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कुकुभ छंद

योग करव जी (कुकुभ छंद)

मनखे ला सुख योग ह देथे,पहिली सुख जेन कहाथे । योग करे तन बनय निरोगी,धरे रोग हा हट जाथे।।1 सुत उठ के जी रोज बिहनियाँ,पेट रहय गा जब खाली । दंड पेल अउ दँउड़ लगाके, हाँस हाँस ठोंकव ताली ।।2 रोज करव जी योगासन ला,चित्त शांत मन थिर होही । हिरदे हा पावन हो जाही,तन […]

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चौपाई छंद दोहा

दानलीला कवितांश

जतका दूध दही अउ लेवना। जोर जोर के दुध हा जेवना।। मोलहा खोपला चुकिया राखिन। तउन ला जोरिन हैं सबझिन।। दुहना टुकना बीच मढ़ाइन। घर घर ले निकलिन रौताइन।। एक जंवरिहा रहिन सबे ठिक। दौरी में फांदे के लाइक।। कोनो ढेंगी कोनो बुटरी। चकरेट्ठी दीख जइसे पुतरी।। एन जवानी उठती सबके। पंद्रा सोला बीस बरिसि […]

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चौपाई छंद दोहा

उत्तर कांड के एक अंश छत्तीसगढी म

अब तो करम के रहिस एक दिन बाकी कब देखन पाबों राम लला के झांकी हे भाल पांच में परिन सबेच नर नारी देहे दुबवराइस राम विरह मा भारी दोहा – सगुन होय सुन्दर सकल सबके मन आनंद। पुर सोभा जइसे कहे, आवत रघुकुल चंद।। महतारी मन ला लगे, अब पूरिस मन काम कोनो अव […]

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छंद रोला

मजबूर मैं मजदूर

करहूँ का धन जोड़,मोर तो धन जाँगर ए। गैंती रापा संग , मोर साथी नाँगर ए। मोर गढ़े मीनार,देख लमरे बादर ला। मिहीं धरे हौं नेंव,पूछ लेना हर घर ला। भुँइयाँ ला मैं कोड़, ओगथँव पानी जी। जाँगर रोजे पेर,धरा करथौं धानी जी। बाँधे हवौं समुंद,कुँआ नदियाँ अउ नाला। बूता ले दिन रात,हाथ उबके हे […]

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चौपाई

महतारी दिवस विशेष : दाई

दाई (चौपई छंद) दाई ले बढ़के हे कोन। दाई बिन नइ जग सिरतोन। जतने घर बन लइका लोग। दुख पीरा ला चुप्पे भोग। बिहना रोजे पहिली जाग। गढ़थे दाई सबके भाग। सबले आखिर दाई सोय। नींद घलो पूरा नइ होय। चूल्हा चौका चमकय खोर। राखे दाई ममता घोर। चिक्कन चाँदुर चारो ओर। महके अँगना अउ […]

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चौपाई

महतारी दिवस विशेष : महतारी महिमा

महतारी महिमा (चौपई/जयकारी छन्द 15-15 मातरा मा) ईश्वर तोर होय आभास, महतारी हे जेखर पास। बनथे बिगङी अपने आप, दाई हरथे दुख संताप।।१ दाई धरती मा भगवान, देव साधना के बरदान। दान धरम जप तप धन धान, दाई तोरे हे पहिचान।।२ दाई ममता के अवतार, दाई कोरा गंगा धार। महतारी के नाँव तियाग, दाई अँचरा […]

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कुण्‍डलियॉं

सज्जन के संग : कोदूराम दलित के कुण्‍डलियॉं

सेवा दाई ददा के रोज करत तुम जाव मानो उनकर बात ला अऊर सपूत कहाव अऊर सपूत कहाव, बनो तुम सरबन साँही पाहू आसिरवाद तुम्हर भला हो जाही करथंय जे मन सेवा ते मन पाथंय मेवा यही सोच के करौ ददा-दाई के सेवा। धरती ला हथियाव झन, धरती सबके आय ये महतारी हर कभू ककरो […]

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कविता दोहा

पद्मश्री डॉ॰ मुकुटधर पाण्डेय के कविता

प्रशस्ति सरगूजा के रामगिरी हे मस्तक मुकुट सँवारै, महानदी ह निर्मल जल मा जेकर चरन पखारै। राजिम औ सिवरीनारायण छेत्र जहां छबि पावै, ओ छत्तिसगढ़ के महिमा ला भला कवन कवि गावै। है हयवंसी राजा मन के रतनपूर रजधानी, गाइस कवि गेपाल राम परताप सुअमरित बानी। जहाँ वीर गोपालराय काकरो करै नइ संका, जेकर नाम […]

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गीत सार

सार – छंद : चलो जेल संगवारी

अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी. जिहाँ लिहिस अउंतार कृष्ण हर, भगत मनन ला तारिस दुष्ट मनन-ला मारिस अऊ भुइयाँ के भार उतारिस उही किसम जुरमिल के हम गोरा मन-ला खेदारीं अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. कृष्ण-भवन-मां हमू मनन, गाँधीजी सांही […]

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किताब कोठी दोहा

दोहा के रंग : दोहा संग्रह

छत्तीसगढ़ मा छन्द-जागरण ये जान के मन परसन होईस कि नवागढ़ (बेमेतरा) के कवि रमेश कुमार सिंह चौहान, दोहा छन्द ऊपर “दोहा के रंग” नाम के एक किताब छपवात हे। एखर पहिली रमेश चौहान जी के किताब “सुरता” जेमा छत्तीसगढ़ी कविता, गीत के अलावा कई बहुत अकन छंद के संग्रह हे, छप चुके हे. कुछ […]