सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे। एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे। सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे। ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे। सावन मास में शिव के पूजा करे से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलथे। भगवान शंकर के विधि विधान से पूजा करे से घर में सब प्रकार के सुख शांति अऊ लक्ष्मी के प्राप्ति होथे। सावन के महिना ह भगवान शंकर…
Read MoreCategory: गोठ बात
धन्यवाद ल छत्तीसगढ़ी मँ का कइथें ?
अमरू- बाईक ल फर्राटा स्पीड मँ चलावत गेंट ले अँगना भीतरी घुसरीच। थथर-थईया करत धरा-रपटी बाईक खड़ा करके अँगना मँ बइठे अपन बबा कोती दौंड़ीच। जुगुल दास- ओकर बबा हर ओकर हालत ल देख के अपन पढ़त किताब ल बंद करके कइथे, अरे धीर लगा के गाड़ी चलाय कर अराम से आव। तोला आज का होगे हे ? अमरू- तीर म आके कहत हे,का बतावँ बबा आज तो जउँहर फंसगेवँ। जुगुल दास- हो का गे तेला तो बता ? अमरू- आज हमर बी.ए. सेकेण्ड ईयर क्लास के पहिला दिन रहिस,…
Read Moreसावन मा बेलपत्र के महिमा
अइसे तो सबो जानत हव, बेलपाना हा हमर हिन्दू धरम मनइया मन बर कतका महत्तम रखथे। भगवान भोलेनाथ ला एक डारा बेलपाना चढ़ा के मनमाफी वरदान पा सकत हन।कथा मा बताय हवय कि जंगल मा भुलाय भील सिकारी हा रतिहा बिताय बर पेड़ मा चढ़गे। ओकर बिन जाने रात भर बेल पाना हा टूट के गिरत रहिस, भगवान भोलेनाथ हा मोर भगत हा बेल पान चढ़ाय हे कहिके असीस धन सम्पति अउ भक्ति दे देइस।कहे जाथे सावन मा सिव ला बेलपत्र चढ़ाय ले तीन युग के पाप के नास हो…
Read Moreसियान मन के सीख: कथा आवय ना कंथली
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन अपन घर अउ पारा परोस के जम्मों लइकन मन ला एक जघा सकेल लेवय अउ जहॉ संझा होवय तहॉ कथा कहानी के दौर शुरू हो जावत रहिस हावय फेर शुरूवात कतका सरल तरीका ले होवय यहू हर अड़बड़ सोचे के बात हरै। घर में रांधे-पसाय के बुता घर के बहुरिया मन करय अउ दार-भात के चुरत ले कथा-कहानी कहे के बुता घर के बूढ़ी दाई, बबा नई तो फुफू दाई के राहय। कहानी के…
Read Moreनोनी मन के खेलई कुदई ह हिरदे में मदरस घोलय
बड़ सुघ्घ्रर लागय नोनी मन के खेले खेल म गाना गवई अऊ ओकर मन के इतरई ह, अभी के समे म वोईसना खेलईया नोनी बाबु देखे बर नई मिलय। अईसने लागथे ओखर मन के पहिचान ह नदा गेहे, हँसई खेलई ह लईका मन के सबो ह, बस्ता के बोझ तरी चपका गेहे। का देहात का शहरिया बस्ता के बोझ ले उबरिस तहाले मोबाइल में मति ह सकला गेहे। कान ह तरसत हे नांगर बईला बोर दे पानी दमोर दे सुने बर, नगरिहा किसान मन खेती बारी बियारा बखरी के काम…
Read Moreकिसान के पीरा
बढ़िया पानी पाके किसान मन अपन काम काज के सिरी गनेस कर दे हें। समेसर घलव खुसी-खुसी बिहनिया ले खेत आ गे हवय, रोपा चलत हे। समेसर कमिया मन ल देखत खेत म खड़े रहिस के अचानक ओकर धियान ओकरे तीर म मार फन फइलाये, बिजरावत बइठे नाग देवता उप्पर चल दिस। समेसर सांप सूंघे कस खड़े होगे। नागदेवता से ओकर नजर मिलिस त ओ ह अउ फुस्सsssss करके ओला डरवा दिस। समेसर के आँखि म एक ठन समाचार झूले लगिस जेन ल ओ दुये चार दिन पहिली पढ़े रहय…
Read Moreजगत गुरू स्वामी विवेकानन्द जी महराज के जीवन्त संदेश, मंत्र औ समझाईस
राजभाषा छत्तीसगढ़ी मा काव्यात्मक प्रवर्तक- आचार्य हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति, अध्यक्ष-ए.एफ.आर.सी., म.प्र. ए सुरता मा के स्वामी जी महराज अपन लईकई के दू साल छत्तीसगढ़ के रायपुर मा बिताईस छत्तीसगढ़ के जंगल के रास्ता ल बैलगाड़ी मा पार करत अपन जीवन के आध्यात्म के सबसे पहली अनुभूति ल पाईस ओकरे सेती ओकर जिन्दगानी के किताब म छत्तीसगढ ल ओकर अध्यात्मिक पैदाईस के जनमभूमि लिखेगे हे। फेर मैं चाईहौं के छत्तीसगढ़ के लइका लोग मन जिंदगानी भर सुरता राखंय ओकर उपदेष उद्गार ल अपन जिंदगानी म अपनाय बर औ सुकता राखे…
Read Moreजिनगी के प्रतीक हे भगवान जगरनाथ के रथ यात्रा
भगवान जगरनाथ के रथ यात्रा ल जिनगी जिये के प्रतीक कहे जाथे। जइसने रथ यात्रा के दिन भगवान ह अपन घर ले अपन भाई-बहनी के संग निकलते अउ उखर संगे-संग यात्रा करे बर आघु बड़थे, वइसने मनखे मन के जिनगी म अपन भीतर के विचार अउ गुन ल उमर भर संग ले के रेंगें ल पड़थे, विचार के संगे-संग अपन सगा संबंधी परिवार ल सब्बो ल उमर भर संग म धर के चलना चाहि, जइसे भगवान जगरनाथ ह अपन परिवार अपन भाई-बहनी के संग ल नइ छोडिस वइसने सब्बो मनखे…
Read Moreकल्चर बदल गे
पहिली के जमाना मा साझा-परिवार रहिन। हर परिवार मा सुविधा के कमी रहिस फेर सुख के गंगा बोहावत रहिस। सियान मन के सेवा आखरी साँस तक होवत रहिस।अब कल्चर बदल गे, साझा परिवार टूट गे। सुविधा के कोनो कमी नइये, फेर सुख के नामनिशान नइये। लोगन आभासी सुख के आदी होवत हें। सियान मन वृद्धाश्रम जावत हें। जउन मन वृद्धाश्रम नइ जावत हें, उंकर घर मन वृद्धाश्रम सहीं बन गेहे। ककरो बेटा ऑस्ट्रेलिया मा, ककरो अमेरिका मा, ककरो कनाडा मा, ककरो सिंगापुर मा। अपन जिनगी के सरी सुख ला त्याग…
Read Moreछत्तीसगढ़ के पहली तिहार हे हरेली
छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया मन के पहली तिहार हे हरेली जेला पूरा छत्तीसगढ़ म बढ़ धूम-धाम ले मनाथे, हमर छत्तीसगढ़ ह परम्परा अउ संस्करीति के राज आये इँहा थोड़- थोड़ दुरिहा म नवा-नवा संस्करीति अउ परंपरा देखे ल मिल जाथे, जेखर सबले बड़े कारन हे कि हमर छत्तीसगढ़ म तरह- तरह के जाति वाला मनखे मन रहिथे, अउ ये मन अपन सियान मन के दे परंपरा ल आजो देवता धामी असन पूजनीय मानथे, अउ कतको परकार के तिहार ल कतको बछर ले पीढ़ी दर पीढ़ी मनात आत हे येही म परमुख…
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