सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! महामाया के नगरी रतनपुर के अद्भुत महत्तम हे रे। फेर हमन उखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर देस में देवी के अड़बड़ अकन मंदिर हावय जेमा माता के 51 शक्तिपीठ के विशेष महत्तम हावय। छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिला से मात्र 25 कि. मी. के दूरी में बसे रतनपुर के महामाया मंदिर घलाव एक शक्तिपीठ हरै जेला कोन नई जानय? शक्तिपीठ के स्थापना से संबंधित एक ठन पौराणिक कथा…
Read MoreCategory: गोठ बात
जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे रे। नौ दिन माता के सेवा करे ले हमर घर मा, हमर देस मा समृद्धि आथे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन, के काबर अइसे कहय। क्वॉर के महीना मा जम्मो किसान भाई मन खेत.खार के बुता ले उबर के फसल पाके के अगोरा मा रहिथे, फेर ए महीना मा माहू, फाफा मन घलाव कूद.कूद के फसल ला खाए के अगोरा मा रहिथे।…
Read Moreसक्ति अऊ भक्ति के संगम नवरात परब
नवरात के परब ह छत्तीसगढ़ बर गजबेच महत्तम रखथे। सक्ति रुप दुर्गा के जोत रुप,जंवारा रुप, सत बहिनी रुप , सीतला रुप म पूजा होथय। भक्ति म लपटा के सक्ति के पूजा के संगम हमर छत्तीसगढ़ म देखेबर मिलथे। हमर राज्य पुरातन म भगवान राम के महतारी के मइके इहें रहिसे।ओखर सेती भक्ति छत्तीसगढ़ म जादा हावय। रामचरित मानस म दू नारी के जादा महिमा बताय हे एक माता पारबती अऊ दूसर सीता। माता पारबती ह सिव भगवान ल राम कथा सुनाय बर कहीस। माता पारबती ल सक्ति कहे गेय…
Read Moreहमर माँवली दाई के धाम
हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ नदिया के दुनो पार मा अठारा-अठारा ठन गढ़ प्राचीन समे मा ठाढ़े रहीन। एखरे सेती ए राज के नाँव छत्तीसगढ़ पड़ीच हे अइसन कहे जाथे। इही छत्तीसगढ़ मा के एकठन गढ़ हमर गवँई-गाँव सिंगारपुर (माँवली) हा घलाव आय। इही गाँव…
Read Moreसिरिफ नौ दिन के बगुला भगत
ये दे नवरातरी अवइया हे,मनखे मन नौ दिन बर बगुला भगत बनइया हे। बिन चप्पल के उखरा, दाढ़ी मेछा के बाढ़, मंद-मउँहा के तियाग, माथा ले नाक बंदन मा बुँकाय सिरिफ नौ दिन नारी के मान-गउन, कन्या के शोर-सरेखा। तहाँ ले सरी अतियाचार हा नारी देंह के शोभना बन जाथे। नारी देवी ले पाँव के पनही सिरिफ नौ दिन मा ही लहुट जाथे। सरी सरद्धा अउ भक्ति हा नौ दिन के बाद उतर जाथे। कन्या के नाँव सुनते साठ तरपौरी के गुस्सा हा तरवा मा चढ़त देरी नइ लागय। बेटी…
Read Moreछत्तीसगढ़िया कबि कलाकार
पानी हँ धार के रूप लेके बरोबर जघा म चुपचाप बहत चले जाथे। जिहाँ उबड़-खाबड़ होथे पानी कलबलाय लगथे। कलकलाय लगथे। माने पानी अपन दुःख पीरा अउ उछाह ल कलकल के ध्वनि ले व्यक्त करथे। पानी के कलकल ध्वनि हँ ओकर जीवटता अविरलता अऊ प्रवाहमयता के उत्कट आकांक्षा ल प्रदर्सित करथे। ओइसने मनखे तको अपन सुख-दुख ल गा-गुनगुना के व्यक्त करथे। वोहँ अपन एकांत म जिनगी के पीरा अऊ उमंग ल गुनगुनाथे जेला संगीत कहिथन। हमर छत्तीसगढ़ हँ गीत अऊ संगीत के अपार सागर म उबुक-चुबुक हे। इहाँ कोनो किसम…
Read Moreकचरा कहां हे
कचरा कहां हे…. कचरा काकर घर हे … ओला बाहिर निकालव..हो$$। गांव मा हांका परत रहाय। ओती सहर मा घलो चोंगा माईक मा चिचयावत रहाय काकरो घर कचरा ल राखे हावव त ओला बाहिर निकालव। जेकर घर के बखरी बारी, भीतरी बहिरी अरोस परोस मा कचरा मिल जाही अउ जेन नइ बताही ओला 500 रुपया डांड़ जुरमाना लग सकत हे। ओती रमेसर मुड़ी धर के बइठे हे। काबर कि एक कचरा उंकरो घर हे जौन ल वो गजबेच मया करथे। आज इहां उहां सबो जगा ले कचरा ल दुरिहाय के…
Read Moreगांव शहर ले नंदा गे हे पतरी भात, मांदी
विकसित होत गांव शहर हा अपन संस्कृति ला छोड़ के भुलावत जात हे, अब के बेरा म हमर पहली जइसे संस्कृति देखे ल नई मिलये, अईसे कई किसिम-किसिम के चीज हे जेन आज के बेरा म नंदात जात हे, येही म हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म पतरी भात (मांदी) एक संग बईठ के खाये के महत्व अब्बड़ रहिस हे जेन हा आज के आधुनिक दौर म नंदात जात हे अब कमे देखे ल मिलथे। मादी म भुइयां म चटाई ल बिछा के आराम ले बईठ के सब्बो लईका सियान एके संग बढ़ सुग्घर भात खाथे,…
Read Moreमुहूलुकवा होवत मनखे
रमेसर गमछा मा मुहूं बांध के परमोद के दुकान तीर ले अपन घेच टेड़गा करके आघू निकलिस। परमोद चिचियातेच हे, रमेसर… रमेसर, कहिके हांक पारतेच हे, फेर कहां सुने, रमेसर। परमोद कहिस- देखे गुरुजी, आठ दिन बर उधारी मांग के जिनीस लेगे रिहीस आज आठ महिना होगे पइसा देय के नांव नइ लेत हे अउ मुंहूं लुका के जावत हे। गुरुजी कहिस- हव रे परमोद! आज मनखे मुहूलुकवा होगे हे। करजा खाय मनखे ह तो बेपारी बर मुहूलुकवा होयेच हे, दफ्तर मा अधिकारी–करमचारी, अस्पताल मा डाक्टर, इस्कूल मा मास्टर अऊ…
Read Moreसरद्धा अउ सराद्ध
पितर पाख मा पंदरा दिन पुरखा मन बर सरद्धा तन मन मा कोचकीच ले भर जाथे। दाढ़ी-मेछा हा अइसे बाढ़ जाथे जइसे सियान मन के सुरता मा सुध-बुध गवाँ गे हे। लिपे-पोते खुँटियाय अँगना-दुवाँर, चउँक पुराय मुहाँटी, तरोईपान अउ फूल ले हूम-जग देवाय घर हा चारों खूँट बरा-सोंहारी के माहक मा महर-महर करत रथे। सिरतोन मा अपन सियान अपन पुरखा के सरद्धा के परमान एखर ले बड़े अउ का होही। आज नरवा मा सवनाही पूरा कस छकबक अपन पुरखा बर सरद्धा ला देख के मोर बया भुलागे। जब सियान हा…
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