परगे किनारी मा चिन्हारी, ये लुगरा तोर मन के नोहे लागे हाबे नैना मा कटारी, ये कजरा तोर मन के नोहे लडठका ह लउकत हे दांतन मा तोर मीठ बोलना बजा देते मादर ला तोर लइसे लागे तोर खोपा मा गोई गुंझियागे हे करिया बादर ह वो इंद्रराजा आगे धनुषधारी, ये फुंदरा तोर मन के […]
Category: गीत
(1) पिया बिन मोहे नीक न लागै गाँव। चलत चलत मोर चरन दुखित भे, आँखिन पर गै धूर। आगे चलौ पंथ नहिं सूझै, पाछे परै न पॉव। ससुरे जावँ पिया नहिं चीन्है, नैहर जात लजावै। इहाँ मोर गाँव, उहाँ मोर पाही, बीच अमरपुर धाम ॥ धरमदास बिनवे कर जोरी, तहाँ गाँव ना ठाँव ॥ (2) […]
उठौ उठौ छत्तीसगढ़ लाल अपन जगा के देखो हाल मोरध्वज कंस राजा महा रहिस सत्तपन धारी जहां नृप कल्याण साय के सुन्दर रहिस गोपल्ला वीर धुरन्धर जे दिल्ली में नाम कमाइस छत्तीसगढ़ बलवीर देखाइस कवि गोपाल चंद्र प्रहलाद रहिन जहां कविता अल्हाद ते छत्तीसगढ़ ला सब लोग हांसत है तब ताली ठोंक आगू जूता पाछू […]
गिरिवर दास वैष्णव के गीत
सत्तावन के सत्यानाश किस्सा आप लोगन ला, एक सुनावत हौ भाई। अट्टारह सौ सन््तावन के, साल हमर बड़ दुखदाई। बादसाह बिन राज हमर, भारत मां वो दिन होवत रहिस। अपन नीचता से पठान मन, अपन राज ला खोवत रहिस। इन ला सबो किसिम से, नालायक अंगरेज समझ लेईन। तब विलायती चीज लान, सुन्दर-सुन्दर इन ला […]
जै जै कौशल्या के देश धोती, पगड़ी, छाता-छितोरी, जेकर भूषा-वेश ॥ जै जै….. ॥ अर्र तता तत गीता गाइन, हलधर जी के मंत्रा पाइन। नहि अपन खाके पर ला पोसे, नहि जाये बिदेश॥ जै जै….॥ छल कपट कछु नहि जाने, ब्राह्मणविष्णु खूबिच माने। पर हित खातिर माटी होके, पकाये अपन केंस ॥ जै जै….॥ छत्तीसगढ़ […]
गीत: सरद के रात
तैं अँजोर करे चंदा, हीरा मोती के चंदैनी बरे धरती धोवागे निरमल अगास खोखमा फूल के होवथे विकास लानिस संदेस ला डहरचला आवशथे जीव के जुड़ावन सगा लुंहगी मारथे सपरिहा, उमड़त हे मन हा उचैनी चढ़े…… खेत के तीर तीर खंजन चराय कुलकत हे धनमत हांसय लजाय आसा विचारी के मन होगे रीता सरग ले […]
मोरो कोरा ल भर दे: मन्नीलाल कटकवार
हे राम! गजब मैं पापी, फोकट जनमेंव दुनियाँ म। कतका दिन होगे आए, नइए लइका कोरा म॥ जौन मोर ले पीछू आइन, उन हो गय हें लइकोरी। कोरा म पाके लइका, कुलकत हे जाँवर-जोड़ी ॥ सब धन-दौलत हे घर म, कोठी म धान हे जुन्ना। मोर दुखिया मन नइ मानै, एक ठन बिन घर हे […]
अन्न कुंवारी के जवानी: मन्नीलाल कटकवार
अन्न कुंवारी के जवानी सब ल आशीष देत रे। मोटियारी कस मुसकावत हे, आज धान के खेत रे। असाढ़ महिना चरण पखारै, सावन तोर गुन गाव । भादों महिना लगर-लगर के, तोला खूब नहवावै। कुवांर महिना कोर गांथ के, तोला खूब समरावे। कातिक अंक अंग म तोर, सोनहा गहना पहिरावै । तोर जवानी देख सरग […]
परेवा गीत: बाबूलाल सिरीया दुर्लभ
उड़िया जा परेवा तंय, ले के संदेस, मोर पिया के देस पामगढ़ जाबे फेर सवरीनारायन, अंगना म लागे हवय आमा के पेड़। गर्रा-धूंका अस तंय जाबे, अऊ ओसने आ जाबे, रूख-राई के छंइहा म झन कोनो मेर सुरताबे। झनिच बिलमबे कोनो मेर न, झन करवे कहूँ अबेर। उड़िया जा परेवा तयं॥ चील- कँउवा-बाज हें अब्बड़ […]
मारबो फेर रोवन नह दन: समरथ गँवइहा
मारबो फेर रोवन नइ दन तुमन सुख पाबो कहथव कमजोरहा बुद्धि एको रच नइये परे हव भोरहा तिजोरी के कुंजी तूं हमला देहे हव तुंहर सुख ल होवन नइ दन मारबो फेर……… बिन पुछे तुंहला सुनावत हन हाल रेडियो इसटेसन ला करब थोरक खियाल का खरचा करे कतेक खरचा करे हिसाब म हम गलती होवन […]