पेड़ लगावा जिनगी बचावा

‘पेड़ लगाए के महत्त बहुत हावय। जेन पेड़ ल लगाये जाथे ओखर उपयोग मनखे ह कोनो न कोनो रूप म करथे। पीपर लगइस त सरीर ल दिन रात जीवनदायनी आक्सीजन मिलत रहिथे त वोकर उमर ह बाढ़ जथे वो ह सुवस्थ रहिथे। ऐखरे बर कहे गे हावय के पीपर पेड़ लगइया हजारों बछर ले पताल लोक म निवास करथे। ये बात ब्रह्मव्रर्त पुरान म लिखाय हावय’ पेड़ परानी मन बर बहुत उपयोगी हे। तेखरे सेती हमर रिसी मुनि मन पेड़-पौधा के पूजा करे के विधान बना दे हांवय। मनखे के…

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लोक कला के दीवाना रामकुमार साहू

ओ हर निचट गरीब परवार के रहीस। मोर इसकूल मा पढ़य। आज लइका मन ले ओ हर अलगेच रहीस हे। नानपन ले ओहर ‘लोककला’ के दीवान रहीस हे। ओ बखत मैं हर स्व. दाऊ रामचन्द्र देशमुख के जबड़ लोकनाटक ‘कारी’ मा बिसेसर नायक के पाठ करत रहेंव तब ‘कारी’ खातिर रामकुमार साहू के दीवानगी हर मोला चकित कर देवय। ओला ये खभर मिलतीस के फलाना जघा कारी होवत हे। तब ओहर कइसनो करके ऊंहा हबरी जातीस। पोझिटया कला, दुर्ग निवासी रामकुमार ला एक घंव पता चलीस के ग्राम पैरी मा…

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छत्तीसगढ़ के कर्जादार

आज छत्तीसगढ़ी ह राजभाषा बनगे हावय। राजधानी ले अतेक अकन अखबार निकलथे के अंगरी म गिनना मुसकिल हे। फेर एक ठन छत्तीसगढ़ी अखबार आज ले नई निकल पाइस। ये निमगा छत्तीसगढ़ अखबार निकाले म घाटा दिखथे। एक कालम तो होना चाही। दूसर राज्य म ऊंखर राजभासा के अखबार अउ पत्रिका दिखथे। छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बनाय के घोसना होय दू बछर बीत गे। फेर कोनो डाहर ले नी जनाय के छत्तीसगढ़ी ह राजभासा बन गे हे। राजधानी ले अतेक अकन अखबार निकलथे के अंगरी म गिनना मुसकिल हे। फेर एक ठन…

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लोक मंच के चितेरा

दाऊ रामचन्द्र देशमुख हर रामहृदय तिवारी जी के निर्देसन मा बनइस ‘कारी’ जगमग-जगमग बरत छत्तीसगढ़ मूल्य मन के लड़ी अउ सुख:दु:ख के झड़ी ‘कारी’। बिराट लोक नाटय ‘कारी’। ये नाटक हर छत्तीसगढ़ के जनता ला एक घांव फेर भाव के संसार मा चिभोर दिस। ह मर छत्तीसगढ़िया के जग-परसिध ‘नाचा’ हर जन-जागरन अउ मन बहलाव के सबले जादा लोकप्रिय बिद्या अउ सबले पोठ माधियम आय। फेर आज ले पचास एक बछर पहिली ये ‘नाचा’ मा भारी खरापी आ गए रिहिस हे। कलाकार मन, लोक मरजाद ला तियाग के फूहरपाती, दूअरथी…

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घासीदास जी के अमर संदेश-पंथी गीत

सत ल जाने बर घासीदास सन्यासी होगे। सत असन अनमोल जिनीस ल पाए बर वाजिब साधना के जरूरत परिस। बर-पीपर सांही पवित्र वृक्ष ल छोड़के ये औंरा-धौंरा असन साधारन पेड़ के खाल्हे तपस्या म लीन होगे। ये घासीदास के निम्न वर्ग लोगन के प्रति ओखर पिरीत अउ लगाव के प्रतीक आय। लगन अउ साधना ले घासीदास एक चमत्कारिक फल सत के प्राप्ति होइस। बाद म इही सत ल दुनिया म सतनाम के संग्या मिलीस। गुरु घासीदास हर छत्तीसगढ़ के पावन भूमि बिलासपुर के गिरौदपुरी गांव मं संवत 1756 सन् (1700)…

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लिंग परिक्छन के परिनाम

”आज जम्मो समाज म लड़की मन पढ़ लिख गिन अऊ लड़का मन ले दूचार करे बर तियान हे। आज हम दूतीन बछर थे देखत आत हम। जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अऊ मेछा अटियाय घुमत हे। अऊ लड़का वाला ह कुकुर को कोलिहा बरोबर घिरलत हे। लड़का ल बने पढा लिखा दरे हर अऊ लड़की ल पढ़ाय बर भेद करेस त तोर लड़का बर बहु कहां ले मिलही।” आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे के कहां ले कहां…

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राघवेन्द्र अग्रवाल के गोठ बात : जान न जाइ नारि गति भाई

एक ठन गंवई रहय। उहां मनसे परेम लगा के रहत रहंय। एक दुसर के सुख-दु:ख म आवंय-जायं, माई लोगिन, बाब पिला मन घला संघरा गुठियावयं बतावयं, कोनो ल काकरो ऊपर सक-सुभा नि रहय, फेर परेम के पूरा ह काला अपन डहर तिर लिही तेला कोनो नि जानंय, इही कथें आयं, कहत बांय हो जाथे कहिके। वो गांव म एक झन पुरोहित रहय। कथा वार्ता कहयं घर-घर जाके अऊ अपन गिरस्थी के गाड़ी ल चलावत रहय। वोला अडबड़ दिन ले को जानी का बात वोकर मन म रहत ते, अपन गोसइन…

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कारी गाय अउ ओखर दूध

 कारी गाय के बहुत महत्व हावय। कारी गाय के तो अतका महिमा हे के वोकर दूध अऊ कारी तुलसी के पत्ती ल छै महिना तक खाय त कैंसर तक ठीक हो जाथे अइसे काशी नगरी के प्रख्यात वैद राजेश्वर दत्त शास्त्री के कहना हे। एक समे रहिस जब मनसे प्रकृति के संग म रहय तेखर सेती उनकर जिनगी सहज, सरल रहय। वो समे म गउ माता के पूजा करंय वोला महतारी मानंय, उंकर दे दूध, दही, घीव ल पी खा के मनसे तंदुरुस्त रहंय। महाभारत म गउ माता के बिसे म…

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युग प्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय

छत्तीसगढ़ी भासा के पुन-परताप ल उजागर करे बर धनी धरमदास जी, लोचनप्रसाद पाण्डे, सुन्दरलाल शर्मा जइसे अऊ कतकोन कलमकार अऊ साहित्यकार मन के योगदान हे। अइसने रिहिन हमर पुरखा साहित्यकार हीरालाल काव्योपाध्याय। जऊन मन ह सबले ले पहिली छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन लिख के छत्तीसगढ़ी भासा ल पोठ करिन। छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन सन् 1885 च म सिरजगे रिहिस। जेखर अंगरेजी रूपांतर सर जार्ज ग्रियर्सन ह करिस। अऊ एखर सिरजइया रिहिन हीरालाल काव्योपाध्याय। ये व्याकरन के किताब में छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सिरजन के संगे-संग छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य-जइसे जनौला, दोहा,…

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संस्कृति के दरपन म बैर

छत्तीसगढ़ियापन आज के समय के मांग हे, दरसक के मांग ल फिलिम व्यवसाय हा नई स्वीकारही त निश्चित रूप ले फिल्म उद्योग के डूबना तय हे। प्रयोगवादी गीत दरसक के मनोरंजन बर बहुत जरूरी हे। फिलिम म हांसी-ठिठोली अउ उद्देश्य के संग-संग मया के अउ परंपरा के कथा हा घलो बहुत धूम मचाथे अउ गीत-संगीत के चटनी घलो सुहाथे। इही सबो बात ल लेके बनाइस निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा हा ‘बैर’, ये फिलिम हा जादा नई चलिस त कम घलो नइ चलिस। माने जादा अउ कम म बरोबर के बात…

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