महू तोर संगी : बालमुकुंद शर्मा ‘गूंज’ के गीत

बाबू के ददा काबर अंटियावथस बाबू के ददा तैं कार अंटियावथस तोरेच बनाय नइ बने हे कुरिया …… तयं कार अंटियाथस महू पलोय हौं पानी अउ माटी महू ह जांगर ल टोरेवं साथी ….. तयं कार अंटियाथस बाबू के दादा काबर…. कुकरा के बोली मं जठना घरियायेवं ठुठरत पहरिया मं तरिया नहायेवं गुंगुवावत आगी मं जेवना चढायेवं पताल कुंआ ले हीचेवं पानी रे साथी टठिया मं जेवना, संग धरेवं रे साथी ….. तयं कार अंटियाथस खन्ती ल कोड़ेस, त मेढ़वा चढा़येवं नागर चलायेस त नींदे में आयेवं गुरुआ बर कांदी,…

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कोनो ल झन मिलै गरीबी, लइका कोरी कोरी : रघुबीर अग्रवाल ‘पथिक’ के गीत

निचट शराबी अऊ जुवांड़ी, बाप रहै झन भाई। रहै कभू झन कलकलहिन, चंडालिन ककरो दाई॥ मुड्ड़ी फूटगे वो कुटुम्ब के, उल्टा होगे खरिया। बेटा जेकर चोर लफंगा, भाई हर झंझटिया॥ छानी के खपरा नई बाचै, वोकर घर के ठउका। निपट अलाल, शराबी होगे, जेकर घर के डउका॥ ओकर घर मं दया मया अऊ, सुमत कहां ले आवै। जेकर बहू बिहिनिया संझा, झगरा रोज मचावै॥ अइसन मिलय दमाद न जे, हाथी के माई भइंसा। परम लोभिया, अपरिध्दा, मांगय बिहाव बर पइसा॥ मिले न मक्खीचूस ससुर, जे धन पाके इतरावै। सास मिलय…

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भुलवारे बर तब अंजोर के गजब गीत गाथे : डॉ. परदेशीराम वर्मा के गीत

कलेचुप बइगा हा जब अंधियारी घपटाथे, भुलवारे बर तब अंजोर के गजब गीत गाथे। बडे गौटिया कहिथंन जेला पांव परइया मन, उही गुनी मनखे के दिखथे बइहा कस लच्छन मनखे मनखे ले जादा वोला बिखहर हा भाथे। भुइयां, भाखा, दाई के जस गाथे नवां नवां, भीतर-भीतर गजब खोड़ पिरीत उपर छांवा। बड़ा गियानी हे मुस्किल म अच्छर उमचाथे। पनही चमकाके ररुहा, बड़का मालिक बनगे, परछी के परदेशी भईया के बिल्डिंग तनगे जुग के जमुना म बइठे हे कोन किसन नाथे। लिख लिख मरिन सियान हमर तेमन ला बिजराथे, जकला भकला…

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गुन ला गा लो : महावीर अग्रवाल के गीत

जोन माटी मां जनम धरे हो, वोकर गुन ला गा लो वोकर गुन ला गा लो रे भैय्या, वोकर गुन ला गा लो। इहंचे खेलेन गिल्ली डंडा, अऊ डंडा पचरंगा इही हमर बर तीरथ धाम हे इही हवे जी गंगा पांव परो महतारी के अऊं माथे तिलक लगा लो माथे तिलक लगाओ भैय्या, माथे तिलक लगा लो। धान के हावै जबरा कोठी, दुनिया के पोसइय्या रद्दा रेंगइय्या पाथे भैय्या, बर पीपर कस छंइय्या इही धान के फुलवारी मां, अऊ सोना उपजा लो अऊ सोना उपजालो रे भैय्या अऊ सोना उपजा…

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उनमन नहावत तो होहीं रे : डॉ. विमल कुमार पाठक के गीत

करा असन ठरत हावय पानी रे नदिया के उनमन नहांवत तो होहीं रे। उंखरे तो गांवे ले आये हे नदिया ह होही नहांवत मोर जोही रे। महर-महर महकत मम्हावत हे पानी ह। लागत हे घुरगे हे सइघो जवानी ह। चट कत कस, गुर-गुर ले छू वत हे अंग-अंग ल, चूंदी फरियावत तो होही रे। तउरत नहांवत तो होही रे। अब तो गुर-गुर एक ढंगे के लागत हे। अट गे पानी हा, सुरता देवावत हे। ओठ उंकर चूमे कस मिट्ठ -मिट्ठ लागत हे। पीयत अउ फुरकत तो होही रे। घुटकत अउ…

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मेला जाबोन : महेन्द्र देवांगन “माटी” के गीत

चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला हाबे अब्बड़ भीड़ भाड़, नइ जावन अकेल्ला। हर हर गंगे असनान करके, पानी हम चढाबो दरसन करबो महादेव के, वोला हम मनाबो। भीड़ लगे हे मंदिर में, होवत पेलम पेला चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला । संग में जाबोन संग में आबोन,अब्बड़ मजा आही आये हाबे बहिरुपिया मन,खेल तमासा देखाही । घूमत हाबे पाकिटमार मन,जेब ल अपन बचाबे ठग जग करइया कतको हाबे, देख के जिनिस बिसाबे जगा जगा लगे हाबे, माला मूंदरी के ठेला चल संगी घुमेल जाबोन,…

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तैंहर छोटे झन जानबे भइया एक ला : केयूर भूषण के गीत

तैंहर छोटे झन जानबे भइया एक ला। एकक जब जुरियाथें लग जाथे मेला॥ एक्के भगवान ह जग ला सिरजाये हे एक ठन सुराज ह, अँजोर बन के छाये हे सौ बक्का ले बढ़ के होथे एक लिख्खा गठिया के धरे रिबो मोरो ये गोठ ला। भिन्ना फूटी ले होथे एक मती कोटिक लबरा ले बढ़ के होथे एक जती सब दिन के पानी तब एक दिन के घाम बाटुर उलकुहा ले बढके एक दिन के काम खाँडी भर बदरा अऊ एक पोठ धान। रस्ता बना लेथे अकेल्ला सुजान सौ सोनार…

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छत्तिसगढ़ महतारी के बन्दना : दानेश्वर शर्मा के गीत

छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयॉं अब्बड़ घन हे तोर अँचरा के छइहाँ सुर्रा सॉही महानदी पैरी जस इन्द्रावती अउ शिवनाथ हे मुरुवा के हर्रइयॉ छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयाँ सिरि भगवान दमउ दहरा म रिसभ देव अवतार लिहिस रिसि वशिष्ठ भार्गव अगस्त्य के तपोभूमि सरगुजा रिहिस दसरथ घर पुत्रेष्टि करइया श्रृंगी रखिस सिहावा परवत म आसन्दी दुन कैलाश अमरकंटक जिहाँ के गोबिन्द गुरुसाधक आदि शंकराचार ल ग्यान देवइया छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयाँ सिरपुर साखी हमर साख के, राजिम के राजिव लोचन चम्पारन के बल्‍लभचारी, बगराइस वैष्णव दरसन डोंगरगढ के…

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खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ : पवन दीवान के गीत

लइका मन धुर्रा मं सने सने घर आगे, चिरई चुरगुन अमली के डारा मं सकलागे तरिया के पार जइसे झमके रे झांझ। खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। थके हारे मेड पार कांसी उंघाये रे चौरा मं राऊत टूरा बंसरी बजाये रे संगी रे पैरा ल कोठ मं गाँज खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। दिन भर के भूख प्यास खाले पेट भरहा सोझियाले हाथ गोड लागे अलकरहा नोनी बटकुलिया ल झट कुन मांज खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। पवन दीवान

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कैसे करन तोर बापू बडा़ई : दाऊ निरंजनलाल गुप्ता के गीत

ज्ञान गजब भरे हे तोर मन में बिजली असन तेजी हे तोर मन में अव्वल किसनहा, असन रुप बनाये लंदन में, राजा से, हाथ मिलाये धन तोर गाँधी बबा चतुराई कैसे करन तोर बापू बडा़ई गजबे करे हावस हमर भलाई। तकली अऊ चरखा सबो ला धराये कपडा विदेशी के रोग हटाये नीचा-ला-ऊँचा तै आसन देवाये हमला तैं मनखे बने ला सिखाये तैं हर-हटाये हमर मन के काई ई कैसे करन तोर बापू बड़ाई गजबे करे हावस हमर भलाई। देश पराधीन तोला नै भावे चित्त-हा-तोर चैन-नहीं पावे देश स्वतंत्र बनाये के…

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