नदिया के धार बहिस छुनुन—छुनुन छन कहिस. चउमासी कचरा मन धारोधार बोहागे, मटियाहा पानी मन सुग्घर अब छनागे. पी लौ ससन भर सब, गुरतुर कछार कहिस. .. नदिया के धार बहिस अब नइ बोहाव ग डुबकव हरहिन्छा, फरी—फरी पानी हे तउंरव छुरछिंदा. देखव दरपन कस अउ, मुॅंह ल निहार कहिस. .. नदिया के धार बहिस […]
Category: गीत
कवित्त छंद
ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देश के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर […]
हमरेच खेत के वो चना ला उखनवाके हमरेच छानी-मा जी होरा भुँजवात हे अपन महल-मा वो बैठे-बैठे पगुरावै देखो घर-कुरिया हमर गुंगवात हे. जांगर अउ नांगर ला जाने नइ जिनगी-मा सफरी ला छीये नइ दूबराज खात हे असली सुराज के तो मँजा इहि मन पावैं सपना सुराज के हमन ला देखात हे.. अरुण कुमार निगम […]
पारंपरिक लोक गीत : मोर मन के मजूर
मोर मन के मजूर चले आबे नरवा करार म। नईं हे कोनों या मोरों सहारा, संग म जाथे तीर के जंवारा हॉ या तै हा आबे जरुर मोर मन के मजूर। नई सुहावै अन-पानी, कइसे के चलही जिनगानी। हौं या तैं आबे जरूर मोर मन के मंजूर। घरे म बइठ के सोचत रहिथौं, अंचरा म […]
अजब संसार होगे, चोर भरमार होगे चोरहा के भोरहा म चंउकीदार उपर सक होथे सच बेजबान होगे, झूठ बलवान होगे बईमान बिल्लागे ते, ईमानदार उपर सक होथे मुख बोले राम – राम, पीठ पीछु छुरा थाम बेवफा बिल्लागे ते वफादार उपर सक होथे रखवार देख बाग रोथे, जंगल म काग रोथे वरदी म दाग देख, […]
सुकवा कहे चंदा ले
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे चोला चिटियाएहे, मन चंगा नइ दिखे खुमरी नंदागे कहॉं, खुरपा नइ दिखे खार सिरागे कहॉ, करपा नइ दिखे बिलासपुर म जइसे अरपा नइ दिखे सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे खांसर नंदागे, दमांद आवै दुलरू बईला के गर म बाजे झूल घुंघरू नंदिया तीर बंसी बाजे उही […]
जागो हिन्दुस्तान
सुनो रे संगी ! सुनो रे सांथी ! सुनो मोर मितान ! देसी राज म गोहार होवथे, होगे मरे बिहान ! जागो-जागो, गा जवान ! जागो-जागो, गा किसान ! जागो, जम्मों हिन्दुस्तान ! अजादी संगी ! रखैल होगे, ठाट-बाट अउ पोट के अंधरा कानून कोंदा-भैरा, पग-पग म खसोट हे ईमान के इनाम लंगोटी, बईमान बिछौना […]
वाह रे तै तो मनखे (रोला छंद)
जस भेडिया धसान, धसे मनखे काबर हे । छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।। नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा । बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा । रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे । अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।। रोके तोला जेन, ओखरे बर […]
रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत […]
दू ठन गीत रोला छंद अउ कुण्डलियां छंद म
1. मोर गवा गे गांव (रोला छंद) मोर गवा गे गांव, कहूं देखे हव का गा । बइठे कोनो मेर, पहीरे मुड़ी म पागा ।। खोचे चोंगी कान, गोरसी तापत होही । मेझा देवत ताव, देख मटमटवत होही ।।1।। कहां खदर के छांव, कहां हे पटाव कुरिया । ओ परछी रेगांन, कहां हे ठेकी चरिया […]