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कविता गीत

चंदन हे मोर देस के माटी

चंदन हे मोर देस के माटी, पावन मोर गांव हे ।बाजय जिंहा धरम के घंटी, तेखर छत्‍तीसगढ नाव हे ।। होत बिहिनिया खेत जाये, नागर घर के नगरिहा ।भूमर-भूमर बनिहारिन गावैं, करमा सुआ ददरिया ।परत जिंहा हे सुरूज देव के, चकमिक पहिली पांव हे ।। राम असन मर्यादा वाले, कृष्‍णा करम कबीर हे ।गांधी सुभास […]

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कविता गीत

किसान

धन धन रे मोर किसान, धन धन रे मोर किसान ।मैं तो तोला जांनेव तैं अस, भुंइया के भगवान ।। तीन हाथ के पटकू पहिरे, मूड म बांधे फरियाठंड गरम चउमास कटिस तोर, काया परगे करियाअन्‍न कमाये बर नई चीन्‍हस, मंझन, सांझ, बिहान । तरिया तिर तोर गांव बसे हे, बुडती बाजू बंजरचारो खूंट मां […]

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गीत वाचिक परम्‍परा

फुगडी गीत

गोबर दे बछरू गोबर दे  चारो खुंट ला लीपन दे  चारो देरनिया ल बइठन दे  अपन खाथे गूदा गूदा  मोला देथे बीजा बीजा  ए बीजा ला का करहूं  रहि जांहूं तीजा  तीजा के बिहान भाय  सरी सरी लुगरा  हेर दे भउजी कपाट के खीला  केंव केंव करय मंजूर के पीला एक गोड म लाल भाजी  […]

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कविता गीत

अपन हाथ अउ जगन्नाथ

मुंड़ मे छैइहा तन भर बस्तर भूखन करंय बियारी उजियारी के समुन्हें भागे घपटे सब अंधियारी सबके होवय देवारी अइसन सबके होवय देवारी …. **************************** अपन हाथ अउ जगन्नाथ काबर तभो ले रोथन अपने घर मे हमन जवंरिहा बाराबाट के होथन ***** सगरी घर के मालिक हो गयं परछी के रहवइया जोतनहा बैला कस हो […]

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कविता गीत

गोठ गुने के गोठियांथव

गोठ गुने के गोठियांथव थोरुक सुन लव संगवारी न कउनो निंदा फजीहत न कउनो के चारी निरबंसी के धन मत लेवव सतबंसीन के लाज गरीब दूबर के आह लेवव झन कुल मे गिरथे गाज सोरह आना सच जानव ये नोहय निचट लबारी न कउनो निंदा फजीहत न……… माया पिरीत में सबला बान्धय पाबन जमो तिहार […]

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कविता गीत

बारहमासी तिहार

आज मोर अंगना म छागे उजियारी चमकत जगमगावत आगे देवारी। चैत मानेन रामनवमी, बैसाख अक्ती ल। पुतरा-पुतरी बिहा करेन, चढ़ायेन तेल हरदी ल। बिहा गाये बर आगिन संगवारी। आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………… जेठ रहेन भीमसेनी निर्जला के उपास ल। का बताओं भैया मैं हर तिखुर के मिठास ल। लगिगे अशाढ़ रे भाई बादर […]

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कविता गीत

बरसै अंगरा जरै भोंभरा

चढ़के सरग निसेनी सुरूज के मति छरियागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। बढ़े हावे मंझनिया संकलाए हे गरूआ अमरैया तरी हर-हर डोलत हे पीयर धुंकतहे रे बैहर घेरी-बेरी बुढ़गा ठाड़े हे बमरी पाना मन सबो मुरझागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। भरे तरिया अंटागे रे कइसे थिरागे बोहत नरवा […]

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कविता गीत

जरत रइथौं (गजल)

रइहीं तरिया म मनखे, पानी आबे,अमुआ डारी म बइठे जोहत रइहौं। घर म सुरता भुलाये, बइठे रहिबे,कोला बारी म मैंहा, ताकत रइहौं। बिना चिंता फिकर तैं, सोये रहिबे,बनके पहरी मैं, पहरा देवत रइहौं। तैंहा बनके बदरिया, बरसत रहिबे,मैं पियासे,पानी बर, तरसत रइहौं। मोर आघू म दूसर लंग हंसत रहिबे,घूंट पी पी के मैंहा रोवत रइहौं। […]

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कविता गीत

गंवइहा

मैं रइथौं गंवई गांव मं मोर नाव हे गंवइहा, बासी बोरे नून चटनी पसिया के पियइया। जोरे बइला हाथ तुतारी खांध म धरे नागर, मुंड़ म बोहे बिजहा चलै हमर दौना मांजर। पानी कस पसीना चूहै जूझै संग म जांगर, पूंजी आय कमाई हमर नौ मन के आगर। चार तेदूँ मउहा कोदइ दर्रा के खवइया, […]

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कविता गीत

सुरता हर आथे तोर

सपना सही तैं आये चल देहे मोला छोड़,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। आके तीर म पूछे तैंहा, सीट हावै खाली,कहाँ जाबे तैहा ग, मैं हा जाहूं पाली।छुटटा मागें सौ के,मया ल डारे घोर,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। रंग बिरंग के चूरी पहिरे छेव छेव म सोनहा,फूल्ली पहिरे नाक म,नग वाले तिनकोनहा।कोहनिया […]