सब झन कहिन्थे मैं पथरा के बने हौं- करेज्जा घलाय पथरा साहीं हवय…..मैं का कहंव ? रानी के कुटकी मालिन कभू तलाव खनाय रहिस, नानचुक आमा के अमरईया, बर पीपर के रुख ले पार मा रसदा रेंगैया बर, असनांद बर आये मनखे बर-घन छईन्हा ! खेत ले लहुटत , कांदी के बोझा मूड मा धरे, […]
Category: गोठ बात
छत्तीगसगढी मोर मातृभाषा आय । मोला अपन मातृभाषा उपर गर्व हे । मैं ये भाषा ल अपन महतारी के दूध संग पिये अउ पचाय हौं । मोर कान म जउन पहली सब्द परिस वो छत्तीहसगढी भाषा के रहिस । जब ले मोर महतारी जीयत रहिस हे तब ले मैं वोखर मुंह ले येही भाषा ल […]
छत्तीगसगढी मोर मातृभाषा आय । मोला अपन मातृभाषा उपर गर्व हे । मैं ये भाषा ल अपन महतारी के दूध संग पिये अउ पचाय हौं । मोर कान म जउन पहली सब्द परिस वो छत्तीहसगढी भाषा के रहिस । जब ले मोर महतारी जीयत रहिस हे तब ले मैं वोखर मुंह ले येही भाषा ल […]
……………………….ये दे दू नवम्बर २००८ के “गुरतुर गोठ” ला मेकराजाला में अरझे ठाउका एक महीना पूर गय. सत अउ अहिंसा के संसार मे आज अलख जगाये के जबर जरुरत हवय. काबर के चारो कती हलाहल होथे. कहे तुलसी के दोहा के ..” तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँ और ” .. गजब सारथक हवय. […]
27 सितम्बसर के दिन छत्तीसगढ के लोक दरसन ला जगर-मगर चमकावत क्षितिज रंग सिबिर के लाईट एण्ड साउंड के जोरदरहा परसतुती ‘लोरिकायन’ हा दुरूग मा जब होईस त बईगा पारा के मिनी स्टेडियम म छत्तीसगढ के मनखे मन के खलक उजर गे, घमघम ले माई पिल्ला सकला गे अउ हमर लोक गाथा – लोरिक चंदा […]