जिनगी (उल्लाला – १३,१३ मा यति ,बिसम-सम तुकांत) जिनगी के दिन चार जी, हँस के बने गुजार जी दुख के हे अँधियार जी, सुख के दियना बार जी नइ हे खेवन-हार जी , धर मन के पतवार जी तेज नदी के धार जी, झन हिम्मत तयँ हार जी गुरू – १ (उल्लाला – १३,१३मा यति, सम-सम तुकांत) दुख के पाछू सुख हवे, गोठ सियानी मान ले बिरथा नइ जाये कभू , संत गुरु के ग्यान ले गुरू बड़े भगवान ले , हरि दरसन करवाय जी गुरू साधना मा जरै ,…
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