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आल्हा छंद

मैं वीर जंगल के : आल्हा छंद

झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिंहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा कूसा, हरे हमर मेवा मिष्ठान। जंगल झाड़ी ठियाँ ठिकाना,लगथे मोला सरग समान। कोसा लासा मधुरस चाही,नइ चाही मोला धन सोन। तेंदू पाना चार चिरौंजी,संगी मोर साल सइगोन। घर के बाहिर हाथी घूमे,बघवा भलवा बड़ गुर्राय। […]

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आल्हा छंद

छत्तीसगढ़ के वीर बेटा – आल्हा छंद

महतारी के रक्षा खातिर,धरे हवँव मैं मन मा रेंध। खड़े हवँव मैं छाती ताने,बइरी मारे कइसे सेंध। मोला झन तैं छोट समझबे,अपन राज के मैंहा वीर। अब्बड़ ताकत बाँह भरे हे , रख देहूँ बइरी ला चीर। तन ला मोर करे लोहाटी ,पसिया चटनी बासी नून। बइरी मन ला देख देख के,बड़ उफान मारे गा […]

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छंद विष्णु पद

हमर बहू – विष्णु पद छंद

कहाँ जात हस आतो भैया,ले ले सोर पता। अब्बड़ दिन मा भेंट होय हे,का हे हाल बता। घर परिवार बहू बेटा मन,कहाँ कहाँ रहिथें। नाती नतनिन होंही जेमन,बबा बबा कहिथें। अपन कहौ हमरो कुछ सुनलौ,थोकुन बइठ जहू। बड़ सतवंतिन आज्ञाकारी,हमरो हवय बहू। बड़े बिहनहा सबले पहिली,भुँइ मा पग धरथे। घर अँगना के साफ सफाई,नितदिन हे […]

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छंद पकैया

छन्न पकैया : पकैया छ्न्द

छन्न पकैया छन्न पकैया,पक्का हम अपनाबो नइ लेवन अब चीनी राख़ी,देशी राखी लाबो। छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी आँसों आबे। हमर देश के रेशम डोरी,सुग्घर तैं पहिराबे। छन्न पकैया छन्न पकैया,चीनी झालर टारव झन लेवव जी उँकर माल ला,माटी दीया बारव। छन्न पकैया छन्न पकैया,झगरा चीन ल प्यारा हिन्दी चीनी भाई भाई,झूठा हावय नारा। छन्न पकैया […]

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छंद सार

कान्हा मोला बनादे : सार छंद

पाँख मयूँरा मूड़ चढ़ादे,काजर गाल लगादे| हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे | बाँध कमर मा करधन मोरे,बाँध मूड़ मा पागा| हाथ अरो दे करिया चूड़ा,बाँध गला मा धागा| चंदन टीका माथ लगादे ,ले दे माला मूँदी| फूल मोंगरा के गजरा ला ,मोर बाँध दे चूँदी| हार गला बर लान बनादे,दसमत लाली लाली | घींव […]

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छंद सार

भोले बाबा : सार छंद

डोल डोल के डारा पाना ,भोला के गुन गाथे। गरज गरज के बरस बरस के,सावन जब जब आथे। सोमवार के दिन सावन मा,फूल दूब सब खोजे। मंदिर मा भगतन जुरियाथे,संझा बिहना रोजे। कोनो धरे फूल दसमत के ,केसरिया ला कोनो। दूबी चाँउर छीत छीत के,हाथ ला जोड़े दोनो। बम बम भोला गाथे भगतन,धरे खाँध मा […]

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गीतिका

बरसात : गीतिका छंद

आज बादर बड़ बरसही,जाम कस करियाय हे। नाच के गाके मँयूरा ,नीर ला परघाय हे। भर जही अब ताल डबरी,एक होही खोंचका। दिन किसानी के हबरही, मन भरे ये सोच गा। ढोड़िया धमना ह भागे,ए मुड़ा ले वो मुड़ा। साँप बिच्छू घर म घूँसे,डर हवय चारो मुड़ा। बड़ चमकथे बड़ गरजथे,देख ले आगास ला। धर […]

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छंद सार

सावन बइरी (सार छंद)

चमक चमक के गरज गरज के, बरस बरस के आथे। बादर बइरी सावन महिना, मोला बड़ बिजराथे। काटे नहीं कटे दिन रतिहा, छिन छिन लगथे भारी। सुरुर सुरुर चलके पुरवइया, देथे मोला गारी। रहि रहि के रोवावत रहिथे, बइरी सावन आके। हाँस हाँस के नाचत रहिथे, डार पान बिजराके। पूरा छंद ये कड़ी म पढ़व..

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छंद सरसी

खुमरी : सरसी छंद

बबा बनाये खुमरी घर मा,काट काट के बाँस। झिमिर झिमिर जब बरसे पानी,मूड़ मड़ाये हाँस। ओढ़े खुमरी करे बिसासी,नाँगर बइला फाँद। खेत खार ला घूमे मन भर,हेरे दूबी काँद। खुमरी ओढ़े चरवाहा हा, बँसुरी गजब बजाय। बरदी के सब गाय गरू ला,लानय खार चराय। छोट मँझोलन बड़का खुमरी,कई किसम के होय। पानी बादर के दिन […]

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छंद दोहा

योग के दोहा

महिमा भारी योग के,करे रोग सब दूर। जेहर थोरिक ध्यान दे,नफा पाय भरपूर। थोरिक समय निकाल के,बइठव आँखी मूंद। योग ध्यान तन बर हवे,सँच मा अमरित बूंद। योग हरे जी साधना,साधे फल बड़ पाय। कतको दरद विकार ला,तन ले दूर भगाय। बइठव पलथी मार के,लेवव छोंड़व स्वॉस। राखव मन ला बाँध के,नवा जगावव आस। सबले […]