फिलिम के हीरो प्रकाश अवस्थी जी के पहचान फिलिम में एक अलगे अंदाज म होइस हवे। ये फिलिम म धरम और जात बिरादरी ऊंच नीच के भावना ले दुरिहा पियार अउ मया के जेन रूप होथे तेन ला दिखाय गे हवे, अउ ये फिलिम म हमर स्वच्छ भारत अभियान के जेन मिशन हे तेखर बारे में भी बने किसम से समझाय गे हवे। फिलिम के गाना मन हर मज़ेदार हे अउ जेन लोकेशन हे तेहु भारी सुघ्घर हवे। फिलिम म मनाली के बर्फीला घाटी के जेन सीन दिखाय हे ते…
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राजा छत्तीसगढ़िया 2 म हवय आज के कहानी
फिलिम के कहानी म एक परदेसिया अपन परिवार सहित छत्तीसगढ़ म आथे, इंहा आके छत्तीसगढ़िया किसान मेर गिड़गिड़ाथे नौकरी के भीख मांगथे। छत्तीसगढ़िया किसान ओकर दुःख ल देखे नई सकय, काबर कि छत्तीसगढ़िया मन सिधवा, भोला अउ दयालू रहिथेंं। ओ किसान ओ परदेसिया ल अपन घर म राख लेथे। धीरे-धीरे ओ परदेशिया ह पूरा गांव के भोला-भाला छत्तीसगढ़िया मन के विश्वास ल जीतथे अउ ओ गांव के सरपंच बन जाथे। थोरकेच दिन म विधायक बन जाथे। अपन परदेशिया संगी मन संग मिल के ओ ह धीरे-धीरे गांव के सबो किसान…
Read Moreजयंत साहू के गोठ बात : फिल्म सिनेमा एवार्ड बोहागे धारे-धार
छत्तीसगढ़ी सिनेमा म घलो अब पराबेट संस्था समूह डहर ले इनाम बांटे के प्रचलन सुरू होगे। बिते बखत पेपर म पढ़े बर मिलीस की छत्तीसगढ़ी सिने एवार्ड दे जाही। कोन कोन ह सम्मान के हकदार होही तेकर चुनई करे बर जुरी बने हे। जुरी म चुरी पहिनईया मन नही बल्कि पढ़े लिखे कलमकार मन हाबे। ये बात के गम पायेव त मन ल संतोश होइस की निर्णय सही-सही होही। काबर की सही निर्णायक के नइ रेहे ले इनाम ल अपने चिन पहिचान के आदमी ल देके परयास घलो रिथे। कभु…
Read Moreमितान के मया देखे बर उमड़िस भीड़
‘मितान’ परंपरा ला अपन छत्तीसगढ़ी फिलिम ‘मितान 420’ मा संघारत फिलिम बनाए हे। ओखर बाते अलग हे। पहिली च दिन सिनेमा ला देखे बर अतका भीड़ उमिड़स कि देखइया-सुनइया के संग फिलिम के कलाकार, गीतकार, संगीतकार, अउ जम्मो छत्तीसगढ़ी सिनेमा ले जुड़े लोगन गदगद होगे। फिलिम के मनभावन गीत घलो चर्चा मा हे। जेमा से खास गीत हे- कुहुक, कुहुक बोले काली कोयरिया, मन के मंजूर नाचे संगी मोर….। उछाह अउ उमंग भरे गीत सुनके मन मगन हो जथे। दूसरइया गीत हे जादू चलाए वो, बइहा बनाए ना तोर खोपा…
Read Moreफिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
एक-एक ईंटा, एक-एक पथरा, रेती-सीमेंट अउ बड़ अकन मकान बनाए के जीनीस ले मिस्री ह एक सुग्घर मकान, भवन, महल के निर्माण करथे। ठीक वइसने एक फिलीम के निरमान म नान-नान जीनीस अउ कई झन व्यक्ति के सहयोग ले होथे। फिलीम म बाल कलाकर मन के भूमिका ल घलो छोड़े नई जा सकय। चाहे वो फिलीम मुंबइया हो, बंगाली हो, दक्षिण भारतीय हो उड़िया हो या फेर हमर छत्तीसगढ़िया हो। छत्तीसगढ़िया फिलीम के बाल कलाकार ले मोर भेंट होईस त मोला लागिस कि छत्तीसगढिया फिलीम घलो बाल कलाकार के बिना अधूरा…
Read Moreफिल्मी गोठ: फिलमी लेखक अउ पारिश्रमिक 8 नव
छत्तीसगढ़ के फिलीम उद्योग म पटकथा अउ पटकथा लेखक मन बर उदासीनता दिखाई देथे। मानदेय के कमी या फेर फोकट म पटकथा लेना लेखक मन ल निरास कर दे हावय। बने लेखक अउ बने पटकथा के कमी के कारन इही आय। बने मानदेय के घोसना होय ले पटकथा पटा जही और छालीवुड म फिलीम के सुग्घर पंक्ति खड़ा हो जही। जब फिलीम हा परदा म दिखथे, हीरो नाचथे, हिरवइन झूमथे, खलनायक हा मार खाथे, गीत हा हिरदे म छा जाथे बाजा हा बढ़िया-बढ़िया बाजथे त सिरतोन म मजा आ जाथे।…
Read Moreफिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
एक-एक ईंटा, एक-एक पथरा, रेती-सीमेंट अउ बड़ अकन मकान बनाए के जीनीस ले मिस्री ह एक सुग्घर मकान, भवन, महल के निर्माण करथे। ठीक वइसने एक फिलीम के निरमान म नान-नान जीनीस अउ कई झन व्यक्ति के सहयोग ले होथे। फिलीम म बाल कलाकर मन के भूमिका ल घलो छोड़े नई जा सकय। चाहे वो फिलीम मुंबइया हो, बंगाली हो, दक्षिण भारतीय हो उड़िया हो या फेर हमर छत्तीसगढ़िया हो। छत्तीसगढ़िया फिलीम के बाल कलाकार ले मोर भेंट होईस त मोला लागिस कि छत्तीसगढिया फिलीम घलो बाल कलाकार के बिना…
Read Moreफिल्मी गोठ : फिलीम अउ साहित्य
को नों भी सुग्घर अउ महान फिलीम म या कहन कि जनप्रिय अउ मनप्रिय फिलीम म साहित्य के इसथान कहूं न कहूं जरूर रहिथे अउ कोनो फिलीम म साहित्य हे त निश्चित रूप ले वो महान कृति बन जाथे। हम बालीवुड के गोठ करन तब तो अइसन बड़ अकन फिलीम हा जुबान म आ जाथे, लेकिन जब हम छालीवुड माने छत्तीसगढ़ी फिलीम के बात ल लाथन त एक दू ठन फिलीम ला छोड़के अउ मोला फिलीम नइ दिखय जऊन म कोनो भी रूप म साहित्य के दर्शन होथे। साहित्य समाज…
Read Moreफिल्मी गोठ : झन मारव गुलेल
ये बछर ह छत्तीसगढ़ राज बने के दसवां बछर आय। फेर ये दस बछर ह छत्तीसगढ़ी फिलिम के माध्यम ले छत्तीसगढ़िया मन के दस किसम के गति कर डारे हे। निश्चित रूप ले अइसन दृश्य ले बाहिर निकले के जरूरत हे। हम ये बात ल ठउका जानथन के बरसा के पानी ह तुरते उपयोग के लायक कभू नई राहय। छत्तीसगढ़ी भाखा के पहिली फिलिम ‘कहि देबे संदेश’ ले चले फिलिम यात्रा ह आज कई कोस के सफर तय कर डारे हे, फेर जस-जस वोकर यात्रा के सफर बाढ़त हे, तस-तस…
Read Moreअश्लीलता के सामूहिक विरोध जरूरी हे
फिलमी गोठ आधा-आधा कपड़ा पहिरे टुरी मन के दृश्य के बहिष्कार होना चाही। अभी एखर बर कुछु नई करेन त ये मान लन कि ये बाढ़ हा हम सब ला बोहा के ले जाही। हमर मन बर बताए अउ देखाए बर कुछ नई रहहि, ऊटपटांग लिखना फिलिम के कहानी म मौलिकता के अभाव दिखना, दृस्य म अस्लीलता के प्रभाव बढ़ना ये सब छत्तीसगढ़ बर बने नोहय। हमर छत्तीसगढ़ी फिलिम उद्योग म अइसन खतरनाक-खतरनाक प्रयोगवादी मन आ गे हें कि अब तो अइसे लागत हे जइसे आम दरसक अउ खास दरसक…
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