[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये सीख ला सुनव”] सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मंजूरपहरी हर मंजूर के गांव आय रे। फेर हमन नई मानन। वि.खं.-बिल्हा, जिला-बिलासपुर के गांव सीपत ले लगभग 18 कि.मी. के दूरी में एक ठन गांव हवै मंजूरपहरी । ए गांव के नाम मंजूरपहरी कइसे परिस ए बारे मा जानकारी मिलस ए गांव के सरपंच श्री मती रमौतिन बाई पति श्री राम नेताम से। ए गांव मा जइसे प्रवेश होथे हमन ला एक सुघ्घर पहाड़ी मिलथे…
Read MoreCategory: गोठ बात
मोला करजा नई सुहावय
सार गोठ (मोर अंतस के सवाल ये हरे कि करजा नई सुहावय त जनम ले दाई-ददा हमर बर जे करे रथे वो करजा मुड म लदाय रथे तेला काबर नई छुटय? अऊ सिरतोन कबे त करजा करे के कोनो ल साद नई लागय फेर अपन लइका बर, परवार बर, जिनगी के बिपत बेरा म करजा घलो करे ल परथे।) एक झन नौकरिहा संगवारी हा, अपन दाई ल मोटर म चघइस। ओ सियानिन हा चिरहा झोला ल मोटराये रहय अऊ मोटर म चघेच के बेरा ओकर पोलखर हा झोला ले गिर…
Read Moreअसाढ़ के आसरा हे
सूरुज नरायन ला जेठ मा जेवानी चढ़थे। जेठ मा जेवानी ला पाके जँउहर तपथे सूरुज नरायन हा। ताते-तात उछरथे, कोनो ला नइ घेपय ठाढ़े तपथे। रुख-राई के जम्मों पाना-डारा हा लेसा जाथे, चिरई-चिरगुन का मनखे के चेत हरा जाथे। धरती के जम्मों जीव-परानी मन अगास डाहर ला देखत रथें टुकुर-टुकुर अउ सूरज हा मनगरजी मा मनेमन हाँसत रथे मुचुर-मुचुर। सूरुज के आगी ले तन-मन मा भारी परे रथे फोरा,आस लगाय सब करत हें असाढ़ के अगोरा। गरमी के थपरा परे ले सबो के तन मा अमा जाथे अलाली अउ असाढ़…
Read Moreघर तीर के रुखराई जानव दवई : बेरा के गोठ
हमर पुरखा मन आदिकाल ले रुख राई के तीर मा रहत अऊ जिनगी पहात आवत हे। मनखे ह जनमेच ले जंगलीच आय। जंगल मा कुंदरा मा रहे।रुख राई बिन ओखर जिनगी नई कटय। हजारो बच्छर बीत गे , मनखे अपन मति ल बऊर के जंगल ले निकल के सहर बना डरिस फेर रुख राई के मोहो ल नई तियाग सकिन।घर मा फुलवारी बनाके जीयत हे। आज गांव अऊ सहर घर ,अरोस परोस म गजबेच रुख राई के दरसन परसन होथे।बर, पीपर, आमा, अमली, लीम, लिमऊ, जाम ( बीही), चिरईजाम (…
Read Moreछत्तीसगढ़ी गोठियावव अऊ सिखोवव – बेरा के गोठ
ऐसो हमर परोसी ठेकादार पवन अपन टूरी अऊ टूरा ल 18 किमी दूरिहा सहर के अंगरेजी इस्कूल म दाखिला कराईस। ऊंखर लेगे बर बड़का मोटर (बस) इस्कूल ले आही कहिस।नवा कपड़ा, बूट, पुस्तक कापी, झोरा( बैग ) जम्मो जिनिस बर पईसा देय के इस्कूल ले बिसाईस हे। पवन के गोसाईन ह बतावत रहिस उहां पैईसच वाला धनीमानी मनखे , अधिकारी, मंतरी मन के लईका मन पढ़थे। रोजीना नवा नवा कलेवा जोर के भेजे बर कहे हे। इस्कूल म लईका मन अंगरेजीच म गोठियाही कहात रहिस। हमन तो ठेठ छत्तीगढ़िया आवन…
Read Moreनमस्कार के चमत्कार
हमर पुरखा-पुरखा के चलाय मान-सम्मान परमपरा मा सबले जादा एक दुसर के अभिवादन ला महत्तम दे गे हावय। ए परपपरा हा आज घलाव सुग्घर चले आवत हे फेर चाहे एखर रकम-ढकम हा बदलत जावत हावय। हमन ए अभिवादन परमपरा मा देखथन के एक दुसर ला नमस्ते या नमस्कार करथन फेर एखर का अरथ हे सायदे जादा झन मन जानथन। आवव आज ए लेख के माधियम ले जाने के परयास करबो के अभिवादन मा नमस्ते कहे के का मतलब हावय। हिन्दू धरम सास्त्र मन के हिसाब ले ले अभिवादन के कुल…
Read Moreबेटी ऊपर भरोसा रखव
गांव के रंगमंच म रतिहा 8 बजे जेवन खा के सकलाय के हांका परत रहिस ।आज रमेसर के बेटी के आनजात होय के निपटान के बैइठक हे। रमेसर के बड़े बेटी कामनी ह पऊर कालेज पढ़ेबर सहर गय रहिस। रगी (गरमी) छुट्टी म आईस त मांग म सेंदुर, हाथ म चूरी पांव म माहुर लगा के दमांद धर के आगे।गांव म आनी बानी के गोठ होय लागिस। समेसर गांव समाज म अपन पीरा ल राखे खातिर बईटका बलाय रहिस।रतिहा सबो सियान मन लईकामन के ऊमर, राजीनामा ले बिहाव अऊ सरकारी…
Read Moreमहतारी दिवस 14 मई अमर रहे : महतारी तोर महिमा महान हे
महतारी शब्द के अर्थ ला संसार के जम्मो जीव-जन्तु अउ परानी मन हा समझथें। महतारी के बिन ए संसार के कल्पना करना बिलकुल कठिन हे। महतारी हमन ला सिरिफ जनम भर नइ देवय बलकि करम ला घलाव सिखाथे। वो करम जेखर बिन हमर एक पाँव रेंगना असंभव होथे। मया पियार दुलार के संगे-संग अमोल संस्कार ला घलो सिखोथे। जिनगी जीये के बीज बोथे। नौ महीना लइका ला अपन ओदरा मा बोह के सरी बुता-काम ला सरलग करइया एके झन जीव ए जगत मा हे जेखर नाँव हरय महतारी हावय। वो…
Read Moreबिचार : नैतिकता नंदावत हे
आज में ह बजार कोती जात रहेंव, त रसता म मोर पढ़ाय दू-झिन लईका मिलिस, वोमा के एक झिन लईका ह मोला कहिथे- अउ गुरूजी, का चलत हे ? त तूरते दूसर लईका कहिथे- अउ का चलही जी, फाग चलही| अतका कहिके दुनोंझिन हांसत हांसत भगागे, में ह तो ये सब ल देख-सुन के सन्न रहिगेंव, देख तो! ये लईका मन ल, गुरूजी ल घलो नइ घेपत हे, मोर करा ये हाल हे त दूसर करा अउ का नइ कहत-करत होही| एक हमर जमाना रहिसहे, जब गुरूजी ल दुरिहा ले…
Read Moreलगिन फहराही त बिहाव माढ़ही
बर बिहाव के दिन म जम्मों मनखे इहिच गोठ म लगे रथे, अऊ ठेलहा मनखे हा तो ये मऊका म जम्मों झन के नत्ता जोरे बर अइसे लगे रथे जइसे ओखर नई रेहे ले दुनिया नई चलही, इंजीनियर, डागटर ल घलो ऊखर मन के गोठ सुने ल परथे। छोकरी-छोकरा मन के दाई-ददा ले ज्यादा ओखर घर के सियान मन ल संसो रथे, ओमन तो छोकरी-छोकरा के काच्चा ऊमर ले पाछू परे रथे, ओमन सोचथे के परलोक सिधारे के पहिली नाती-पोता मन के बर-बिहाव देख लेवन। बड़ कन समाज म छोकरी…
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