मन के धन ला छीन पराईस टूटिस पलक के सीप उझर गे पसरा ओखर बांचे हे दू चार कि अखिंयन मोती ले लो । आस बंता गे आज दिया सपना दिखता हे सुन्ना परगे राज जीव अंगरा सेंकत हे सुख के ननपन में समान दुख पाने हावै चारो खुंट अधियार के निंदिया जागे हावै काजर कंगलू हर करियायिस जम चौदस के रात बारिस इरखा आगी में बेंचै राख सिगार सहज सुरहोती ले लो । कि अंखिंयन मोती ले लो । नारायण लाल परमार
Read MoreCategory: गीत
गीत : सारी
मोर सारी परम पियारी गा रइपुरहिन अलग चिन्हारी गा कातिक मा जइसे सियारी गा फ़ागुन मा जइसे ओन्हारी गा हाँसय त झर-झर फ़ुल झरय रोवय त मोती लबारी गा ॥ एक सरीं देह अब्बड दुब्बर झेलनाही सोंहारी जस पातर मछरी जस घात बिछ्लहिन हे हंसा साही उज्जर पाँखर चर चर लइका के महतारी फ़ेर दिखथय जनम कुँवारी गा ॥ लेवना साँही चिक्कन दिखथे कोयली साँही गुरतुर कहिथे न जुड सहय न घाम सहय एयर कन्डीसन म रइथे सरदी म गोंदा फ़ुल झँकय गरमी म भाजी अमारी गा ॥ आँखी म…
Read Moreपं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ के गीत
तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव गा । धमनी के घाट मा बोईर तरी रे ।। लकर धकर आये जोही, आंखी ला मटकाये गा, कईसे जादू करे मोला, सुख्खा म रिझाये गा । चूंदी मा तैं चोंगी खोचे, झूलूप ला बगराये गा, चकमक अउ सोन मा, तैं चोंगी ला सपचाये गा । चोंगी पीये बइठे बइठे, माडी ला लमाये गा, घेरी बेरी देखे मोला, हांसी मा लोभये गा । जातभर ले देखेंव तोला, आंखी ला गडियायेंव गा, भूले भटके तउने दिन ले, हाट म नई आये गा । पं.द्वारिका…
Read Moreजनकवि स्व.कोदूराम’दलित’ जनम के सौ बरिस म बिसेस : ”धान-लुवाई”
चल संगवारी ! चल संगवारिन ,धान लुए ला जाई ,मातिस धान-लुवाई अड़बड़ ,मातिस धान-लुवाई. पाकिस धान- अजान,भेजरी,गुरमटिया,बैकोनी,कारी-बरई ,बुढ़िया-बांको,लुचाई,श्याम-सलोनी. धान के डोली पींयर-पींयर,दीखय जइसे सोना,वो जग-पालनहार बिछाइस ,ये सुनहरा बिछौना . गंगाराम लोहार सबो हंसिया मन-ला फरगावय ,टेंय – टुवाँ के नंगत दूज के चंदा जस चमकावय दुलहिन धान लजाय मनेमन, गूनय मुड़ी नवा के,आही हंसिया-राजा मोला लेगही आज बिहा के. मंडल मन बनिहार तियारयं, बड़े बिहिनिया ले जाके,चलो दादा हो !,चलो बाबा ! कहि-लेजयं मना-मना के. कोन्हों धान डोहारे खातिर,लेजयं गाड़ी-गाड़ा,फ़ोकट नहीं मिलयं तो देवयं , छै-छै रुपिया भाड़ा. लकर-धकर…
Read Moreमन डोले रे मांग फगुनवा …. बादर के दिन म फागुन लावत हें भाई लक्ष्मण मस्तुरिहा
छत्तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्यकार लक्षमण मस्तुरिहा कवि सम्मेलन म – आरंभ मा पढव : – साथियों मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
Read Moreआंखीं म गड़ जाए रे चढ़ती जवानी
छत्तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्यकार लक्षमण मस्तुरिहा कवि सम्मेलन म – आरंभ मा पढव : – साथियों मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
Read Moreहांसत हे सोनहा धान के बाली ह
पींवरा लुगरा पहिरे धरती हांसत हे, सोनहा धान के बाली ह। पींवरा पींवरा खेतखार दिखत हे, कुलकत हे अन्नपूर्णा महरानी ह॥ गांव-गांव म मात गे हे धान लुअई, खेतखार म मनखे गजगजावत हे। सुकालु, दुकालू, बुधियारिन, मन्टोरा संगी जहुरिया संग धान लुए बर जांवत हे॥ का लइका का सियान? मात गे हे जवानी ह। हांसत हे…। धान लुअइया मन के रेन लगे हे, कोन्हों गांवखार कोन्हों रेगहा खार म जावत हे। कोन्हों गाड़ा कोन्हों टे्रक्टर में धान के बीड़ा ल लानत हे॥ खरही रचागे कोठार म, मुचमुचावत हे लछमीरानी ह।…
Read Moreमिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे
बस मे कब ले ठाढे हँव बइठे बर जघा दे दे ले दे खुसर पाये हँव निकले बर जघा दे दे भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे मैं हर सांस लेवत हँव तैं कतक धकेलत हस भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे छेरी पठरु कर डारे मनखे ला अस भर डारे लइका भले तै झन दे सीट ला सगा दे दे समधी के सुआ मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे टुरा के भरोसा का, दउड के दवा दे दे रामेश्वर वैष्णव (हिन्दी अनुवाद…
Read Moreरामेश्वर वैष्णव के कबिता आडियो
(राजनीतिज्ञो ने जो पशुता के क्षेत्र मे उन्नति की है उससे सारे पशु आतंकित है) पिछू पिछू जाथे तेला छटारा पेलाथे गा आघू म जो जाथे तेला ढूसे ला कुदाथे गा पूछी टांग के कूदय मोर लाल बछवा मोर लालू बछवा जब जब वो बुजा हा गेरुआ ले छुटे हे तब तब कखरो गा मुड कान फुटे हे हाथ गोड ना सही तभो ले दांत टुटे हे डोकरा अउ छोकरा ला खूदय, पूछी टांग के कूदय मोर लाल बछवा चिंग चडाग ले अस फलांग ले कूदय, मोर ….. खोरवा लहुट…
Read Moreमनकुरिया
मनकुरिया म काय नींगे हे रेकाय नींगे हावे मन कुरिया मं जेखर मूहू लाल लाल, जेखर गाल हे पताल जेखर नीयत हे चण्डाल, कईसे करत हें कमाल …. झांकथावे काय ओदे धुरिया ले, ये काय नींगे हावय मोर चोला बढ भोला, काबर लूटत हावो मोला मैं राना प्रताप के बाना आंव मोर चिरहा हे झोला जेला जाने पारा टोला सीलंव कथरी परोसी के देवाना आंव का काहंव ये हाल, जमा बिगडे हे चाल बुढावै आल पाल, देख आंखी ला सम्हाल जमा मोहनी भरे हे, लुरलुरिया मा, ये काय नींगे हावय महानदिया…
Read More