जेन भाखा म जतके सरलता,सहजता अउ सरलगता होही वो भाखा उतके उन्नति करही, अँग्रेजी भाखा येकर साक्षात उदाहरण हवय । अउ जेन भाखा म क्लिष्टता होही वो भाखा ह नंदाये के स्थिति म पहुंच जाथे जइसे कि हमर संस्कृत । यदि हम ये सोचथन कि छत्तीसगढी ह वैश्विक भाखा बनय त ओखर सरलता अउ सहजता उपर हमन ल ध्यान दे बर परही । खास करके संज्ञा शब्द के उपयोग करत बेरा । जडउन शब्द मन हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी या अन्य भाखा ले आय हे वो शब्द ल ज्यों के त्यौ…
Read MoreCategory: गोठ बात
चिरई चिरगुन बर पानी निकालव
मनखे जनम बड़ भागमानी आय।चौरासी लाख योनी म इही जनम ल पुन पाय के भाग मिलथे। पुन कमाय बर जादा मिहनत करेबर नई परय।हमर बेद पुरान म सुघ्घर ढंग ले संदेस देय हावय भूखे ल भोजन, पियासे ले पानी अऊ सगासोदर के मानगऊन अतका म अबड़ेच पुन मिल जाही। मनखे मन के संगवारी म गाय गरु, कुकुर बिलई संग चिरई चिरगुन घलाव आय। घाम पियास के दिन आ गेहे। गरमी के सेती रुख राई के पाना सुखाके झरगे। दूसर कोती कुंआ बाऊली नंदावत जावत हे,अऊ जेन हावय ओखर पानी अटावत…
Read Moreखेत के मेड़
पूनाराम अपन 10 बच्छर के बेटी मोनिका ल फटफटी म बैईठार के भेलाई ले अपन पुरखौती गांव भुसरेंगा छट्ठी म लेजत रहीस।भुसरेंगा गांव पक्की सड़क ले एक कोस म जेवनी बाजू हावय।नहर के पार के खाल्हे म मुरुम के सड़क बने हे जौन ह अब डामर वाला पक्की सड़क बनईया हे। तीरे तीर गिट्टी के कुढ़ा माढ़े हे। दुनो बाप बेटी गोठियात फटफटी म बैइठ के जावत हे। पूनाराम अपन नानपन म बिताय दिन ल सुरता कर-करके नोनी ल बतावत हे।येदे गौटिया के खेत आय, येदे पटइल के, ये दाऊ…
Read Moreकिताब कोठी : अंतस म माता मिनी
अंतस म माता मिनी छत्तीसगढी राज भासा आयोग के आर्थिक सहयोग ले परकाशित प्रकाशक वैभव प्रकाशन अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती रायपुर ( छत्तीसगढ) दूरभाष : 0771-4038958, मो. 94253-58748 ISBN-81-89244-27-2 आवरण सज्जा : कन्हैया प्रथम संस्करण : 2016 मूल्य : 100.00 रुपये कॉपी राइट : लेखकाधीन अंतस म माता मिनी ( जीवनी) “दु:ख हरनी सुख बंटोइया, आरूग मया छलकैया बनी मंदरस, फरी अंतस, मरजादा धन बतइया माथ म चंदन, चंदा बरन, सेत बसन चिन्हारी नाव व धराये मिनीमाता, छत्तीसगढ के महतारी” अनिल जाँगडे ग्राम- कुकुरदी, पो-जिला बलौदा बाजार-भाटापारा (छ.ग. )पिन 493332 मो.…
Read Moreअसमिया धुन मा छत्तीसगढ़िया राग, छत्तीसगढ़ मा होइस पहुना संवाद
आवा दे बेटी फागुन तिहार … मारबो बोकरा करबो शिकार …… हे वोति कोन सेन रे मुना महुआ रे ………..। धुन असमिया हे … फेर बोल छत्तीसगढ़ी। अइसनेहे साझा संस्कृति ले रचे बसे हे लाखन परदेसी छत्तीसगढ़िया मन के जिनगी। वो छत्तीसगढ़िया मन के जिनगी जेन डेढ़ सौ बछर पहली असम राज खाय-कमाय बर गइन अउ उंहे के वोखे रहिगे। छत्तीसगढ़िया परदेसिया होगे … असमिया होगे। आज असम के भीतरी 20 लाख परदेसिया छत्तीसगढ़िया रहिथे। फेर डेढ सौ बछर बाद भी, असमिया रंग मा रंगे के बाद भी ये परदेसिया…
Read Moreना बन बाचत हे ना भुइयां, जल के घलोक हे छिनइयां
छत्तीसगढ़ हा पूरा देस मा एक ठिन अइसे राज हरय जिहां तीन जिनिस के कभु कमी नइ रहे हे। ये तीन जिनिस हरय बन, भुइयां अउ पानी। छत्तीसगढ़ मा जेन कोति भी जाहु, उत्ती ले लेके बुढ़ती अउ रक्क्छहु ले लेके भंडार कोति। सबो दिसा मा भरपुर बन, भुइयां अउ पानी मिलही। अउ इही बन बन-भुइयां मा भरे हे लोहा, टीना, कोयला के भंडार। इही भंडार जइसे छत्तीसगढ़ वाला मन बर पाप सरी होगे। काबर कि ये जिनिस के भंडार होय के बाद भी बन-भुइयां अउ पानी के बीच रहइयां…
Read Moreभाई दीदी असम के
हमर गुरतुर गोठ छत्तीसगढ़ी के बोलाईया मनखे हमर राज्य ले बाहिर घला रहिथें। ए प्रवासी छत्तीसगढ़िया, या फेर छतीसगढ़ वंशी मन मे सबले जुन्ना प्रवासी मन असम म रहिथें। अइसे कहे जाथे के इहाँ ले मनखे मन के असम जाए के सुरुआत आज ले करीबन डेढ़ सौ साल पहिली होये रिहिसे जब अकाल दुकाल के सेती जिये खाये बर हमर भाई बहिनी मन चाय के बगइचा मन म बूता करे बर गीन। ओ बेरा म उंखर मन के तदात कतका रिहिस होही तेला कहब तो मुस्कुल हे फेर आज ओ…
Read Moreदारु संस्कृति म बूड़त छत्तीसगढ़
हमर छत्तीसगढ़ ह कौसिल्या दाई के मईके हरे।जौन राम ल जनमदिन जेन मरयादा पुरुसोत्तम होईन। राम कृष्ण के खेलय कूदय छत्तीसगढ़ के कोरा सुघ्घर अऊ पबरित रहीस।आज अईसे का होगे कि अईसन छत्तीसगढ़ म दारु संस्कृति ह पांव लमावत हे। छट्ठी बरही , जनमदिन ,बरसी,सगई, बर-बिहाव, नौकरी लगे,परमोसन, तीज-तिहार, मेला-मड़ई,सबो बेरा म मंद दारु अपन परभाव देखाथे। मैं एक घर छट्ठी म गय रहेंव। मंझनिया भातखाय के बेरा सबोझन ल बलाईस, छत म टाटपट्टी जठा के छत्तीसगढ़िया रेवाज म बईठारिस। पतरी बांट के बरा, सोंहारी, तसमाई, छोले पोरस दिन ,पाछू-पाछू…
Read Moreनारी सक्ती जगाना हे – दारु भटठी बंद कराना हे
बसंती ह अपन गोसइन बुधारू ल समझात रहिथे के – तेंहा रात दिन दारू के नशा में बुड़े रहिथस। लोग लइका घर दुवार के थोरको चिंता नइ करस ।अइसने में घर ह कइसे चलही ।दारू ल छोड़ नइ सकस ? बुधारू ह मजाक में कहिथे – मेंहा तो आज दारू ल छोड़ देंव वो। बसंती चिल्लाथे — कब छोड़े हस, कब छोड़े हस ? फोकट के छोड़ देंव कहिथस । बुधारू – अरे आज होटल में बइठे रेहेंव न,आधा बाटल दारू ल उही जगा छोड़ देंव । बसंती — हाँ…
Read Moreडाकघर म करावव रजिस्ट्रेशन, मोदी सरकार नौकरी देही
डाकघर म करावव रजिस्ट्रेशन, मोदी सरकार नौकरी देही राजधानी के मुख्य डाकघर सहित प्रदेश के जिला मुख्यालय मन के डाकघर अब रोजगार केन्द्र के रूप म विकसित करे जाही। ए केन्द्र मन म बेरोजगार मन के ऑनलाइन पंजीयन करे जाही। दिल्ली म औपचारिक निर्णय के बाद अब जम्मो राज्य मन ले प्रारंभिक जानकारी मंगाए गए हे। loading… विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस बारे में अभी मंत्रालय स्तर पर ही निर्णय हुआ है। डाकघरों में इसके लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। रोजगार केन्द्र विकसित करने…
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