हास्य अभिनेता हेमलाल अउ विजय मिश्रा के गोठबात ‘भोजन आधा पेट कर दोगुन पानी पीवा, तिगुन श्रम, चौगुन हंसी, वर्ष सवा सौ जीवा।’ हंसना उत्तम स्वास्थ्य अउ लम्बा जीवन खातिर एक अरथ म बहुत बड़े ओखद आय। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाईन मन हर बतावत हावंय। हंसी हर बिना दुख तकलीफ के कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि जउन हँसही तउन फंसही- अइसन गलत विचार ल बदल के जउन हँसही तउन बसही। ल जन-जन म फैलाय खातिर भिड़े दुर्ग म…
Read MoreCategory: गोठ बात
गुरतुर गोठ के आठ बरिस
2 अक्टूबर 2008, आजे के दिन, आठ बरिस पहिली हम छत्तीसगढ़ी साहित्य ल मेकराजाला म लाये के बाना चढ़ावत, गुरतुर गोठ नाव के ब्लॉग ले रेंगना सुरू करे रहेंन. बाद म हम येला बेब-पोर्टल के रूप देहेन, अउ नाना प्रकार के परेसाानी अउ झंझट के बाद घलो येला सरलग आज तक चलावत हन। आठ बछर पहिली उही ब्लॉग म हमर वरिष्ठ संपादक आदरणीय सुकवि बुधराम यादव जी के संपादकीय प्रकाशित होए रहिसे तेला आज फेर प्रकाशित करत हन- दू आखर : सम्पादकीय साहित्य कउनो भाखा , कउनो बोली अउ कउनो…
Read Moreछत्तीसगढ़ी सन् 1917 म
सन् 1917 में छत्तीसगढ़ के गीत मन ल विदेसी मन रिकार्ड करे रहिन हें तेला पाछू बरिस शिकागो विश्वविद्वालय ह अपन बेबसाईट म सार्वजनिक करिस। सन् 1917 म कईसे रहिस छत्तीसगढ़ी भाषा सुनव, भूमिका श्रीमती संज्ञा टंडन जी के हे-
Read Moreपितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : भारतेन्दु साहित्य समिति
हाट्स एप ग्रुप साहित्यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म हमर पुरखा साहित्यकार मन के रचना प्रस्तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्तुत करत हन – पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता के कड़ी मा एक बहुते जुन्ना फोटू पोस्ट करत हँव। ये फोटू मा श्री प्यारेलाल गुप्त जी हांवय भारतेन्दु साहित्य समिति जब श्रीमती महादेवी वर्मा जी के अभिनन्दन करे रहिन, तब के दुर्लभ फोटू आय- बइठे साहित्यकार– सर्वश्री प्यारेलाल गुप्त,…
Read Moreरोवा डारिन रियो म
31 वाँ ओलम्पिक खेल अपन सतरंगी छटा बिखेर के खतम होगे। ब्राजील के रियो डी. जेनेरियो साहर के मराकाना स्टेडियम म ए खेल के आयोजन बड़ धूमधाम से होइसे। एकर समापन के घोसना अंतरास्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष थामस चाक हँ करिस हे। ए खेल हँ 5 अगस्त से 21 अगस्त तक 16 दिन ले चलिस हे। जेमा 42 खेल सामिल रिहिसे। एमा 205 देस के अंदाजन 11000 खेलाड़ी मन अपन भागीदारी निभइन हे। अब 32 वाँ ओलम्पिक खेल सन 2020 म जापान के टोक्यो साहर म होही। पुराना जमाना…
Read Moreमोर गांव के फूल घलो गोठियाये : श्रीमती आशा ध्रुव
मोर गांव के फूल घलो गोठियाये। बड बिहनियां सूरूज नरायन मया के अंजोर बगराये। झुमे नाचे तरियां नदिया फूले कमल मुसकाये। नांगर बईला धर तुतारी मोर किसनहा जाये। मोर गांव के फूल घलो गोठियाये…… मोगरा फूले लाई बरोबर मोती कस हे चक ले सुघ्घर कुआं पार बारी महमहाये तनमन ला ये ह सितलाये। उंच नीच के डोढगा पाट ले अंतस मन ला कर ले उज्जर। मोर गांव के …….. गोंदा फूले पिवरा पिवरा पाटी मार खोपा मा खोचे। चटक चदैंनी अंगना मा बगरें खूंटधर अंगना ह लिपाये। पैरी बाजे रूनुक…
Read Moreसंपादकीय : मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू
संगी हो, थोकन गुनव, फेर गोठियाहूं..
Read Moreचउतरा सेठ
संगवारी हो दुनिया म गजब गजब के मनखे रइथे। कोनो बड़ सिधवा होथे त कोनो बड़ टेड़वा। टेड़वा मनखे के मति के कोनो ठिकाना नइ रहय। कभू भी कहूं ल ठग देथे। चउतरा मनखे ह भगवान घलो ल नइ छोड़य। एकबार एक चउतरा सेठ ह डोंगा म बइठके बेपार खातिर यातरा करत रहिस। यातरा के बेरा डोंगा जब नदी के ठीक बीच म पहुंचिस तिहा जोरदार हवा गर्रा सुरू होगे। अब तो डोंगा म बइठइया मन के जी उड़ियागे। कइसे बांचबो कइसे बाचबो कहे लगिस। डोंगा अभी पानी म डुबे…
Read Moreपर्यावरण परब विशेष — मोर सुरता के गाँव
मोर गाँव गिधवा पो.नगधा, तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा मा आथे। गाव के नाव ला सुनके सब अबड़ हासथे। मोर गाव के नाव गिधवा पड़िस तेकर पाछु एकठन कहानी हे सियानमन बताथे कि हमर गाव मा पहली समय मा चिरईय—चिरबुन अबड़ रहय अऊ गिध्द के इहा माड़ा रहय भारी बड़े बड़े गिध्द ला उड़ावत देख ले अगर कोनो मेरा कहु जानवरमरे रहय त ओ जगह कोरी भर तेहा गिध्द ला पाते। गिध्द के स्थल के करन हमर गाव के नाम गिधवा परिस।
Read Moreजप तप पुन के भूंइया ए हमर छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के माटी के महक ह न सिरफ भारत म बल्कि पूरा बिस्व म फइले हे। ए भूंइया ह तप अऊ पुन के भूंइया ए। इहां एक ले बड़के एक संत, रिसि अऊ मुनि पइदा होय हे। महानदी, सिवनाथ अऊ इंदरावती छत्तीसगढ़ के पबरित बोहात नदिया ए जेकर तीर म रहिके कइझन तप करइया होइस। महानदी ल छत्तीसगढ़ के गंगा कहे गयहे। छत्तीसगढ़ के अलग अलग बेरा म अलग अलग नाव परिस। रामायन काल म एला दक्छिन कोसल, महाभारत काल म प्राककोसल अऊ गुप्त काल म दक्छिनापथ कहे गिस। नाव…
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