खरोरा निवासी पुरुषोत्तम लाल ह छत्तीसगढ़ी म प्रचार साहित्य जादा लिखे हे। सन 1930 म आप मन ह कांग्रेस के प्रचार बर, ‘कांग्रेस आल्हा’ नाम केे पुस्तक लिखेे रहेव। ये मां कांग्रेस के सिद्धांत अऊ गांधी जी के रचनात्मक कार्यक्रम के सरल छत्तीसगढ़ी म वरनन करे गए हे। कांग्रेस आल्हा के उदाहरन प्रस्तृत हे – वंदे मातरम् बंदौ भारत माता तुमला, पैंया लागौं नवा के शीश। जन्म भूमि माता मोर देबी, देहु दास ला प्रेम असीस।। विद्या तुम हौ धरम करम हौ, हौ सरीर औ तुम हौ प्रान। भक्ति शक्ति…
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आल्हा छंद – नवा बछर के स्वागत करलन
बिते बछर के करन बिदाई,दे के दया मया संदेश। नवा बछर के स्वागत करलन,त्याग अहं इरखा मद द्वेष। आज मनुष्य हाथ ले डारिस,विश्व ज्ञान विज्ञान समेट। नवा बछर मा हमू खुसर जन,खोल उही दुनिया के गेट। हंसी खुशी मा हर दिन बीतय,हर दिन होवय परब तिहार। सदा हमर बानी ले झलकय,सदाचरण उत्तम व्यवहार। अंतस मा झन फोरा पारन,हिरदे मा झन देवन घाँव। मिले बखत हे चार रोज के,रहलन दया मया के छाँव। पूर्वाग्रह के चश्मा हेरन,अंतस मा सम भाव जगान। पूर्वाग्रह के कारण संगी,मानवता हावय परसान। छोड़ अलाली के संगत…
Read Moreआल्हा छंद : झाँसी के रानी
बरस अठारा में रानी ने, भरिस हुंकार सीना तान। भागय बैरी ऐती तेती, नई बाचय ग ककरो प्राण। गदर मचादिस संतावन में, भाला बरछी तीर कमान। झाँसी नई देवव बोलीस, कसदिच गोरा उपर लगाम। राव पेशवा तात्या टोपे, सकलाईस जब एके कोत। छोड़ ग्वालियर भगै फिरंगी, ओरे ओर अऊ एके छोर। चना मुर्रा कस काटय भोगिस, चक रहय तलवार के धार। कोनों नई पावत रिहिस हे, झाँसी के रानी के पार। चलय बरोड़ा घोड़ा संगे, त धुर्रा पानी ललियाय। थरथर कांपय आँधी देखत, कपसे बैरी घात चिल्लाय। मारे तोला अब…
Read More24 मई -जेठ दसमी : वीर आल्हा जयंती, आल्हा चालीसा (आल्हा छंद में)
जेठ महीना दसमी जनमे, आल्हा देवल पूत कहाय। बन जसराज ददा गा सेउक, गढ़ चँदेल के हुकुम बजाय।~9 ददा लड़त जब सरग सिधारे,आल्हा होगे एक अनाथ। दाई देवल परे अकेल्ला, राजा रानी देवँय साथ।~10 तीन महीना पाछू जनमे, बाप जुद्ध में जान गवाँय। बीर बड़े छुट भाई आल्हा,ऊधम ऊदल नाँव धराय।~11 राजा परमल पोसय पालय, रानी मलिना राखय संग। राजमहल मा खेंलँय खावँय, आल्हा ऊदल रहँय मतंग।~12 सिक्छा-दीक्छा होवय सँघरा, लालन-पालन पूत समान। बड़े बहादुर बलखर बनगे, लागँय राजा के संतान।~13 बड़े लड़इया आल्हा ऊदल, जेंखर बल के पार न…
Read Moreवीर महाराणा प्रताप : आल्हा छंद
जेठ अँजोरी मई महीना,नाचै गावै गा मेवाड़। बज्र शरीर म बालक जन्मे,काया दिखे माँस ना हाड़। उगे उदयसिंह के घर सूरज,जागे जयवंता के भाग। राजपाठ के बने पुजारी,बैरी मन बर बिखहर नाग। अरावली पर्वत सँग खेले,उसने काया पाय विसाल। हे हजार हाथी के ताकत,धरे हाथ मा भारी भाल। सूरज सहीं खुदे हे राजा,अउ संगी हेआगी देव। चेतक मा चढ़के जब गरजे,डगमग डोले बैरी नेव। खेवन हार बने वो सबके,होवय जग मा जय जयकार। मुगल राज सिंघासन डोले,देखे अकबर मुँह ला फार। चले चाल अकबर तब भारी,हल्दी घाटी युद्ध रचाय। राजपूत…
Read Moreआल्हा छंद : भागजानी घर बेटी होथे
भागजानी घर बेटी होथ, नोहय लबारी सच्ची गोठ I सुन वो तैं नोनी के दाई, बात काहते हौ जी पोठ I1I अड़हा कहिथे सबो मोला, बेटा के जी रद्दा अगोर I कुल के करही नाव ये तोर, जग जग ले करही अंजोर I2I कहिथव मैं अंधरा गे मनखे, बेटी बेटा म फरक करत I एके रूख के दुनो ह शाखा, काबर दुवा भेदी म मरत I3I सोचव तुमन बेटी नई होय, कुल के मरजाद कोन ढोय I सुन्ना होय अचरा ममता के, मुड़ी धरके बईठे रोय I4I आवव एक इतिहास…
Read Moreआल्हा छंद : वीर शिवाजी के शान
वीर शिवाजी जयंती 19 फरवरी वीर शिवाजी जनमे जग मा, शेर सँही ए राखिन शान। धन्य-धन्य महतारी ऊँखर, जनमीं जेमन पूत महान।।1 ददा शाहजी जीजा दाई, जनम धरे शिवनेरी धाम। नाँव छत्रपति जेखर अम्मर, कोटि-कोटि करँव प्रनाम।।2 नान्हें पन ले आज्ञाकारी, गुरू ददा दाई ला मान। देश भक्ति नस-नस मा दँउड़े, हाजिर राहँय धरके जान।।3 धरम-करम मा अघुवा आगर, सिक्छा-दिक्छा पुन्य प्रताप। सिक्छक माता सकल भवानी, सबले जादा छपगे छाप।।4 छदर-बदर सब हिन्दू परजा, करके सुन्ता सकला साथ। भारत भुँइयाँ भूसन राजा, तोर अमित हा लागय माथ।।5 कन्हैया साहू “अमित”…
Read Moreमैं वीर जंगल के : आल्हा छंद
झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिँहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा कूसा, हरे मोर मेवा मिष्ठान। जंगल झाड़ी ठियाँ ठिकाना,लगथे मोला सरग समान। कोसा लासा मधुरस चाही,नइ चाही मोला धन सोन। तेंदू पाना चार चिरौंजी,संगी मोर साल सइगोन। घर के बाहिर हाथी घूमे,बघवा भलवा बड़ गुर्राय। आँखी फाड़े चील देखथे,लगे काखरो मोला हाय। छोट मोट दुख मा घबराके,जिवरा नइ जावै गा काँप। रोज भेंट होथे बघवा ले, कभू संग सुत जाथे साँप। लड़े काल ले करिया काया,सूरुज मारे कइसे बान। झुँझकुर…
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झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिंहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा कूसा, हरे हमर मेवा मिष्ठान। जंगल झाड़ी ठियाँ ठिकाना,लगथे मोला सरग समान। कोसा लासा मधुरस चाही,नइ चाही मोला धन सोन। तेंदू पाना चार चिरौंजी,संगी मोर साल सइगोन। घर के बाहिर हाथी घूमे,बघवा भलवा बड़ गुर्राय। आँखी फाड़े चील देखथे,लगे काखरो मोला हाय। छोट मोट दुख मा घबराके,जिवरा नइ जावै गा काँप। रोज भेंट होथे बघवा ले, कभू संग सुत जाथे साँप। लड़े काल ले करिया काया,सूरुज मारे कइसे बान। झुँझकुर…
Read Moreछत्तीसगढ़ के वीर बेटा – आल्हा छंद
महतारी के रक्षा खातिर,धरे हवँव मैं मन मा रेंध। खड़े हवँव मैं छाती ताने,बइरी मारे कइसे सेंध। मोला झन तैं छोट समझबे,अपन राज के मैंहा वीर। अब्बड़ ताकत बाँह भरे हे , रख देहूँ बइरी ला चीर। तन ला मोर करे लोहाटी ,पसिया चटनी बासी नून। बइरी मन ला देख देख के,बड़ उफान मारे गा खून। नाँगर मूठ कुदारी धरधर , पथना कस होगे हे हाथ। अबड़ जबर कतको हरहा ला,पहिराये हँव मैंहा नाथ। कते खेत के तैं मुरई रे, ते का लेबे मोला जीत। परही मुटका कसके तोला,छिन मा…
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