आवा राहर के विषय म जानब कि ‘राहर’ का होथे- आघू जमाना में पानी पलोय के उपाय नई रहत रहीस हे क बखत नानपन म मेंहा मोर काकी के मइके कुथरौद गये रहेंव। उहां हाट घुमत-घुमत देखेंव कि दु ठन बइला ल लम्हा डोरी म फांद के किसनहा ह आघू रेंगाय अऊ पाछू रेंगाय। नानपन के जिग्यासा ह अड़बड़ रहिथे, मोरो जिग्यासा रहय नइ गिस अऊ येहा मोर ददा ल पुछ पारेंव ये काये गा। हमन बइल गाड़ा-बघ्घर म फआंद के आघु कोती रइगस देखे रहेव, फेर ये कइसे अलकरहा…
Read MoreCategory: गोठ बात
छत्तीसगढ़ी कहानी : मन के सुख
भोला… ए…भोला.. लेना अउ बताना अंजलि के कहिनी ल-जया फेर लुढ़ारत बानी के पूछिस। भोला कहिस- अंजलि जतका बाहिर म दिखथे न, वोतके भीतरी म घलोक गड़े हावय। एकरे सेती एला नानुक रेटही बरोबर झन समझबे। एकर वीरता, साहस, धैर्य, अउ संघर्ष ह माथ नवाए के लाइक हे, तभे तो सरकार ह नारी शक्ति के पुरस्कार दे खातिर एकर नांव के चिन्हारी करे हे। -हहो जान डरेंव भोला, फेर सरकार के बुता म तोरो योगदान कमती नइए। आज अंजलि ल जेन सब जानीन-गुनीन, सरकार जगा सम्मान खातिर वोकर नांव पठोइन,…
Read Moreअभिनय के भूख कभी मिटय नइ: हेमलाल
हास्य अभिनेता हेमलाल अउ विजय मिश्रा के गोठबात ‘भोजन आधा पेट कर दोगुन पानी पीवा, तिगुन श्रम, चौगुन हंसी, वर्ष सवा सौ जीवा।’ हंसना उत्तम स्वास्थ्य अउ लम्बा जीवन खातिर एक अरथ म बहुत बड़े ओखद आय। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाईन मन हर बतावत हावंय। हंसी हर बिना दुख तकलीफ के कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि जउन हँसही तउन फंसही- अइसन गलत विचार ल बदल के जउन हँसही तउन बसही। ल जन-जन म फैलाय खातिर भिड़े दुर्ग म…
Read Moreबूढ़ी दाई
पितर मन के पियास बर अंजरी भर जल साध बर, बरा-बबरा, सोंहारी संग हूम रंधनी खोली के खपरा ले उड़ावत धुंगिया बरा के बगरत महमहई लिपाये-चंउक पुराये ओरवाती म बगरे फूल ओखरे संग भुखाए लइका दूनो मन, अगोरत हावय कोन झकोरा संग, मोर बूढ़ी दाई आही. अउ बरा बबरा खवाही. संजीव तिवारी
Read Moreमुसवा के बिहाव
मुसवा गनेश भगवान ल कहिस, महाराज मैं तोला कतेक दिन ले बोहे-बोहे गिंजरत रइहौं पेट पीठ में बुता करत-करत मोर उमर ह पहा जाही। महू ला अपन गिरस्थी बसाना हे। मैं अपन बर जोड़ी पसंद कर डारे हाववं। अब बतावव मोर बिहाव करहू कि नहीं। अगर तुमन मोर बिहाव ल नइ करहू तव में हा कोरट में जाके सरकारी बिहाव कर लुहुं। मामला बड़ गंभीर होगे रिहसि। एकर सेती गनेश भगवान मुसवा ल धर के सीधा कैलास परबत गीस अउ महादेव अउ पारबती माता ल सरी बात ल बतइस। मुसवा…
Read Moreछत्तीसगढ़ी 8वीं अनुसूची म कब? : सुधा वर्मा
8वींअनसूची म कोनो भी भासा ल लाय के मापदण्ड काय हावय, ये ह एक प्रस्न आय। 8वीं अनुसूची म कोनो भी भासा ल जाए बर ओखर पोट्ठ होना जरूरी हावय। राज्य के जनसंख्या या फेर भासा के बोलइया मनखे के संख्या ऊपर निरभर रहिथे। छत्तीसगढ़ ले कमती जनसंख्या अउ छेत्र वाला राज मणिपुर म मणिपुर भासा अउ कोकणी भासा सन् 1992 म 8वीं अनुसूची म आगे। सन् 2003 म बोडो अउ मैथिली 8वीं अनुसूची म आगे जबकि येखर अलग राज नइए। फेर छत्तीसगढ़ी काबर नहीं? 8वीं अनुसूची म आये बर…
Read Moreगुरू अउ सिस्य के संबंध
गुरू ह मुक्ति के दुवार होथे त सिस्य ह मुक्ति दुवार के तोरन – धजा, बंदनवार होथे। मुक्ति के दुवार ए सेती काबर के दुनिया के छल परपंच दुख संताप के बोहावत बैतरनी नदिया ल पार कराथे गुरू हॅं। गुरूच ह अग्यान के घपटे अंधियारी म जोगनी कस जुगुर – जागर सही फेर रस्ता देखावत गियान के जगमग- चकमक अंजोर तक ले जाथे। अतके भर नही गुरूच हॅं सिस्य ल वो परम आतमा के घलो बोध कराथे , जेन ए जगत बिधाता ए। एकरे सेती तो कहे गे हवय के…
Read Moreलोककथा के शिक्षक- संत गुरु घासीदास अउ उंकर उपदेस
शिक्षक कोन? ये प्रश्न करे ले उत्तर आथे कि जउन मन के मलिनता ल दूर कर के भीतरी म गियान के परकास फइलाथे अउ अंतस के भाव निरमल करथे, सत के रद्दा बताथे, उही शिक्षक आय। कबीरदासजी कहिथे- ‘गुरु कुम्हार सिस कुंभ है, गढ़-गढ़ काडे ख़ोट।’ अर्थात् जउन शिष्य के अवगुन ल कुम्हार के भांति दूर कर के ओला सत गुन ले जुक्त बना दे। सत्यम्, शिवम् अउ सुन्दरम् के भाव बोध करा दे उही सद्गुरु आय। शास्त्र पुरान म गुरु के गजब महिमा गाये गे हे। फेर उही गुरु…
Read Moreहरितालिका व्रत (तीजा)
भादो महीना अंजोरी पाख के तीजा के दिन सधवा माईलोगन मन अपन अखण्ड सुहाग के रक्षा खातिर श्रध्दा भक्ति ले हरितालिका व्रत (तीजा) के उत्सव ल मनाथें। शास्त्र पुरान म सधवा-विधवा सबे ये व्रत ल कर सकत हें। कुमारी कइना मन घलो मनवांछित पति पाय खातिर ये बरत ल कर सकत हें, काबर के कुंवारी म ही ये बरत ल करके पारबती जी ह भगवान शंकर ल पति के रूप म पाय रहिस। आज के दिन माईलोगिन मन ल निराहार रहना पड़थे। पानी ल नई पिययं। निर्जला व्रत ल करथें।…
Read Moreछत्तीसगढ़ के चिन्हारी आय- सुवा नृत्य
सुवा गीत नारी जीवन के दरपन आय। ये दरपन म वियोग, सिंगार, हास्य, कृषि, प्रकृति प्रेम, ऐतिहासिक, पौराणिक, लोककथा के संगे संग पारिवारिक सुख-दु:ख के चित्रण देखे बर मिलथे। पंजाब के लोक नृत्य भांगड़ा, असम के लोक नृत्य बिहू अउ गुजरात के लोकनृत्य गरबा कस छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य सुवा नृत्य के देस-विदेस म चिन्हारी कराये के उदीम आय। दुरूग के राय स्तरीय सुवा महोत्सव हा। सुवा नृत्य गौरी-गौरा के विवाह संस्कार ले जुडे हे अइसे लोक मान्यता हे। फेर सुवा के सुरुवात ले बिसरजन तक चिंतन करे के जरूरत हे।…
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