छत्तीसगढ़ महिमा

जनम लेवइय्या ये भुंइया म,सिरतो कथंव भागमानी ए। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी ए। जनम धरिन कौसिला दाई रामलला के महतारी। बालमिक रमायन रचिस महिमा ह जेकर बड भारी। राजा दसरथ रेंगत आइस,इंहे सिंगी रिषी बरदानी हे। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी हे। बारा बच्छर बनवास कठिन राम-लखन इंहे काटे हे। जूठा बोईर सबरी के खाके नवधा भगति ल बाँटे हे। अंग-अंग राम नाम गोदवइय्या,कतको इंहा रामनामी हे। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी हे। धरती ए ,बेटा ल आरा म चिरइय्या मोरध्वज अस दानी के। बबरूवाहन अर्जुन…

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सुवा गीत : कही देबे संदेश

सुवा रे कही देबे दाई ल संदेश बेटी ल भेजही पढ़े बिदेश बिहाव के संसो ल कबे अभी तै मेट ! सुवा रे…..! बड़े भईया ल पढ़ाये छोटे भईया ल पढ़ाये पर के धन कही कहीके हम ल रंधना रंधवाये, बनके साहेबवा करत हे कोन देखरेख !सुवा रे…..! पढ़ के बेटी दू आखर हो जाही समझदार अपन महिनत ले सेवा बजाही लागा न काकरो उधार, बेटी बेटा म झन कर अब तै भेद! सुवा रे……! भुख भगाय खेती ले घर सुघराय बेटी ले बनथे बिगड़थे हमर भविश दाई ददा के…

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छत्तीसगढ़ी गोठियाय बर लजावत हे

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया चारो कोति शोर सुनावत हे फेर इंहा के मनखे छत्तीसगढ़ी,गोठियाय बर लजावत हे जब ले हमर राज बनिस,छत्तीसगढ़ के मान बाढ़िस खेत कोठार गांव गली,बनिहार किसान के सनमान बाढ़िस जेकर ले पहिचान मिलिस उही ल दुरियावत हे फेर इंहा….., सुजान सियान हमर पुरखा के,संवारिन करके राखा गा जब ले धरे चेतलग काया,पाये गुरतुर महतारी भाखा गा अड़हा राहत ले माई समझे,पढ़लिख मोसी बनावत हे फेर इंहा……, शिक्छा के अंजोर बगरगे,गांव गांव एबीसीडीईएफजी इही म पढ़ना अउ लिखना,लहुटत जीभ कइसे देख जी सुनके एला हमर ‘राजभाषा’ मनेमन म…

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फटाका नइ फुटे’ (दिल्ली के बिषय म)

नइ बाजे जी ,नी फूटे न आसो के बछर म दिल्ली शहर म ढम ढम फटाका नइ फूटे न देवारी तिहार म एनसीआर म अउ तिर तखार म फटाका नइ फूटे न नान्हे नान्हे नोनी बाबू जिद करही बिटाही सुरसुरी चकरी अउ अनार कहां ले बिसाहीं, दुसर जिनिस म भुलियारही लइका मन ल घर घर म आसो के बछर म एकर धुआं ले बाताबरण म कहिथे भारी होथे परदुषण तेकरे सेती बेचईया मन के जपत कर ले लयसन, ऊंकरो जीव होगे अभी अधर म आसो के….., देश चढ़त हे बिकास…

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पारंपरिक गीत देवारी आगे

देवारी आगे रे भइया, देवारी आगे ना।। घर घर दिया बरय मोर संगी, आंधियारी भगागे ना। देवारी आगे रे भइया —–।। कातिक अमावस के दिन भइया, देवारी ल मनाथे । सुमता के संदेश ले के, बारा महीना मा आथे।। गाँव शहर के गली खोर ह, जगमगागे न ।। देवारी आगे रे भइया —–।। घर दुवार ला लीप पोत के, आनी बानी के सजाथे गौरी गौरा के बिहाव करथें, सुवा ददरिया गाथे फुटथे फटाका दम दमादम, खुशी समागे ना।। देवारी आगे रे भइया —–।। ये धरती के कोरा मा, अन्नपूरना लहलहाथे।…

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खेत के धान ह पाक गे

दुख के बादर ह भाग गे ,खेत के धान ह पाक गे देख किस्मत ह जाग गे ,जतनाए रखवारी राख के! भागिस कुंवार कातिक आगे हमागे जड़काला हरियर लुगरा पिंवर होगे,सोनहा सोनहा माला बने फूलिस बने फरिस बोये बिजहा मांग के दुख के बादर…….., जोरा करले तै पानी पसिया के जोर ले संगी साथी करमा ददरिया झड़त झड़त ,टेंवाले हंसिया दांती बिताए दिन चौमासा लई मुर्रा ल फांक के, दुख के बादर………, चरर चरर हंसिया चले ओरी ओरी करपा भरर भईया कोकड़ा भागे मुसवा जोरफा जोरफा बिला म कंसी गोंजाये…

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देवारी के दीया

चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो । अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो। कतको भटकत अंधियार में, वोला रसता देखाबो भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो । मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों । चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो। छोड़ो रंग बिरंगी झालर, माटी के दीया जलाबो। भूख मरे मत कोनो भाई, सबला रोजगार देवाबो। लड़ई झगरा छोड़के संगी, मिलबांट के खाबो। चल संगी देवारी में,जुर मिल दीया जलाबो।। घर दुवार ल लीप पोत के, गली खोर ल बहारबो। नइ होवन…

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हमर बोली-भासा

मोला नीक लागे जी,हमर भासा-बोली । पुरखा के सिरजाये,हंसी अउ ठिठोली ।। मोला नीक लागे जी……….. गुरतुर मिठास हावै,बोली अउ जुबान मा। कतको परदेशिया, रिझगे गा ईमान मा।। बोली छत्तीसगढ़िया ,भरे मिठ झोली । मोला नीक लागे जी…………… बनत हावै भासा जी, छत्तीसगढ़ राज म। करबो बोली-बात,सरकारी काम-काज म।। हमर भासा ले भरही , सरकारी खोली । मोला नीक लागे जी……………. हमर भासा में दया-मया,परेम ह बरसथे। सिधवा होथे मनखे,इंहा परदेसी लपकथे।। घुल-मिल के सबो भाई ,रहिथे हम जोली। मोला नीक लागे जी….. बोधन राम निषाद”राज” स./लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.) [responsivevoice_button voice=”Hindi…

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तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो

असीस देबे वो असीस देबे वो तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो तहीं भवानी, तहीँ सारदा, तहीं हवस जगदम्बा तोर परतापे टोरिन बेन्दरा भालू मन गढ़लंका माँ असीस देबे वो कलकत्ता म काली कहाए, मुम्बर्ड म मुम्बर्ड बस्तर म दन्तेस्‍वरी तय, बमलाई माँ असीस देबे वो आगी पावय ताप तोर ले, पानी ह रस पावय सुरूज चंदरमा तोर भरोसा अग-जग ल परकासँय माँ असीस दैबै वो बरम्हा सिरजय, बिसनू पालय, महादेव सँहारय तौरै किरपा पा के दाई एमन देव कहाथंय माँ असीस देबै वो कलस-जौत जब बरय झमाझम…

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देवी सेवा गीत

झूला झुले निमुवा के डार, भवानी मइया मोर अँगना। छागे ख़ुशी के इंहा बहार, खनकन लगे मोर कंगना।। गोबर मगायेंव खुंट अँगना लिपायेंव। रिगबिग चुकचुक ले चउंके पुरायेंव।। चन्दन पिढ़ा फुलवा के हार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले निमुवा के डार,…………. रेशम चुनरी अउ कलशा सजायेंव। पांव में आलता बिंदियाँ लगायेंव।। नौ दिन राती करौं सिंगार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले निमुवा के डार,………… हँस हँस के सबो झुलना झुलायेंन। माँग में सिन्दुर के आशीष पायेन।। बिनती निषाद के मया दे अपार, भवानी मइया मोर अँगना। झूला झुले…

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