हमर छत्तीसगढ़ मा सबो देबी देवता मन ल मान गउन मिलथे।एकरे सेती नानम परकार के तिहार हमन बारो महिना मनाथन।सुवागत से लेके बिदई तक, खुसी, देबी देवता के जनम, बिहाव,खेती किसानी के तिहार मनाथन।अइसने पांच दिन के तिहार आय देवारी जौन ल दीपावली कहिथे।एला कातिक महिना मा मनातन।ये तिहार मा जनम देवइया , पालन पोसन करइया अउ मरइया यम के घलो पूजा करथन। धन तेरस के दिन ले सुरु तिहार मा धनवन्तरी भगवान जौन अमृत बरोबर दवई बुटई देय हावय ओकर पूजा करथन।दूसर दिन यम देवता के पूजा करे जाथे।…
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देवारी तिहार संग स्वच्छता तिहार
आप सबो झन जानथव हमर छत्तीसगढ़ मा बारो महिना तिहार होथय।संगे संग उपास धास, नवरात्रि, गनेस आनी बानी के उछाह। फेर देवारी तिहार के महत्तम अलगेच हावय।कातिक महिना के तेरस ले सुरु होके पांच दिन तक मनाय जाथे।कहे जाथे देवारी तिहार ह भगवान राम के सीता संग अजोध्या लहुटे के खुसी मा मनाय जाथे। छत्तीसगढ़ कौसिल्या माता के मइके अउ रामजी के ममागांव आय।तेकर सेती इहां जादा उछाह ले मनाथे।अइसे देवारी तिहार पांच दिन के कहिथे।फेर एकर तियारी 15 दिन पहिली सुरु हो जाथे। कहे जाथे लछमी माता ह दरिद्र…
Read Moreदीया अउ जिनगी
अँजोर के चिन्हारी दीया हा हरय। बिन दीया के अंधियारी ला हराना बड़ मुसकुल बुता हे। अंधियारी हे ता दीया हे अउ दीया हे ता अँजोर हे। अंधियारी हा जब संझा के बेरा होथे ता अपन पसरा ला धीरे-धीरे पसराथे अउ जन मन ला अपन करिया रंग मा बोरथे। जभे अंधियारी हा जन मन ला मुसकुल मा डारथे तभे सबला दीया के सुरता आथे, दीया बारे के सुरता आथे। दीया हा जर-जर के अंधियारी ला खेदथे अउ अँजोर ला बगराथे। अँजोर बगरथे, बिहनिया होथे ता जम्मो झन मन हा दीया…
Read Moreसुरहुत्ती तिहार
हमर हिन्दू समाज मा तिहार बहार हा सबके जिनगी मा बड़ महत्तम रखथे। पुरखा के बनाय रीति रिवाज अउ परम्परा हा आज तिहार के रुप रंग मा हमर संग हावय। अइसने एकठन तिहार हे जौन हा हिन्दू समाज मा अब्बड़ महत्तम के हावय जेला धनतेरस के तिहार कहीथन। हमर हिन्दू मन के सबले बड़े तिहार देवारी के दू दिन पहिली मनाय जाथे धनतेरस के तिहार जेला सुरहुत्ती घलाव कहे जाथे। ए सुरहुत्ती तिहार जौन हा धनतेरस के नाँव ले जग प्रसिद्ध हे एखर पाछू अलग-अलग मानियता हे। देवता अउ दानव…
Read Moreमाटी के दीया जलावव : सुघ्घर देवारी मनावव
देवारी के नाम लेते साठ मन में एक परकार से खुसी अऊ उमंग छा जाथे। काबर देवारी तिहार खुसी मनाय के तिहार हरे। देवारी तिहार ल कातिक महीना के अमावस्या के दिन मनाय जाथे। फेर एकर तइयारी ह 15 दिन पहिली ले सुरु हो जाथे। दशहरा मनाथे ताहन देवारी के तइयारी करे लागथे। घर के साफ सफाई – देवारी के पहिली सब आदमी मन अपन अपन घर, दुकान बियारा, खलिहान के साफ सफाई में लग जाथे। घर ल सुघ्घर लीप पोत के चकाचक कर डारथे। बारो महिना में जो कबाड़…
Read Moreकारतिक महीना के महिमा
हमर हिन्दू पंचांग के हिसाब ले बच्छर भर के आँठवाँ महीना कारतिक महीना हा हरय जउन ला जबर पबरित महीना माने जाथे। कारतिक महीना के महत्तम बेद पुरान मन मा घलो हावय। हमर भारतीय संसकिरति मा समे के गिनती चंदा के चाल ले बङ पराचीन परमपरा के रूप मा भारत मा चले आवत हे। बाहिर परदेस मा समे के गिनती हा सुरुज नारायण के गती उपर चलथे। हमर पुरखा मन चन्दा ला हमर पिरिथवी के सबले लकठा एकठन अगास के पिन्ड जान के समे के गणना बर सबले बढिया साधन…
Read Moreगऊ माता ल बचाओ – सुख समृद्धि पाओ
गाय ह एक पालतू जानवर हरे । एला हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई अऊ संसार में जतका धरम हे , सब धरम के आदमी मन एकर पालन पोसन करथे । काबर कि गाय से बहुत आमदनी होथे । गाय ही एक अइसे जानवर हरे जेहा जीयत में तो काम आथे, अऊ मरे के बाद भी एकर चमड़ा अऊ हड्डी तक ह काम आथे । हर परकार के उपयोगी होय के कारन हिन्दू धरम में एला गऊ माता कहे जाथे । गाय ल विस्व के सबो देस में पाले जाथे । भोजन…
Read Moreएकलव्य के द्रोनाचार्य बनगे गांधीजी
हमन हर बच्छर 2 अक्टूबर के दिन देस के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जनमदिन मनाथन अउ ओकर देखाय रद्दा अउ कामबुता के सुरता करथन। देस ले अंगरेज मन ल भगाय बर कइसे अपन नीति ल भुंइया मा उतारिन ओला अवइया पीढ़ी ल बताथन। ओकर बताय रद्दा ह आज गांधीवाद बनगे। अहिंसा, सत्याग्रह, अछूत उद्धार,कुटीर उद्योग, बुनियादी सिक्छा , परदेसी जिनिस के बिरोध, गरीब के सेवा, सौचालय स्वच्छता, अउ नानम परकार के बुता करे के रद्दा देखाइन। आज के इस्थिति मा देखथन त जतका मनखे, लोग -लइका, माई लोगिन ( राजनीतिक…
Read Moreतन के साधु, मन के शैतान
ये दे नवरातरी हा आगे,मनखे मन के तन मा नौ दिन बर भक्ति के शक्ति समागे। बिन चप्पल के उखरा, दाढ़ी मेछा के बाढ़, मंद-मउँहा के तियाग, माथा ले नाक बंदन मा बुँकाय सिरिफ नौ दिन नारी के मान-गउन, कन्या के शोर-सरेखा। तहाँ ले सरी अतियाचार हा नारी देंह के शोभना बन जाथे। नारी देवी ले पाँव के पनही सिरिफ नौ दिन मा ही लहुट जाथे। सरी सरद्धा अउ भक्ति हा नौ दिन के बाद उतर जाथे। कन्या के नाँव सुनते साठ तरपौरी के गुस्सा हा तरवा मा चढ़त देरी…
Read Moreअसल रावन कोन
दशरहा मा रावन के पुलता ला जलाय के परंपरा हावय। ए हा बुराई मा अच्छाई के जीत के चिन्हारी हरय। समय के संग मा रावन के रंग-ढ़ंग हा घलाव बदलत जावत हे। हजारों ले लेके लाखों रुपिया के रावन ला सिरिफ परंपरा के नाँव मा घंटा भर मा फूँके के फेशन हा बाढ़त जावत हे। रावन के पुतला हा हर बच्छर बाढ़ते जावत हे। असल रावन हा घलाव समाज मा सुरसा के मुँह बरोबर सरलग बाढ़त हावय। जेती देखबे तेती रावन ले जादा जबरहा राक्छस फिरत हाँवय। रावन के अशोक…
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