तैं कहाँ चले संगवारी

तैं कहाँ चले संगवारी मोर कुरिया के उजियारी तैं कहाँ चले संगवारी॥ चाँद सुरज ला सखी धर के, भाँवर सात परायेन अगिन देवता के साम्हू मां, बाचा सात बंधायेन मोर जिनगी के फुलवारी तैं कहाँ चले संगवारी। एक डार के फूल बरोबर सुखदुख संगे भोगेन कोनो के अनहित ला रानी कभू नहीं हम सोचेन मोर कदम फूल के डारी, तैं कहाँ चले संगवारी। हाय हाय मोर किसमत फूटिस, फूटिस दूध के थारी बाग-बगीचा सबो सुखागै, उजर गइस फुलवारी मोरे जनम जनम के प्यारी कहाँ संगवारी। चंदा-सूरुज सब्बे सुतगे, बूतिस दिया…

Read More

दूसर हो जाथे

जे हर पर के प्रान बचाथे तेकर से इस्वर सुख पाथे बुधमता मन सिरतो कहिथे वनिजेच मां लछमी बसथे मनखे-मनखे होथे अंतर कोनो कीरा कोनो कंकर दुनों दिन ले बिनसिन पांड हलुवा मिलिस मिलिस नई माड़ दू कौरा जब जाथे भीतर तभे सूझते देंवा-पीपर मनखे ला जब बिपदा आथे तब अपनो दूसर हो जाथे – सुकलाल प्रसाद पाण्डेय

Read More

बसंत बहार : कोदूराम “दलित”

हेमंत गइस जाड़ा भागिस ,आइस सुख के दाता बसंत जइसे सब-ला सुख देये बर आ जाथे कोन्हो साधु-संत. बड़ गुनकारी अब पवन चले,चिटको न जियानय जाड़ घाम ये ऋतु-माँ सुख पाथयं अघात, मनखे अउ पशु-पंछी तमाम. जम्मो नदिया-नरवा मन के,पानी होगे निच्चट फरियर अउ होगे सब रुख-राई के , डारा -पाना हरियर-हरियर. चंदा मामा बाँटयं चाँदी अउ सुरुज नरायन देय सोन इनकर साहीं पर-उपकारी,तुम ही बताव अउ हवय कोन ? बन,बाग,बगइचा लहलहायं ,झूमय अमराई-फुलवारी भांटा ,भाजी ,मुरई ,मिरचा-मा , भरे हवय मरार-बारी. बड़ सुग्घर फूले लगिन फूल,महकत हें-मन-ला मोहत हें…

Read More

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा….. मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म जगर बगर जोत जलत हे दाई के भुवन म बैगा झुमत हे मांदर के सुर म नाहे नाहे लईका मन अउ सियान मन हावे अंगना म मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म डोकरी दाई घर राखत हावे घर होगे हे सूना दाई के अंगना म कैसे झुमत हे अपन रंग म घर के दाई ल भुलागिन अउ बिनती कहत हे कुशलाई दाई ल सुनले मोरो मन के बात ये बछर मोर करदे…

Read More

सार – छंद : चलो जेल संगवारी

अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी. जिहाँ लिहिस अउंतार कृष्ण हर, भगत मनन ला तारिस दुष्ट मनन-ला मारिस अऊ भुइयाँ के भार उतारिस उही किसम जुरमिल के हम गोरा मन-ला खेदारीं अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. कृष्ण-भवन-मां हमू मनन, गाँधीजी सांही रहिबो कुटबो उहाँ केकची तेल पेरबो, सब दु:ख सहिबो चाहे निष्ठुर मारय-पीटय, चाहे देवय गारी. अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. बड़ सिधवा बेपारी बन के, हमर देश मां आइस हमर – तुम्हर…

Read More

छत्तीसगढ़ी कहानी गीत विकलांग विमर्श म

शोभन – सिंहिका छंद – सरगुजा मा हे बिसाहिन सरगुजा – मा हे बिसाहिन, देख हे बिन – हाथ फेर दायी संग गजहिन, भाग – बाचय – माथ । रोज मजदूरी – बजावय, मोगरा – सुख धाम देख नोनी ला सिखोवय, पंथ के सत – नाम । देवदासा – गुरु – सिखोवय, पंथ के अन्दाज रोज – दायी हर पठोवय, सफल होवय – काज । गोड मा सब काम करथे, हे – बहुत हुसियार हासथे – गाथे मटकथे, मीठ – सुर – कुसियार ।

Read More

खोखो मोखो डलिया, पाके बुंदेलिया : छत्‍तीसगढ़ी बाल गीत

दूध-मोंगरा, गंडई के नोनी मन के आवाज म सुनव डॉ.पीसीलाल यादव द्वारा संपादित बाल गीत- मोबाईल रिकार्डिंग : अरूण कुमार निगम

Read More

छत्‍तीसगढ़ी कवित्‍त म मुनि पतंजलि के योग दर्शन औ समझाईस : डॉ.हर्षवर्धन तिवारी

डॉ.हर्षवर्धन तिवारी के अनुवाद करे छत्‍तीसगढ़ी कवित्‍त म मुनि पतंजलि के योग दर्शन औ समझाईस सेव करें और आफलाईन पढ़ें

Read More