किताब कोठी : सियान मन के सीख

भूमिका रश्मि रामेश्वर गुप्ता के “सियान मन के सीख” म हमर लोकज्ञान संघराए हे। ऋषि-मुनि के परंपरा वेद आए अउ ओखर पहिली अउ संगे-संग चलइया ग्यान के गोठ-बात सियान मन के सीख आए। हमर लोकसाहित्य अउ लोकसंस्कृति म ए गोठ समाए हे। कबीरदास जी लिखे हें- तुम कहियत हौ कागद लेखि, मैं कहियत हों ऑखिन देखि। “सियान मन के सीख” कागद लेखि ले जादा ऑखिन देखि बात आए। जिनगी के पोथी आए “सियान मन के सीख” कमिया-किसान मन के गीता आए “सियान मन के सीख”। रश्मि रामेश्वर गुप्ता घर-परिवार अउ समाज के सियानी…

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होरी तिहार के ऐतिहासिक अउ धार्मिक मान्यता

हमर भारत भुइया के माटी म सबो धरम सबो जाति के मनखे मन रइथे। अउ सबो धरम के मनखे मन अपन अपन तिहार ल अब्बड़ सुग्घर ढंग ले मनाथे। फेर हमर भारत भुईया म एक ठन अइसन तिहार हे जेन ल सबो धरम के मनखे मन मिलजुल के मनाथे। ओखर नाव होरी तिहार। होरी तिहार के नाव ल सुनते साठ मन म अब्बड़ उलास अउ खुशी के माहुल ह अपने आप बन जाथे। होरी तिहार ह कौमी एकता के तिहार आय। होरी तिहार ह अपन संग अब्बड़ अकन तिहार मन…

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बुरा ना मानो होली है

होली हे भई होली हे, बुरा न मानों होली हे। होली के नाम सुनते साठ मन में एक उमंग अऊ खुसी छा जाथे। काबर होली के तिहार ह घर में बइठ के मनाय के नोहे। ए तिहार ह पारा मोहल्ला अऊ गांव भरके मिलके मनाय के तिहार हरे। कब मनाथे – होली के तिहार ल फागुन महीना के पुन्नी के दिन मनाय जाथे। एकर पहिली बसंत पंचमी के दिन से होली के लकड़ी सकेले के सुरु कर देथे। लइका मन ह सुक्खा लकड़ी ल धीरे धीरे करके सकेलत रहिथे। लकड़ी…

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बिकास के बदचाल म होली होवथे बदहाल

ए दे, होली आ गे। फागुनी बयार ले गांव-गली, जंगल-पहाड़, सहर डहर चारों कोती मया महरथे। पऊर साल के होली म टेंगनू अउ बनऊ के अनबोलना ल तिहारू ह टोरे रीहिस। टेंगनू अउ बनऊ म सुघर मितानी हो गे। फेर ये मितानी ह काई कस जनइस ! चम्मास म टेंगनू ह अपन खेत के पानी ल रंइगइस। खाल्हे म बनऊ के खेत। बनऊ ह टेंगनू के खेत के पानी ल नइ झोंकों कहि के बिबाद सुरू कर दीस। एकर ले दूनों म तनातनी होगे। मितानी टूटगे। बईर के काई फेर…

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नारी के महिमा भारी हे

हमर हिन्दू धरम मा नारी के दरजा ला नर ले ऊँच माने गे हावय। सबले सुग्घर बात हमर पुरखा के परमपरा मा हे के नारी ला देवी के रुप मा पूजे जाथे। हमर वेद पुरान अउ ग्रंथ मन मा घलाव नारी हा बिसेस इस्थान मा इस्थापित हावय। ए बात के प्रमान मनु स्मृति मा अइसन प्रकार ले हावय। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रे तास्तु न पूजयन्ते सर्वास्तफला: क्रिया।। मनु समृति अनुसार- जिहाँ नारी के मान, गउन अउ आदर-सत्कार होथे उहाँ देवता मन हा प्रसन्न रहीथें अउ जिहाँ अइसन…

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हमर खान-पान मा नून-मिरचा

मिरचा कहिबे ताहन सुनईया अउ कहईया दूनो के मुहु चुरपुराय अउ आँखी झरझराय सरीख लागथे, फेर उही मिरचा ला हमर खान-पान ले अलगाय के सोचेच भर ले हमर मुहु के सुवाद सबर दिन बर सिराये सरीख घलो लागथे। नून अउ मिरचा बिन काहिंच नइ सुहावय। ये दूनो ला हमन कब ले बउरत हन तेखर परमान घलो जल्दी नइ मिल सकय। फेर बेरा बदले के संग जम्मों जिनिस असन यहू मन ला बउरे के तरीका मा फरक आय हे। अइसे तो पहिलीच ले मिरचा कई किसम के रीहिस। फेर अब शंकरण…

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सेल्फी ह घर परवार समाज ल बिलहोरत हाबय

समे बदल गेहे जमाना कती ले कती भागत हे तेकर ठिकाना नईये, जमाना सन पल्ला भगैईया हमर मन के मगज ह कोन चिखला दांदर म बोजा गेहे, सबो के मति अऊ सोचों ह सेल्फी सन रहीके सेल्फीस होगे हे। सुघ्घर दिखे के चक्कर में हमन भुला जथन कोन करा गढ्ढा हे, कतीहा पखरा हे, कती के रद्दा म काँटा बगरे हे सेल्फीस बनके एक धर्रा म रेंगत हन। थोरको झमेला ल ककरो नई सेहे सकन, अकेल्ला के खुशी बर घर परवार ल मजधार में छोड़ के सेल्फी सन रेंग देथन।…

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जिनगी जीये के रहस्य : महाशिवरात्रि

देवता मन के देव महादेव ला प्रसन्न करे खातिर महाशिवरात्रि के परब हा सबले बड़े परब माने जाथे। वइसे तो बारो महिना अंधियारी पाख के चउदस के रात हा शिवरात्रि के रात कहाथे फेर फागुन महिना के अंधियारी पाख के चउदस के रात हा महाशिवरात्रि कहाथे। ए महाशिवरात्रि के परब हा परमपिता परमात्मा शिव के अवतरन के रात माने गे हे। गरुड़ पुरान, स्कंद पुरान, पद्म पुरान, अग्नि पुरान मन मा ए महापरब के महत्तम के वर्णन हावय। भगवान शिव के ए पावन परब मा वरत, उपास रखे ले काम,…

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सिक्छा ऊपर भारी पड़े हे अंधबिस्वास

विकसित होत गांव-सहर म जतना तेजी ले सिक्छा ह आघु नई बढहे हे, तेखर ले जादा तेजी ले अंधबिस्वास के विकास होईस हे। सबले जादा हमर भारत देस म अंधबिस्वास के मानने वाला मनखे मन हवय। ओहु म अंधबिस्वास ल माने म अनपढ़ मनखे मन ले जादा पढ़े-लिखे मनखे मन मानथे। अउ बाबा-बइगा मनके झांसा म आके अपन बिसवास ल गवां डारथे। जुन्ना बेरा म जब मनखे मन मेर कुछु साधन बनेले नइ रहिस हे तब ग्यानी बाबा बइगा मनके तीर जाके ग्यान के बात सीखे ल मिलये, लेकिन अभी…

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देवी देवता के पूजा इस्थान म होथे मड़ाई

गांव-गवई म मेला मड़ाई के बढ़ महत्व हे, गांव के देवी-देवता के पूजा-पाठ कर के ओला खुशी अउ उल्लास के संग मड़ाई के रूप म मानथे, गांव-गांव म मड़ाई-मेला के अपन अलगेच महत्व रहिथे, मड़ाई मेला ह हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म परमुख इस्थान रखथे , जेन ह परमुख रूप ले आदिवासी देवी-देवता मन के पूजा ले सुरु होथे, तभोले अभी के बेरा में येला सब्बो वर्ग के मनखे मन जुर मिलके  खुशी ले मनाथे, अउ सब्बो मनखे मिलके बढ़ धूम-धाम से मड़ई म जाथे, जेमा छत्तीसगढ़ कई विशेष तरहा के…

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