हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली। खुशी छाय हे सबो मुड़ा मा, बढ़े मया बरपेली। रिचरिच रिचरिच बाजे गेंड़ी, फुगड़ी खो खो माते। खुडुवा खेले फेंके नरियर, होय मया के बाते। भिरभिर भिरभिर भागत हावय, बैंहा जोर सहेली। हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली—-। सावन मास अमावस के दिन,बइगा मंतर मारे। नीम डार मुँहटा मा खोंचे, दया मया मिल गारे। घंटी बाजै शंख सुनावय, कुटिया लगे हवेली। हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, आये हवै हरेली-। चन्दन बन्दन पान सुपारी, धरके माई पीला। टँगिया बसुला नाँगर पूजय,…
Read MoreCategory: सार
कस्तूरी – छत्तीसगढ़ के हरियर चाँउर
छत्तीसगढ़ के हरियर चाँउर, होथे सबले बढ़िया एखर बारे मा नइ जाने, सब्बो छत्तीसगढ़िया ।। दुरुग अउर धमतरी जिला मा, एखर खेती होथे फेर अभी कमती किसान मन, एखर बीजा बोथे।। सन् इकहत्तर मा खोजिन अउ नाम रखिन कस्तूरी छत्तीसगढ़ महतारी के ये, हावय हरियर चूरी।। वैज्ञानिक मन शोध करत हें, कइसे बाढ़े खेती कस्तूरी के फसल दिखय बस, जेती जाबो तेती।। हर किसान ला मिलै फायदा, ज्यादा मनखे खावँय छत्तीसगढ़ के कस्तूरी के, गुन दुनिया मा गावँय।। ग्लुटेन एमा नइ चिटिको, रखे वजन साधारण कैंसर के प्रतिरोधक क्षमता, क्लोरोफिल…
Read Moreसार छंद : पूछत हे जिनगानी
घर के बोरिंग बोर सुखागे, घर मा नइ हे पानी। टंकर कतका दिन सँग दीही, पूछत हे जिनगानी। नदिया तरिया बोरिंग मन तो, कब के हवैं सुखाये। कहूँ कहूँ के बोर चलत हे, हिचक हिचक उथराये। सौ मीटर ले लइन लगे हे, सरलग माढ़े डब्बा। पानी बर झींका तानी हे, करलाई हे रब्बा। चार खेप पानी लानत ले, माथ म आगे पानी। टंकर कतका दिन सँग दीही, पूछत हे जिनगानी। सोंचे नइ हन अतका जल्दी, अइसन दिन आ जाही। सोंच समझ मा होगे गलती, अब करना का चाही। बारिश के…
Read Moreविश्व जल संरक्षण दिवस : सार छंद मा गीत – पानी जग जिनगानी
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा। पानी बिन मुसकुल हे जीना, पानी प्रान पियारा। जीव जगत जन जंगल जम्मो, जल बिन जर मर जाही। पाल पोस के पातर पनियर, पानी पार लगाही। ए जग मा जल हा सिरतो हे, सबके सबल सहारा। पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।1 तरिया नँदिया लहुटय परिया, धरती दाई रोवय। रुख राई हा ठुड़गा ठुँठवा, बादर बरसा खोवय। मनखे के हे ए सब करनी, भोगय जग संसारा। पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।2 राहत भर ले सेखी मारे, भर भर उलचे भारी।…
Read Moreकका के बिहाव : सार-छंद
कका बता कब करबे शादी, देख जवानी जाथे ! बइठे रोथे दादी दादा, संसो घानी खाथे !!1!! ढ़ींचिक-ढ़ींचिक नाचत जाबो, बनके तोर बराती ! पागा-पगड़ी माथ बँधाये, देखे राह घराती !!2!! गँड़वा-डीजे जेन लगाले, नागिन पार बजाबो ! बुड़हा-बुड़ही रंग जमाही, सबला खींच नचाबो !!3!! दाई कइही जी देरानी, घर अँगना के रानी! आव-भाव मा देवी रइही, देही सबला पानी !!4!! रोजगार के करले जोखा, करथच रोज बहाना ! गाँव गली मा सुनथे बाबू, देथैं कतको ताना !!5!! नवा-नवा तो कपड़ा लाबे, बनबे बढ़िया राजा ! इसनो अबरख साज लगाबे,…
Read Moreकान्हा मोला बनादे : सार छंद
पाँख मयूँरा मूड़ चढ़ादे,काजर गाल लगादे| हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे | बाँध कमर मा करधन मोरे,बाँध मूड़ मा पागा| हाथ अरो दे करिया चूड़ा,बाँध गला मा धागा| चंदन टीका माथ लगादे ,ले दे माला मूँदी| फूल मोंगरा के गजरा ला ,मोर बाँध दे चूँदी| हार गला बर लान बनादे,दसमत लाली लाली | घींव लेवना चाँट चाँट के,खाहूँ थाली थाली | दूध दहीं ला पीयत जाहूँ,बंसी बइठ बजाहूँ| तेंदू लउड़ी हाथ थमादे,गाय चराके आहूँ| महानदी पैरी जस यमुना ,कदम्ब कस बर पीपर | गोकुल कस सब गाँव गली हे…
Read Moreभोले बाबा : सार छंद
डोल डोल के डारा पाना ,भोला के गुन गाथे। गरज गरज के बरस बरस के,सावन जब जब आथे। सोमवार के दिन सावन मा,फूल दूब सब खोजे। मंदिर मा भगतन जुरियाथे,संझा बिहना रोजे। कोनो धरे फूल दसमत के ,केसरिया ला कोनो। दूबी चाँउर छीत छीत के,हाथ ला जोड़े दोनो। बम बम भोला गाथे भगतन,धरे खाँध मा काँवर। भोला के मंदिर मा जाके,घूमय आँवर भाँवर। बेल पान अउ चना दार धर,चल शिव मंदिर जाबों। माथ नवाबों फूल चढ़ाबों ,मन चाही फल पाबों। लोटा लोटा दूध चढ़ाबों ,लोटा लोटा पानी। सँवारही भोले बाबा…
Read Moreसावन बइरी (सार छंद)
चमक चमक के गरज गरज के, बरस बरस के आथे। बादर बइरी सावन महिना, मोला बड़ बिजराथे। काटे नहीं कटे दिन रतिहा, छिन छिन लगथे भारी। सुरुर सुरुर चलके पुरवइया, देथे मोला गारी। रहि रहि के रोवावत रहिथे, बइरी सावन आके। हाँस हाँस के नाचत रहिथे, डार पान बिजराके। पूरा छंद ये कड़ी म पढ़व..
Read Moreसार – छंद : चलो जेल संगवारी
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी. जिहाँ लिहिस अउंतार कृष्ण हर, भगत मनन ला तारिस दुष्ट मनन-ला मारिस अऊ भुइयाँ के भार उतारिस उही किसम जुरमिल के हम गोरा मन-ला खेदारीं अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. कृष्ण-भवन-मां हमू मनन, गाँधीजी सांही रहिबो कुटबो उहाँ केकची तेल पेरबो, सब दु:ख सहिबो चाहे निष्ठुर मारय-पीटय, चाहे देवय गारी. अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. बड़ सिधवा बेपारी बन के, हमर देश मां आइस हमर – तुम्हर…
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