आवत हे राखी तिहार सजे हे सुग्घर बाजार, रकम रकम के राखी हर डाहर राखी के बहार. रेशम धागा के दिन पहागे चांदी और सोना के राखी आगे मया के तिहार म घलो देखो बाजारवाद ह कइसे छागे.
Read MoreCategory: गोठ बात
उत्छाह के तिहार हरेली
कोन्हों भी राज आरुग चिन्हा वोकर संस्कृति होथे। संस्कृति अइसन गोठ आय जेमा लोककला अउ लोकपरब के गुण लुकाय रहिथे। छत्तीसगढ़िया मन अपन सांस्कृतिक गहना ल बड़ सिरजा के रखे हे। जेकर परमाण आज तक वोकर भोलापन अउ ठउका बेरा मं मनाय जाय तिहार मं बगरथे। सियान से लेके लइकामन परम्परा ल निभाय खातिर घेरी-बेरी अघुवाय रिथे। माइलोगन के भागीदारी तव घातेच रिथे। चाहे रोटी-पीठा बनाये म हो, सगा-सोदर के मानगौन मं, लोकगीत मं, नहीं तो लोक नाचा मं सब्बो जघा आघु रिथे। छत्तीसगढ़ी मं त्योहार ल तिहार कहे जाथे।…
Read Moreसावन के तिहार
सावन सोमवार- सावन महीना म भगवान संकर के पूजा करे के बिसेस महत्तम हे। रोज-रोज पूजा नई कर सके म मनसे मन ल हरेक सम्मार के सिवपूजा जरूर करना चाही। बिधान- सम्मार के दिन सिवजी के माटी के मूर्ति बना के जेकर संख्या एक या ग्यारह रहय। कोपरा म पधरा के पंचामृत ले स्नान कराके फेर आरुग पानी ले नहवावय। बाद म चंदन, फूल, चाउंर, कपड़ा चढ़ा के मंत्रोपचार पूजा करके आरती करय अउ भगवान के स्तुति करय-
Read Moreछत्तीसगढ़ी गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए
छत्तीसगढ़ी कविता क्रांति के सुर ला प्रलय- राग मां बांधही? ये जम्मो हर काल के कोरा मां लुकाय हे हमर छत्तीसगढ़ घात सुग्घर हे, अउ छत्तीसगढ़ी गजब के गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए, ए मा किसान के पबरित पसीना हे, अऊ आंसू के अमरित हे ए हर मनखे के मन के भाव-भलाई हे। छत्तीसगढ़ी कविता के डोंहड़ी कलचुरि राजा के खार मं बाढ़िस, अऊ हय-हय बंस के बगैचा मं फूलिस फेर जनता के बियारा कोठार म आके पिंउरा गईस। छत्तीसगढ़ी कविता कन्व मुनि के पोंसवा बेटी-धियरी सकुन्तला साहीं आय, जउन…
Read Moreछत्तीसगढ़ के शिव मंदिर
भोजन में दार भात बांकी सब कचरा। देवता में महादेव अऊ हे ते पथरा॥ छत्तीसगढ़ राज म कतको पुराना शिव मंदिर विराजमान हावे जेकर लेख इहां के बड़े-बड़े साहित्यकार मन बेरा-बेरा में उल्लेख करे हावे। कलचुरि काल अउ सोमवंशी राजकाल में शिवमंदिर सावन महिमा म बिसेस साधना के जगा होथे भगवान शिव हिन्दू धरम के मुखिया देवता आय। बरम्हा- बिसनु-महेस तीन देवता में इंकर नाम आथे। पूजा, उपासना में शिव अउ ओकर सक्ती हे। मुख्य हे भगवान शिव ल सिधवा देवता कहे जथे तभे तो भगत मन नानकुन चबूतरा बना…
Read Moreभक्ति-भाव के महापरब-सावन मास
व्रती मन सोमवार रखथे अउ फल फलहरी खाके उपास ल तोड़थें। शिवलिंग के पूजा में बेल पत्ता के अब्बड़ महत्व हे। पूजा में सिरिफ तीन पत्ती वाला अखंडित बेल पत्ता ही चढ़ाय जाथे। ये तीनों पत्ता ल मन, वचन अउ करम के प्रतीक माने गेहे। शिवलिंग में अधिकतर तीन लकीर वाला त्रिपुण्डी होथे। येहा शिव परमात्मा के त्रिमूर्ति, त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी अउ त्रिलोकीनाथ होय के चिन्हा आय। कनेर, धतूरा, फूड़हर केशरइया, दूध, दही, घी सहद, शक्कर, जल, गंगाजल, चंदन सरसों तेल के उपयोग पूजन अउ अभिषेक म करे जाथे।
Read Moreनवा रइपुर मोर रइपुर
हर छत्तीसगढ़ वासी ल अपन प्रदेस उपर गरब करना चाही। काबर के ये प्रदेस ह वोला अइसन गरब करे के भरपूर मउका देथे। ये ह प्रदेस के सांस्कृतिक बल आय जउन वोला अपन मन के बुता करे के अपन मन के बात केहे-बोले अउ लिखे के आजादी देथे। ये सांस्कृतिक ताकत ल हमर प्रदेस के महापुरुस मन हमेसा बढ़ईन। आजो ये काम होवत हे। हमन आज के महापुरुस ल पहिचाने म भले गलती करथन या चिन नइ सकन। ये ह कुछ सुवार्थी मन के चाल आय के उन सुवारथ के…
Read Moreधंधा
सिक्छा आज दुकानदारी होगे हे, दुकानदारी का? ठेकादारी, ठेकादारी के नीलामी। ‘मोला सहे नहिं जात रहिस अनदेखी भूरि बरत रहि।’ हमर किसान के कोनो नइहे भाई। पइसा वाले के आजो पइसा हे। उंखरे सासन हे, रकस-रकस कमइया किसान, मजदूर ल आजो जानवर, गंवार समझे जाथे। साल भर म पूजा करे जाथे गाय गरूवा के देवारी के दिन ओइसने पांच साल म पूछ लेथे एक बेर, तहां ले फुरसद।
Read Moreतबलावादक राकेश साहू संग विजय मिश्रा ‘अमित’ के गोठ बात
कला जगत म नइ चलय कोताही : राकेश साहू सुबह होती है, शाम होती है-जिन्दगी यूं तमाम होती हैं’। ये लाइन हर हाथ म हाथ धरे बैठे ठलहा बइठोइया आम मनखे मन बर सही बइठते। फेर अपन जिनगी म कुछु खास करे खातिर ठान लेवइया मनखे मन ऐला खारिज करत अपन परिवार के भरण-पोषण के संगे संग कला संस्कृति बर घलो समर्पित जीवन जीथे। आम अउ खास मनखे के अइसनेहे अंतर ल अपन तबला वादन के बल म सिध्द करोइया एक लोकवादक कलाकार के नाव आय श्री राकेश साहू। जेखर…
Read Moreअंग्रेजी के दबदबे के बीच छत्तीसगढ़ी की जगह
क्या आपने कभी किसी दुकान प्रतिष्ठान का नाम छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा पाया है? व्यवसाय क्षेत्र में कहीं भी चले जाइए आप एक भी छत्तीसगढ़ी नाम पा जाएं तो यह कोलम्बस की अमरीका खोज जैसा पुरुषार्थ होगा। दुकानों प्रतिष्ठानों के अंग्रेजी नाम ही लोगों को लुभाते हैं। चाहे वह प्रतिष्ठान का मालिक हो या ग्राहक, अंग्रेजी नाम ही लोगों की जुबान पर चढ़े हैं। कस्बों देहातों में ये नाम देवनागरी लिपि में मिलेंगे। थोड़ा बड़े शहर में चले जाइए वहां तो आप देवनागरी लिपि में भी नाम देखने को तरस…
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