न मांग फागुन मे मंगनी जचनीए चइत बइसाख म बर बिहाव अउ काम बुत न उरका के सगा घर लाड़ू बरा बर रतियाव। चडती मंझनीया के बेरा आमा बगइचा के तिरे तिर दु तिन ठन बइला […]

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लहुटती बसंत म खिलिस गुलमोहर : कहिनी

स्वाति ह मां ल पोटार के रोय लगिस। थोरिक बेरा म अलग होके कथे। मां मेंहा तोर दुख ल नइ देख सकंव। मेंहा तोर बेटा अंव। तोर पीरा तोर दुख अउ पहार कस बिपत ल समझथंव। बाबूजी ह अब कभू नइ लहुटय। ये जिनगी ह सिरिफ सुरता म नइ कटय ओ अम्मा। जिनगी म सबो […]

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लाली चूरी

तुलसी ह अंगना के धुर्रा ल रपोट रपोट के परदा रुंधे। पारा भर के लोग लइका सेकला के घरघुfधंया खेले। एक झन नोनी के दाइ बने एक झन बाबू के दाई। सुघ्घर पुतरी पुतरा के बिहाव ल रचै। लइकुसहा उमर के लइकुसहा नेंग जोग। उही बरतीया उही घरतीयाए उही लोकड़हीन उही बजनीया। नान नान पोरा […]

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कहिनी : करनी दिखथे मरनी के बेरा

सुकवारो अब बस्ती में किंजर-किंजर के साग-भाजी बेचय अउ कुरिया में राहय। ओला एक बात के संतोष रहीस कि ओकर दूना लइका मन ओकर आंखी के आघु में हावय। ओहा अपन लइका मन के खाय पीये ले लेके कपड़ा लत्ता तक के खरचा उठाय बर धरलीस। ओ दिन मेहा पटेवा बाजार म गिंजरत रहेंव ओतके […]

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दाई अउ बबा के वेलेन्टाइन डे – कहिनी

”सुफेद बबा हा अतेक सुंदर बंसरी बजावय कि ओकर सोर दस कोस ले बगरे रहीस। का रामायन मण्डली, का नाचा मण्डली, कीर्तन, राम सप्ताह सबे जगह ले बबा बर बुलावा हा आवय। एती दाई ला बबा के बंसरी नई सुहावय। वइसने बबा ला घलो दाई के घेरी-बेरी दखल देवई हा नई सुहावय। दाई हा तो […]

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कहिनी फूल सुन्दरी राजकुमारी

ओकर बइसाखी मन फेंका गय रहिन। पीछू-पीछू एक झन टूरी आत रहिस तेन ह ओकर तीर म आइस। ओला उठा के बइठारिस अउ बइसाखी मन ल ला के दिस। लतेल के साबूत गोड़ म लागे रहिस तेला देखके ओहा कहिस- ‘अरे तोला तो बने लाग देहे हे।’ अतका बोल के ओकर घाव ल पोंछे अउ […]

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नान्हे गम्मत : झिटकू-मिटकू

किताब, डरेस अउ मंझनिया के जेवन के संगे संग कई ठन सुविधा देवत हे। छात्रवृत्ति पइसा तको देथे। जेन ह जादा गरीब हे अपन लइका मन ल नइ पढ़ा सकंय उंकर बर जगा-जगा छात्रावास आसरम अउ डारमेटरी इसकूल चलावत हे।‘दिरिस्य पहला’(मिटकू ह छेरी-पठरू चरावत रहिथे उही डहर ले झिटकू ह इसकूल जाथे। मिटकू ह झिटकू […]