खेलन गेंद गये जमुना तट मोहन बाल सखा सँग नाचय। देवव दाम लला मन मोहन देख सखा सबके सब हाँसय। आवय ना मनखे जमुना तट कोइ नहावय ना कुछु काँचय। हावय नाँग जिहाँ करिया जिवरा कखरो नइ चाबय बाँचय। देख तभो जमुना तट मा मनमोहन गेंद ग खेलत हावय। बोइर जाम हवे जमुना तट मा मिलके सब झेलत हावय। खेल करे हरि गोकुल मा मिल मीत मया मन मेलत हावय। खेलत गेंद गिरे जमुना जल लाव कही सब पेलत हावय। जमुना जल के तल मोहन जावय नाँग लगे बड़ गा…
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किरीट सवैया : पीतर
काखर पेट भरे नइ जानँव पीतर भात बने घर हावय। पास परोस सगा अउ सोदर ऊसर पूसर के बड़ खावय। खूब बने ग बरा भजिया सँग खीर पुड़ी बड़ गा मन भावय। खेवन खेवन जेवन झेलय लोग सबे झन आवय जावय। आय हवे घर मा पुरखा मन आदर खूब ग होवन लागय। भूत घलो पुरखा मनखे बड़ आदर देख ग रोवन लागय। जीयत जीत सके नइ गा मन झूठ मया बस बोवन लागय। पाप करे तड़फाय सियान ल देख उही ल ग धोवन लागय। पीतर भोग ल तोर लिही जब…
Read Moreकिरीट सवैया : कपूत नहीं सपूत बनो
देखव ए जुग के लइका मन हावय अब्बड़ हे बदमास ग। बात कहाँ सुनथे कखरो बस दाँत निपोरय ओ मन हाँस ग। मान करे कखरो नइ जानय होवत हे मति हा अब नास ग। संगत साथ घलो बिगड़े बड़ दाइ ददा रख पाय न आस ग। पूत सपूत कहूँ मिल जातिस नैन नसीब म काबर रोतिस। राम सहीं लइका हर होतिस दाइ ददा नइ लाँघन सोतिस। जानत होतिस दाइ ददा तब फोकट बन ला काबर बोतिस। नाँव बुझावँव जे कुल के तब ओखर भार ला काबर ढोतिस। आस धरे बड़…
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