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महतारी तोर अगोरा मा

परसा झुमरै कोइली गावय, पुरवईया संग,दाई के अगोरा मा। नवा बछर ह झुम के नाचय, सेउक माते ,नवरात्रि के जोरा मा।। लाली धजा संग देव मनावय, भैरो बाबा , गाँव के चौंरा-चौंरा मा।। बईगा बबा ह भूत भगावय, मार के सोंटा,डोरा मा।। सातो बहिनीया आशीस लुटावय, बइठे दाई तोर कोरा मा।। बीर बजरंगी फूलवा सजावय, […]

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अपन-अपन भेद कहौ, भैरा मन के कान मा

अपन-अपन भेद कहौ, भैरा मन के कान मा। जम्मो जिनिस रख देवौ, ओ टुटहा मकान मा। झूठ – लबारी के इहाँ नाता अउ रिस्ता हे, गुरुतुर-गुरुतुर गोठियावौ,अपन तुम जबान मा। थूँके-थूँक म चुरत हे, नेता मन के बरा हर, जनता हलाकान हो गे , ऊँकर खींचतान मा। कऊँवा, कोयली एक डार मा, बइठे गोठियावै, अब […]

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आगे आगे नवा साल

आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल। डारा पाना गीत गाये,पुरवाही मा हाल। पबरित महीना हे,एक्कम चैत अँजोरी के। दिखे चक ले भुइँया हा,रंग लगे हे होरी के। माता रानी आये हे,रिगबिग बरत हे जोती। घन्टा शंख बाजत हे,संझा बिहना होती। मुख मा जयकार हवे ,तिलक हवे भाल। आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल। […]

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बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर

सज गे तोर दरबार दाई, जल गे जोत हजार । चैत नवत्रत आगे दाई, मनावन जवरा तिहार। जय होवय डोंगड़गढ़हीन, कइथे तोला सब बमलाई। रतनपुर म बइठे हावय, दुःख हरइया महमाई। नव दीन के नवरात हे, जोत जवारा बोवाथे वो। सेउक तोर सेवा करत हे, मनवांछित फल पाथे वो। नव दीन ले तै रईथस माई, […]

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मैं जनम के बासी खावत हौं

नवजवान,तैं चल, मैं पीछु-पीछु आवत हौं, कइसे चलना हे, बतावत हौं। ताते-तात के झन करबे जिद कभू, मैं जनम के बासी खावत हौं। तोर खांध म बइठार ले मोर अनुभव ल बस , मैं अतके चाहत हौं। दूर नहीं मैं तोर से , मोर संगवारी, पुस्तक म, घटना म, समे म,सुरतावत हौं। पानी के धार […]

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सेवा गीत : कोयली बोलथे

कोइली बोलथे आमा डार, भवानी मइया तोर अँगना। उड़े झर झर चुनरी तुम्हार, भवानी मइया तोर अँगना।। कोइली…………………. मैना मँजूर चुन चुन फ़ुलवा, मोंगरा केकती ला लावय। गूँथे सुघ्घर गरवा के हार, भवानी मइया तोर अँगना। कोइली…………………. माता के चरन तीर बइठे, लँगूर चँवर ला डोलावय। धूप-दीप आरती उतार, भवानी मइया तोर अँगना। कोयली………………… नव […]

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जनतंत्र ह हो गय जइसे साझी के बइला

मोटा थे नेता, जनता खोइला के खोइला बिरथा लागथे एला सँवारे के जतन, जैसे अंधरा ल काजर अँजाई हे।। करलइ हे भैया करलइ हे। छोटे -छोटे बात के बड़े- बड़े झगड़ा हे अपन -अपन गीत अउ अपन -अपन दफड़ा हे मनखे-मनखे बीच खाई खना गे हे, भाई के दुश्मन अब होगे भाई हे।। करलइ हे […]

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राज काज म लाबोन

चलव धधकाबो भाखा के आगी ल, दउड़ समर म कूद जाबों रे गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल्, हमर राजकाज म लाबोंन रे हमर राज म दूसर के भाखा, होवत हे छतीसगढ़ी के अपमान दूसर के भाखा जबर मोटहा, दूबर पातर छतीसगढ़ी काडी समान अपन भाखा के बढाबोन मान, चलव जुरमिल सुनता बधाबोन रे गुरतुर मीठ […]

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सरग हे जेकर एड़ी के धोवन

सरग ह जेखर एड़ी के धोवन, जग-जाहरा जेखर सोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुईयां हवय मोर॥ कौसिल्या जिहां के बेटी, कौसल छत्तीसगढ़ कहाइस, सऊंहे राम आके इहां, सबरी के जूठा बोइर खाइस। मोरध्वज दानी ह अपन, बेटा के गर म आरा चलाइस, बाल्मिकी के आसरम म, लवकुस मन ह शिक्षा पाइन। चारों मुड़ा बगरे […]

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तंय उठथस सुरूज उथे

जिहां जाबे पाबे, बिपत के छांव रे। हिरदे जुड़ा ले आजा मोर गांव रे।। खेत म बसे हाबै करमा के तान। झुमरत हाबै रे ठाढ़े-ठाढ़े धान।। हिरदे ल चीरथे रे मया के बान। जिनगी के आस हे रामे भगवान।। पीपर कस सुख के परथे छांव रे। हिरदे जुड़ा ले, आजा मोर गांव रे। इहां के […]