मोला मइके देखे के साध लागय : रामरतन सारथी

मोला मइके देखे के साध लागय … लुगरा ले दे, धनी मोर बर लुगरा ले दे हो । आजे काली मं आवत होही दाई ददा भेजे भइया हा । सुघ्‍घर बन के जावंव संग संग, आजे करम मोर जागे ॥ रंगे बिरंगा आंछी देख के मोटहा अउर खटउहां । गोडे मुड़ी ले रूंंघ वाला, देखें ते हा सहराये ॥ लइका लोगन बर धरबो खजानी, अइरसा अउ धरबो लाडू। पावंव पोटारंव चूमा लेके सब के, देहूँ ओला जइसे मांगे।। -रामरतन सारथी चंदैनी गोंदा के लोकप्रिय प्रसिद्ध गीत

Read More

नवगीत : गाँव हवे

तरिया-नरवा, घाट-घटौदा, सुग्घर बर के छाँव हवे हाँसत-कुलकत दिखथे मनखे अइसन सुग्घर गाँव हवे। खेत-खार हे हरियर-हरियर सुग्घर बखरी-बारी हे लइका मन हे फूल सरीखे घर-द्वार कियाँरी हे। मिहनत करे गजब किसान चिखला बुड़े पाँव हवे। हँसी-ठिठोली हम जोली संग गाये गीत ददरिया कौनो दिखथे गोरा-नारा कौनो दिखथे करिया। सुख-दुख हावै गंगा-जमुना मया-पिरित ठाँव-ठाँव हवे। जात-धरम के भेद भुला के सब संग मीत-मितानी हे सरमरस बन के जीना-मरना गाँव के सुग्घर कहानी हे। बड़े बिहनिया चिरई ह गाथे अउ कँऊवा के काँव हवे। –बलदाऊ राम साहू

Read More

नवगीत छत्तीसगढ़ी

जावन दे तैं घर छोड़ दे नोनी अब तो मोला जावन दे तैं घर। छेरी-पटरू लुलवावत होही बिन चारा-पानी के कब तक हम गोठियायवत रहिबोन कहनी अपन जवानी के । अभी उमर कचलोईहा हावय मिलबोन आगू बछर। खेत-खार बारी-बखरी के करना हे तइयारी बईठाँगूर, कमचोरहा कही के देथे दाई हर गारी। मिहनत कर के चढ़बोन नसैनी तब जाबोन उप्पर । हरहिन्छा जीनगी जीये बर जतन करे बर परही सोच बिचार के काम करे मा मन के दुविधा टरही । बिन नेत के छवावय नही छानी के खदर । 2. सावन…

Read More

सरगुजिहा गीत – गोई रे

अरे गोई झमकत पानी भरल जवानी ऊपर करिया रात गोई रे, ऊपर करिया रात।। भेदी पइरी बोले बइरी मानत नह है बात गोरी रे, मानत नइ है बात। आंखी में आंजे हों जेला कर डारिस गा घात गोई रे, कर डारिस गा घात। दे के पीरा लूटिस हीरा बइठे हों पछतात गोई रे, बइठे हों पछतात। पानी बिन मछरी अस चोला है आंखी झरियात गोई रे, है आंखी झरियात मरत पियासे हैं संगी मन हैं देखत बरसात गोई रे, है देखत बरसात। लागत है हिरदे सुरता में जइसे टूटल पात…

Read More

सरगुजिहा गीत- दिन कर फेर

देखा रे भाई कइसन दिन कर फेर। रात कभों दुख ले के आथे कभों उगत है बेर।। तीन लोक कर जे स्वामी गा राज-पाट सब छोड़िन। भाग बली गा उघरा पावें बन ले नाता जोड़िन। संग चलिन सीता माता गा है कइसन अन्धेर।। देखा रे भाई ……………….. जे सिरजिस संसार कहत हैं केंवटा पार उतारे। गंगा पर करे बर जोहें भवसागर जे तारे। जेकर बस में चांद सुरूज गा कहथें होत अबेर।। देखा रे भाई …………… काया-माया जेकर बस गो जे धरती ला धारे। सोन मिरग कर पाछू कूदिन बिन…

Read More

सरगुजिहा गीत- रूख ला लगाए डारबो

माथ जरे झिन मझिनहां कर घामा, छांहा बर रूख ला लगाए डारबो। रूखर दिखे झिन परिया-पहार हरियर बर रूख ला लगाए डारबो। फूल देथे-फर देथे अउर देथे छाया। काठ कोरो देथे बगरा देथे अपन माया।। बड़खा साधु कस हवे जी मितान, एहिच बर रूख ला लगाए डारबो। आमा कर हठुली घलो मउहा कर मदगी घलो। जमती कर ठेठी तले पाकर कर फुनगी।। नान कुन गांछी ला जोगावन सयान तेकरे से घोरना घोराए डारबो। जंगल कर रूख जमों बरखा ला बलाथे। भुइयां ला दाब राखेल बोहाए झिन बचाथे।। बगरा पतई हर…

Read More

मेदिनी प्रसाद पाण्डेय के गीत

नो हो कछेरी ए हर नो है कछैरी, हाकिम मन बैठे बैठे खेलत है गरी ए हर नो है कछैरी……… चला भाई भाग चली प्राण ला धरी विधि के विधान में सुखाये पोखरी। ए हर नो है कछैरी……. दफा सार सौ बीस बूले खोल डगरी भरत हवे पेट कोई जी इ की मरी। ए हर नो है कछैरी…….. कतकी दुःख के धन कमाके, टीकट में भरी रिसराढ़ में मुरुख बन के नालिस करी। ए हर नो है कछैरी.. दीवानी फौजदारी अर्जी दावा मुलफरकात सम्मन्स वारंट डिग्री कुर्की अवधट घाट। ए…

Read More

नरसिंह दास के सिव के बरात

आइगे बरात गांव तोरे भोला बबा जी के, देखे जाबो चला गिंया संगी ल जगावारे। डारो टोपी धोती पांव पैजामा कसिगर, गल बंधा अंग कुरता लगावरे॥ हेरा पनही दौड़त बनही कहे नरसिंह दास, एक बार हुहां करिसबें कहूँ धावारे। पहुंच गये सुक्खा भये देखि भूत-प्रेत, कहे नहीं बांचन दाई बबा प्राण ले भगाव रे॥ कोऊ भूत चढ़े गदहा म कोऊ, कूकूर म चढ़े कोऊ-कोऊ कोल्हिया म चढ़िआवत। कोऊ बिगवा म चढ़ि कोउ बघवा म चढ़ि कोउ घुघवा म चढ़ि हांक उड़ावत॥ सर्र-सर्र सांप करे गर-गर्र बाघ करे, हांव हांव कुत्ता…

Read More

गीत : धनहा डोली

चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली। सुनाहूँ तोला, तीतुर, पपीहा के बोली। मेड़ -पार म उगे हवे, रंग – रंग के काँदी। खेत म खेलत हवे, डँड़ई, कोतरी, सराँगी। नाचत हवे रुख राई संग, पँड़री-पँड़री कांसी। कते रुख तरी खाथों, बइठ मैंहा बासी? तँहूँ ला खवाहूँ, मुंग – मुंगेसा ओली-ओली। चल घुमाहूँ तोला, धनहा डोली…………….। मेचका के टर-टर हे, पुरवाही सर-सर हे। मुही के पानी झरे, झर-झर झर-झर हे। भादो बुलकगे, सजोर होगे धान। नाच देथे कई परता, खेतेच म किसान। सँसो – फिकर के, जर जथे होली । चल घुमाहूँ…

Read More

मोर संग चलव रे

ए गिरे परे हपटे मन अउ डरे थके मनखे मन, मोर संग चलव रे अमरइय्या कस जूड छांव मंय मोर संग बइठ जुडा लव पानी पी लव मंय सागर अंव दुख पीरा बिसरा लव नवा जोत लव नवा गांव बर रददा नवा गढ़व रे। मंय लहरी अंव मोर लहर मां फरव फुलव हरियावव महानदी मंय अरपा पैरी तन मन धो फरिया लव कहां जाहू बड़ दूर हे गंगा मया के पाठ पढ़व रे। (पापी इंहे तरव रे) बिपत संग जूझे बर भाई मंय बाना बांधे हंव सरग ल पिरथी मां…

Read More