जुग जुग ले कवि गावत हावँय,नारी के महिमा। रूप अनूप निहारत दुनिया, नारी के छवि मा। प्यार दुलार दया के नारी,अनुपम रूप धरे। भुँइया मा ममता उपजाये,जम के त्रास हरे। जग के खींचे मर्यादा मा, बन जल धार बहे। मातु-बहिन बेटी पत्नी बन,सुख दुख संग सहे। मीथक ला लोहा मनवाये,नव प्रतिमान गढ़े। पुन्न प्रताप कृपा ला पाके,जीवन मूल्य बढ़े। धरती से आगास तलक ले, गूँजत हे बल हा। तोर धमक ला देख दुबक गे,धन बल अउ कल हा। नारी क्षमता देख धरागे, अँगरी दाँत तरी। जनम जनम के मतलाये मन,होगे…
Read MoreCategory: विष्णु पद
विष्णुपद: छंद – मोखारी
बबा लाय हे दतवन नोनी,दाँत बने घँसबो ! जीभ सीप के कुल्ला करबो,कुची फेंक हँसबो !!1!! बनतुलसा बर बोइर बमरी,टोर लन चिरचिरा ! करंच मउहाँ सब्बो दतवन,लीम हे किरकिरा !!2!! बमरी सोंटा के मोखारी,गाँव-गाँव चलथे ! घड़ी-घड़ी मा खेलत खावत,आज कल निकलथे !!3!! हँसिया बाँधै डँगनी धरके,दतवन अभी मिलही ! लाम छँड़ा ला टोरै सब्बो,दाँत तभे खिलही !!4!! नवा जमाना धरके आगे,टूथ ब्रस घँसरबे ! टूथ पेस्ट तो रइथे बढ़िया,देख तहूँ फँसबे !!5!! मजा कहाँ जी दतवन जइसन,करू लीम बमरी ! दाई बाबू माँगत हावै,चलना जी लमरी !!6!! बैकटेरिया मरथे…
Read Moreधूवा मारे : विष्णुपद छंद
(भ्रूण हत्या) धूवा मारे काबर पापी,पाबे का मन के ! बेटा मिलही ता का करबे,चलबे का तनके !!1!! बेटी-बेटा मा भेद करे,लाज कहाँ लगही ! नाक-कान तो बेंचे बइठे,कोन भला ठगही !!2!! नारी-नारी बर जी जलथे,मोर इही कहना ! ममता देहव तबतो दाई,सुघर संग रहना !!3!! धूवा सँचरे लालच ठाने,मशीन मा दिखथे ! चेक कराके फाँदा डारे,पापी मन हिलथे !!4!! डॉक्टर बनथे संगी तुँहरे,लोभ फूल खिलथे ! नियत-धरम के सौदा करथे,कोख तहाँ मिटथे !!5!! कतको धूवा अलहन सँचरे,मया जाल फँसके ! धूवा मारव काबर संगी,आज तुमन हँसके !!6!! नाबालिक में…
Read Moreहमर बहू – विष्णु पद छंद
कहाँ जात हस आतो भैया,ले ले सोर पता। अब्बड़ दिन मा भेंट होय हे,का हे हाल बता। घर परिवार बहू बेटा मन,कहाँ कहाँ रहिथें। नाती नतनिन होंही जेमन,बबा बबा कहिथें। अपन कहौ हमरो कुछ सुनलौ,थोकुन बइठ जहू। बड़ सतवंतिन आज्ञाकारी,हमरो हवय बहू। बड़े बिहनहा सबले पहिली,भुँइ मा पग धरथे। घर अँगना के साफ सफाई,नितदिन हे करथे। नहा खोर के पूजा करथे,हमर पाँव परथे। मन मा सुग्घर भाव जगाथे,पीरा ला हरथे। हमर सबो के जागत जागत,चूल्हा आग बरे। दुसरइया तब हमर तीर मा,आथे चाय धरे। पानी गरम नहाये खातिर,मन चाहा मिलथे।…
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