नाटक : रसपिरिया

जान -चिन्हार पँचकौड़ी मुरदुंगिहाः- मुरदुंगिहा मोहना चरवाहाः- दस-बारा बच्छर के लइका रमपतियाः- मोहना चरवाहा के दाई जोधन गुरूः- रमपतिया के ददा चरवाहा:-1 दिरिस्य:-1 ठौर:- गौचर पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- मोहना ला देख के ऑंखि मा ऑंसू आ जाथे सुग्घर अति सुग्घर मोहना:- मुचमुचात तोर अँगठी रसपिरिया बजात टेड़गी होगिस हावय ना पँचकौड़ी मुरदुंगिहा:- ऐं! रसपिरिया ? हॉं, नह, तैंहर कइसे— तैंहर काहॉं सुने बे—। परमानपुर के गांव के लइकामन ओला एक घ एकझन बाम्हन के लइका ला बेटा किहिस ता पीट दे रिहिन। ओकर कान मा गूंजत हावय। लइकामन:- बहरदार होके बाम्हन…

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छत्‍तीसगढ़ी नाटक : संदेसिया

दिरिस्य -1 सू़त्रधारः- बड़खा हवेली आप नाममात्र बर बढ़खा हवेली हावय, जिहॉं रात दिन कमिया कमेलिन मन अउ रेजा कुली मन के भीड़ लगे रहय, उहॉं आज हवेली के बड़की बोहोरिया आपन हाथ ले सूपा मा अनाज पछनत हावय, इ हाथमन मा मेंहदी लगाके गॉंव के नउवाइन परिवार पलत रिहिस।काहॉं चल दिस वो दिन हर, बड़खा भइया के मरे के पाछू सबो खेल खतम हो गिस। तीनों भाई मन लड़ाई झगरा शुरू कर दिन, रेयती ह जमीन मा दावा करके दखल कर दिस, फेर तीनों भाईमन गॉंव छांड़के सहर मा…

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मया के मुंदरी

दिरिस्य:- 1 ठान:- दसरथ के महल दसरथ:- बसीगुरू मोला देखके तुंहला कुछु सवनसे नीए। बसीगुरू:- काय कहत हस तेला नी समझत हावौं राजा। दसरथ:- मैंहर बुढ़वा होत जात हावौं, आभी ले मोर लइका नी होइस हावय, मोर राजगद्दी ला कोन संभालही। बसीगुरू:- एला मैंहर बड़ दिन ले सोचत रेहें, सांता रिहिस तेला घलोक सिरिंगी करा बिहाव कर देवा, कहूं ओहर रइथिस ता राज ला कर लेथिस। दसरथ:- मैंहर मोर राज ला नोनी ला दिंहा, मोला बाबू चाही बसीगुरू! चाहे कइसनो करके मिले, बाबूमन राजगद्दी संभालथे ता मजा आथे बसीगुरू महाराज।…

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नील पद्म शंख

अघवा: मया के सपना पिछवा: घोर कसमकस परदा भीतरी ले मया आगि हवय, कोन्हों बुता नी सकंय। मया धंधा हवय, कोन्हो जान नी सकंय।। मया मिलाप हवय, कोन्हों छॉंड़ नी सकंय। मया अमर हवय, कोन्हों मेटा नी सकंय।। जान चिन्हार नील – नायिका पद्म – नायिका शंख – नायक रतन – शंख का मितान कैंची – नील के गिंया पिंयारी – पद्म के गिंया मानव – नील के ददा मनुप्रताप – पद्म के ददा आरती – पद्म के दाई बंदन – शंख के दाई अउ आखिर मा बॉंधोसिंह – शंख…

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समारू कका आई पी एल मैच के दिवाना

समारू कका – हालो…हालो…. महराज- हलो…कौन? समारू कका – या मोला भाखा ल नई ओरखत हस का महराज, मय समारू बोलत हवं गांव ले. महराज – समारू कका जय जोहार. समारू कका- जय जोहार महराज. महराज – अब्बड़ दिन म फोन करे समारू कका. समारू कका – हव महराज मोबईल के बच्चादानी म सूजन आगे रहीस त मोबईल नई चलत रहीस एदे नवा बच्चादानी डलवाय हवं. महराज- मोबाईल के बच्चादानी म सूजन, ये का होथे कका? समारू कका – मोबईल के बच्चा दानी माने बैटरी महराज, मोबईल के बैटरी नगत…

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चित्रगुप्त के इस्तीफा

यमराज – मिरतू के देवता चित्रगुप्त – यमराज के मुकरदम, जीव मन के पाप-पुण्य के हिसाब रखईया यमदूत – यमराज के दूत एक आत्मा – टेस्ट-ट्यूब बेबी के आत्मा दूसरा आत्मा – कोख किराया लेके पैदा होये मनखे के आत्मा तीसर आत्मा – क्लोन के आत्मा ब्रम्हा, विष्नु, महेष –  त्रिदेव ( यमलोक म यमराज के राज-दरबार म यमराज अउ चित्रगुप्त गोठियात हें ) यमराज – इस्तीफा ? चित्रगुप्त – हाँ महराज मोर इस्तीफा। यमराज – इस्तीफा ! ये इस्तीफा काये चित्रगुप्त ? चित्रगुप्त – इस्तीफा, इस्तीफा होथे महराज। यमराज…

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