छत्तीसगढी सहज हास्य और प्रखर ब्यंग्य की भाषा है। काव्य मंचों पर मेरा एक एक पेटेंट डॉयलाग होता है, ‘मेरे साथ एक सुखद ट्रेजेडी ये है कि दिल की बात मैं छत्तीसगढी मे बोलता हूँ, दिमाग की बात हिन्दी में बोलता हूँ और दिल न दिमाग की यानि झूठ बोलना होता है तो अंग्रेजी में बोलता हूँ।’ हो सकता है कुछ लोगों को इसमें आत्म विज्ञापन की बू आए। मगर ऐसा नहीं है, जिसे आप मेरे श्रेष्ठता बोध की विशेषता समझ रहे हैं, दरअसल वह हर भारतीय आम आदमी की…
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मंजूरझाल : किताब कोठी
तीरथ बरथ छत्तीसगढ म, चारों धाम के महिमा अन्न-धन्न भंडार भरे, खान रतन के संग म पावन मन भावन जुग-जुग गुन गावा अंतस किथे लहुट-लहुट ईंहचे जनम धरि — गुरतुर भाखा छत्तीसगढी — दया-मया के बस्ती बसइया ल कहिथें छत्तीसगढिया । छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।। चुहुक-चुहुक कुसियार के रस म, जीभन जउन सुख । अड्डसन हे दुध भाखा मनखे के मान बढाथै ।। भूखन के हे भूख मिटइया अन्न म भरे जस हंड्रिया । छत्तीसगढी हे गुरतुर भाखा, मनभावन ये बढिया ।। कुरिया भीतर गोठियाथै जांता,…
Read Moreकिताब कोठी : अंतस म माता मिनी
अंतस म माता मिनी छत्तीसगढी राज भासा आयोग के आर्थिक सहयोग ले परकाशित प्रकाशक वैभव प्रकाशन अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती रायपुर ( छत्तीसगढ) दूरभाष : 0771-4038958, मो. 94253-58748 ISBN-81-89244-27-2 आवरण सज्जा : कन्हैया प्रथम संस्करण : 2016 मूल्य : 100.00 रुपये कॉपी राइट : लेखकाधीन अंतस म माता मिनी ( जीवनी) “दु:ख हरनी सुख बंटोइया, आरूग मया छलकैया बनी मंदरस, फरी अंतस, मरजादा धन बतइया माथ म चंदन, चंदा बरन, सेत बसन चिन्हारी नाव व धराये मिनीमाता, छत्तीसगढ के महतारी” अनिल जाँगडे ग्राम- कुकुरदी, पो-जिला बलौदा बाजार-भाटापारा (छ.ग. )पिन 493332 मो.…
Read Moreजनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लोकभाषा विशेषांक : छत्तीसगढ़ी
जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के लोकभाषा विशेषांक, भाग-1 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी प्रभाग प्रकाशित. यह अंक आप पत्रिका की वेबसाईट www.jankritipatrika.com पर भी पढ़ सकते हैं. इस अंक में अभी छत्तीसगढ़ी में रचित रचनाओं, लेख, साक्षात्कार, उपन्यास अंक प्रकाशित किया गया है. इसके अतिथि संपादक संजीव तिवारी हैं. लोकभाषा विशेषांक के प्रथम भाग में भोजपुरी, मालावी, निमाड़ी, भीली, भिलाली, बारेली भी शामिल है, जिसका प्रकाशन भी इसी माह वर्तमान अंक में सम्मिलित किया जाएगा. इस अंक की विषय सूची – संपादकीय: संजीव तिवारी, आलेख छत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद: रमेश कुमार सिंह…
Read Moreदोहा के रंग : दोहा संग्रह
छत्तीसगढ़ मा छन्द-जागरण ये जान के मन परसन होईस कि नवागढ़ (बेमेतरा) के कवि रमेश कुमार सिंह चौहान, दोहा छन्द ऊपर “दोहा के रंग” नाम के एक किताब छपवात हे। एखर पहिली रमेश चौहान जी के किताब “सुरता” जेमा छत्तीसगढ़ी कविता, गीत के अलावा कई बहुत अकन छंद के संग्रह हे, छप चुके हे. कुछ दिन पहिली ईंकर छत्तीसगढ़ी के कुण्डलिया छंद संग्रह ““आँखी रहिके अंधरा” के विमोचन घलो होय हे। हमर देश के साहित्य अमर साहित्य आय. कई बछर पहिली गढ़े रचना मन ला आज भी हमन पढ़त औ…
Read Moreछत्तीसगढ़ी कवित्त म मुनि पतंजलि के योग दर्शन औ समझाईस : डॉ.हर्षवर्धन तिवारी
डॉ.हर्षवर्धन तिवारी के अनुवाद करे छत्तीसगढ़ी कवित्त म मुनि पतंजलि के योग दर्शन औ समझाईस सेव करें और आफलाईन पढ़ें
Read Moreकोजन का होही
धर्मेन्द्र निर्मल के गज़ल संग्रह संपूर्ण काव्य सेव करें और आफलाईन पढ़ें
Read Moreभाव प्रवण सरस कृति : मनुख मोल के रखवारी
सवनाही : रामेश्वर शर्मा
संपूर्ण खण्ड काव्य सेव करें और आफलाईन पढ़ें
Read Moreछत्तीसगढ़ के माटी : लक्ष्मण मस्तुरिया
छत्तीसगढ़ के माटी सेव करें और आफलाईन पढ़ें
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