छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल: संपादक-डॉ. बलदेव

हमर तो ए मेर उद्देस्य एकेच ठन आय के छत्तीसगढ़ के सब्बोच अंचल के कवि मन ले थोरथार परिचय हो जाए। ए संकलन खातिर छत्तीसगढ़ी के चारों मुड़ा म संपर्क करे गय रहिस अठ कवि मन के कविता मन ल एक जगह रखे के प्रयत्न करे गइस | बहुत झिन कवि मन के रचना जेमन पत्रिका अउ किताब मन मा परकासित हे, अउ जेमन मिल सकीन ते मन ले कम से कम एकक ठिन प्रतिनिधि कविता के संकलन तियार करे गइस हे। बीस- पच्चीस साल ले हमर संगी जंवरिहा मन…

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छत्‍तीसगढ़ी काव्‍य के कुछ महत्‍वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव

हिन्दी के स्वाधीनता अऊ स्वावलम्बन सब्द मन के बीच म गाढ़ा सम्बन्ध हवय, ए दूनो सब्द के मूर्तिमान रूप पं. शुकलाल प्रसाद पाण्डेय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के दूसर मजबूत खंभा आये जिंकर रचना कर्म के कारन गंवारू समझे जाने वाला छत्तीसगढ़ी बोली ल भासा के रूप म विकसित होय के ठोस अधार मिलिस, दिनों-दिन वोकर सम्मान म बढ़ोत्तरी होयम जमाना लगीस। आज तो जमाना बदल गय हे, हमर ये ही सुतंत्र चेता कवि मनीसी मन के रोपे बिरवा हर महाबट याने छत्तीसगढ़ी राज भासा के सरूप धारन करके फूले .फरे…

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छत्तीसगढ़ की महिला रचनाकारों की साहित्‍य का अनुशीलन

शोधकर्ता: साहू, लीना गाइड : सिंह, तीर्थेश्वर कीवर्ड: हिंदी साहित्य, महिला लेखिका पूर्ण तिथि: 2009 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ की महिला रचनाकारों की साहित्‍य का अनुशीलन अनुकम अध्याय-1 छत्तीसगढ़ की प्रतिनिधि महिला रचनाकार एवं साहित्यिक परिदृश्य महिला रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय छत्तीसगढ़ के रचनाकारों में महिलाओं की भूमिका महिला रचनाकारों का विधागत वर्गीकरण अध्याय-2 महिला रचनाकार्रों का रचनात्मक धरातल कविता व गीत का संवेदनात्मक धरातल कहानी का यथार्थ अध्याय-3 महिला रचनाकार्से का भावात्मक पक्ष वात्सल्य, प्रेम व समर्पण परिवार व समाज स्‍त्री जीवन व त्रासदी अध्याय-4 महिला रचनाकार्ये…

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छत्तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य साहित्य को लतीफ घोंघी के अवदान का मूल्‍यांकन

Evaluation of the contribution of Latif Ghonghi to Chhattisgarhi satire literature शोधकर्ता: देवांगन, रीना गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: कला और मानविकी, साहित्य, साहित्य विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय पूर्ण तिथि: 2016 छत्तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य साहित्य को लतीफ घोंघी के अवदान का मूल्‍यांकन रूपरेखा अध्याय- प्रथम व्यंग्य का स्वरूप एवं उसकी व्याख्या 1.1 व्यंग्य का अर्थ 1.2 व्यंग्य की परिभाषा 1.3 व्यंग्य के तत्व 1.4 व्यंग्य के प्रकार अध्याय- द्वितीय हिन्दी व्यंग्य का उद्भव एवं विकास – 2.1 गद्य में व्यंग्य विधा का उद्गम 2.2 प्राचीन साहित्य में व्यंग्य 2.3 आधुनिक…

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छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गांधीवाद का प्रभाव

शोधकर्ता: खोबगड़े, रजनी गाइड : चंद्राकर, सुभाष कीवर्ड: संस्कृति पूर्ण तिथि: 2006 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गांधीवाद का प्रभाव अनुक्रमणिका अध्याय प्रथम : छत्तीसगढ़ की संस्कृति संस्कृतिक का परिचय, संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा, संस्कृति संरचना, छत्तीसगढ़ की संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में, छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य, कवि समाज की स्थापना, छत्तीसगढ़ की लोक भाषाएँ, छत्तीसगढ़ की लोक बोली, छत्तीसगढ़ शब्द कोष एवं विस्तार छत्तीसगढ़ी लोक गीत करमा गीत, सुवा गीत, ददरिया, पन्डवानी गीत,बांस गीत छत्तीसगढ़ी लोक कलाएँ आदिवासी लोककला छत्तीसगढ़ी लोक…

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छत्तीसगढ़ के व्‍यंग्‍यपरक हिंदी उपन्‍यासों की रचनधर्मिता

शोधकर्ता: सुराना, अभिनेष गाइड : शर्मा, शैल कीवर्ड: व्‍यंग्‍यपरक उपन्‍यास पूर्ण तिथि: 2005 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के व्‍यंग्‍यपरक हिंदी उपन्‍यासों की रचनधर्मिता अनुक्रमणिका अध्याय – 1 : छत्तीसगढ़ की राजनीतिक-सामाजिक स्थितियाँ और छत्तीसगढ़ का व्यंग्य-लेखन 1.0 छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि 1.1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 1.2 सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि 1.3. छत्तीसगढ़ का व्यंग्य-साहित्य एवं व्यंग्यकार 1.4. छत्तीसगढ़ में व्यंग्यानुकूल सामाजिक एवं राजनैतिक परिस्थितियाँ 1.5. छत्तीसगढ़ में गद्य-व्यंग्य लेखन एवं व्यंग्य उपन्यासकार 1.6. शोध-कार्य की प्रविधि एवं सीमाएँ 1.6.1. पूर्व शोधकार्य पर एक दृष्टिकोण 1.6.2. शोध-कार्य की…

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छत्तीसगढ़ी कहानियों मे सांस्कृतिक चेतना

शोधकर्ता: ध्रुव, यशेश्वरी गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: छत्तीसगढ़ी चेतना पूर्ण तिथि: 2014 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ी कहानियों मे सांस्कृतिक चेतना अनुक्रमणिका भूमिका -सांस्कृतिक पृष्ठभूमि व सांस्कृतिक चेतना की अभिव्यक्ति के विविध आयाम अध्याय -एक कहानी की परिभाषा, स्वरूप-प्रकार कहानी की यात्रा-कथा समय-निर्धारण, आधार एवं प्रवृत्तियाँ छत्तीसगढ़ी प्रमुख कहानीकार प्रमुख कहानियाँ छत्तीसगढ़ी प्रमुख कहानीकार एवं कहानियाँ (छायाचित्र) अध्याय -दो सांस्कृतिक चेतना की समझ व उसकी अभिव्यक्ति संस्कृति : परिभाषा, स्वरूप-प्रकार संस्कृति के तत्व संस्कृति – ग्रहण की कहानियाँ अध्याय – तीन छत्तीसगढ़ी कहानियों में संस्कृति की अभिव्यक्ति रहन-सहन,…

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छत्तीसगढ़ी उपन्‍यासों में सामाजिक चेतना

शोधकर्ता: सेमसन, अशोक कुमार गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: छत्तीसगढ़ी चेतना पूर्ण तिथि: 2012 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ी उपन्यासों में सामाजिक चेतना अनुक्रमणिका प्राक्कथन अध्याय 01 छत्तीसगढ़ राज्य : एक परिचय 1.1 प्रस्तावना 1.2 छत्तीसगढ़ राज्य का उदय 1.3. स्थिति एवं विस्तार 1.4. सामाजिक परिवेश 1.5. सांस्कृतिक विरासत 1.6. ऐतिहासिक धरोहर 1.7 छत्तीसगढ़ी लोकभाषा और लोक साहित्य 1.8 छत्तीसगढ़ी का अभ्युदय एवं भौगोलिक परिसीमा 1.9 छत्तीसगढ़ का नामकरण 1.10 छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक भूमि 1.11 छत्तीसगढ़ी साहित्य का सामान्य परिचय 1.12 छत्तीसगढ़ी लोकसाहित्य 1.13 संदर्भग्रंथ अध्याय 02 उपन्यास 2.1…

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किताब कोठी : हीरा सोनाखान के

“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे । वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत गुरु, लघु ले करे जाथे। अतिश्योक्ति अलंकार के प्रयोग सोना मा सुहागा कस काम करथे | ये किताब मा आल्हा छन्द सहित 21 किसम के छन्द पढे बर मिलही। … पढे जाने बिना चिंतन नई…

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उत्‍ती के बेरा

कविता, झन ले ये गाँव के नाव, ठलहा बर गोठ, हद करथे बिलई, बिजली, चटकारा, बस्तरिहा, अंतस के पीरा, संस्कृति, तोला छत्तीसगढी, आथे!, फेसन, कतका सुग्घर बिदा, गणेश मढाओ योजना, बेटा के बलवा, बाई के मया, रिंगी-चिंगी, अंतस के भरभरी, बिदेशी चोचला, ममादाई ह रोवय, छत्तीसगढिया हिन्दी, सवनाही मेचका, चिखला, महूँ खडे हँव, जस चिल-चिल, कुकुरवाधिकार, पइसा, तोर मन, होही भरती, छ.ग. के छाव, उत्ती के बेरा, हरेली, दूज के चंदा, अकादशी, निसैनी, प्रहलाद, राजनीति, नवा बछर, गुन के देख, चाकर, बिचार, श्रृंगार अउ पीरा, जीव के छुटौनी, पसार दिये तैं मनोज कुमार श्रीवास्त, शंकरनगर नवागढ, जिला – बेमेतरा, छ.ग., मो. 8878922092, 9406249242, 7000193831 हरेली सखी मितान अउ सहेली, मिल-जुल के बरपेली, खाबों बरा-चिला अउ, फोड्बो नरियर भेली, आज कखरो नई सुनन संगी, मनाबो तिहार हरेली

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