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चंदैनी गोंदा म संत कवि पवन दीवान के लोकप्रिय गीत

तोर धरती तोर माटी रे भैय्या तोर धरती तोर माटी लड़ई झगड़ा के काहे काम जे ठन बेटा ते ठन नाम हिंदू भाई ल करौ जैराम मुस्लिम भाई ल करौ सलाम धरती बर वो सबे बरोबर का हाथी का चांटी रे भैय्या झम-झम बरसे सावन के बादर घम-घम चले बियासी के नागर बेरा टिहिरीयावत हे […]

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पितर पाख म साहित्यिक पुरखा के सुरता – विद्या भूषण मिश्र

बगुला के पांख कस पुन्नी के रात, गोरस मं भुइंया हर हावय नहात ल बुढवा के चुंदी कस कांसी के फूल, आंखी दुधरू दुधरु खोखमा के फूल। लेवना कस सुग्घर अंजोरी सुहाय, नदिया के उज्जर देंहे गुरगुराय। गोकुल के गोरी गोपी अइसन् रात, तारा के सुग्घर फूले हे फिलवारी। रतिहा के हाँथ मं चांदी के […]

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पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : नरसिंह दास

हाट्स एप ग्रुप साहित्‍यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म हमर पुरखा साहित्‍यकार मन के रचना प्रस्‍तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्‍तुत करत हन – सवैया साँप के कुंडल कंकण साँप के, साँप जनेऊ रहे लिपटाई। साँप के […]

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साहित्यिक पुरखा के सुरता : कुञ्ज बिहारी चौबे

चल ओ उठ ओ चरिहा धरके, हम गोबर बीने ला जातेन ओ। बिन लेतेन गोबर पातेन तौ, अउ साँझ के घर चलि आतेन ओ।। तैं हर बोलत काबर नहिं ओ बहिनी, तैं हर काबर आज रिसाये हवस। चुटकी -मुँदरी सब फेंक दिहे, अंगना म परे खिसियाये हवस ।। xxx xxx xxx चल मोरे भैया बियासी […]

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पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय

हाट्स एप ग्रुप साहित्‍यकार में श्रीमती सरला शर्मा अउ अरूण निगम ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म हमर पुरखा साहित्‍यकार पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय के रचना प्रस्‍तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्‍तुत करत हन – छायावाद के जन्मदाता मुकुट धर पाण्डे ल आखर के अरघ, कालिदास […]

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पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : शुकलाल प्रसाद पांडेय

हाट्स एप ग्रुप साहित्‍यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म हमर पुरखा साहित्‍यकार मन के रचना प्रस्‍तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्‍तुत करत हन – छत्तीसगढ़ी सूक्तियाँ जेहर पर के प्रान बचाथे। तेकर ले इसवर सुख पाथे।। बुद्धमंता […]

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साहित्यिक पुरखा के सुरता : प्यारेलाल गुप्त

झिलमिल दिया बुता देहा गोई, पुछहीं इन हाल मोर तौ, धीरे ले मुस्क देहा। औ आँखिन आँखिन म उनला, तूं मरना मोर बता देहा।। अतको म गोई नइ समझें, अउ खोद खोद के बात पुछैं। तो अँखियन म मोती भरके, तूं उनकर भेंट चढ़ा देहा।। अतको म गोई नइ समझें, अउ पिरीत के रीत ल […]

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साहित्यिक पुरखा मन के सुरता : नारायणलाल परमार

अँखियन मोती मन के धन ला छीन पराइस टूटिस पलक के सीप उझरगे पसरा ओकर बाँचे हे दू चार कि अँखियन मोती ले लो । आस बुतागे आज दिया सपना दिखत हे सुन्ना परगे राज जीव अंगरा सेंकत हे सुख के ननपन में समान दुख पागे हावै काजर कंगलू हर करियाइस जम चौदस के रात। […]

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साहित्यिक पुरखा मन के सुरता : द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र

तिरिया- (कुण्डलिया छन्द) तिरिया ऐसी ब्याहिये, लड़ै रोज दस बेर घुड़की भूल कभी दिए, देखै आँख लड़ेर देखै आँख लड़ेर, नागिन सी फुन्नावै कलह रात दिन करै, बात बोलत भन्नावै जीना करै हराम, विप्र बाबा की किरिया मरने का क्या काम, ब्याह लो ऐसी तिरिया । गैया – गैया ऐसी पालिये कि खासी हरही होय […]

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गीत गोठ बात

मोर गांव के फूल घलो गोठियाये : श्रीमती आशा ध्रुव

मोर गांव के फूल घलो गोठियाये। बड बिहनियां सूरूज नरायन मया के अंजोर बगराये। झुमे नाचे तरियां नदिया फूले कमल मुसकाये। नांगर बईला धर तुतारी मोर किसनहा जाये। मोर गांव के फूल घलो गोठियाये…… मोगरा फूले लाई बरोबर मोती कस हे चक ले सुघ्घर कुआं पार बारी महमहाये तनमन ला ये ह सितलाये। उंच नीच […]