इस्कुली कार्यकरम मं पंचायत बॉडी के सदस्य ल ही मुख्य अतिथि के खुरसी मं बिराजमान होना हे। सब ला खुरसी मिलना चाही। मास्टर मन तो सालभर खुरसी मं बइठ के खुरसी टोरत रइथें। मास्टर मन कोती ले हमर सेवा सत्कार होना चाही अउ एक बात के बिल्कुल धियान रखना हे के सब ला खुरसी जरूर मिलना चाही। उंकर झंडा-फंडा अउ गवई-बजई ले जादा अपन के मतलब रखना हे। अउ कोनो मास्टर हमर पंचायत बॉडी अउ गांव वाले के मीनमेख कहूं निकालिस ते उंकर सतपुरखा मं पानी रितोना हे। एक बात…
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गुरू जी अउ नाँग देवता के पीरा
आज बड़े मुंदरहा गुरू जी के नींद उचटगे। अलथी-कलथी देवत बिहिनिया होगे। जइसे कुकरा बासिस, गुरू जी हर रटपट उठ के तियार होय ल लगिस ”अइसे तो बड़े मुंदारहा ले गुरू जी हर कभू नई उठे सूरूज देव जब अगास में चढ़ जाथे तब इंकर बिहिनिया होथे?” अइसने सोंचत मास्टरिन हर ओला पूछ पारिस। ”आज का हो गे हे, बड़े बिहिनिया ले लकर-धकर तियार होवत हो?” मास्टरिन के सवाल ल सुन के गुरू जी हर अकबका गे। ओहर कहिस- ”तोला नइ मालूम का, आज 5 सितंबर हे?” ”5 सितंबर हे…
Read Moreव्यंग्य : बड़का कोन
सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर बबा ….. अच्छा नी लगे। वइसे भी तोर ले बड़का कन्हो मनखे निये हमर देस म, तोला ककरो पांव नी परना चाही। गांधी किथे – तोर जय होय जनता जी। भारत म तोर से बड़का…
Read Moreमोर तिर बोट हे …
एक गांव म किसिम किसिम के मनखे रहय। कन्हो करिया कन्हो गोरिया, कन्हो अमीर कन्हो गरीब, कन्हो निरबल कन्हो बलवान, कन्हो चरित्रवान कन्हो चरित्रहीन, कन्हो दयालु कन्हो निरदई, कन्हो अऊ काहीं …। सबला अपन अपन कनडीसन उपर गरब रहय। मऊका मउका म, गोरिया हा करिया उपर जबरन भारी परे बर धरय त, अमीर हा गरीब उपर … कभू बलवान हा निरबल ला जबरन डरवावय त, चतित्रहीन हा चरित्रवान के छीछालेदर कर देवय। निरदई के आगू म दयालु हा घुटना टेके बर मजबूर रहय। उही गांव म अइसे कतको परानी रहय,…
Read Moreव्यंग्य : बड़का कोन
सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर बबा ….. अच्छा नी लगे। वइसे भी तोर ले बड़का कन्हो मनखे निये हमर देस म, तोला ककरो पांव नी परना चाही। गांधी किथे – तोर जय होय जनता जी। भारत म तोर से बड़का…
Read Moreमुद्दा के ताबीज
केऊ बछर के तपसिया के पाछू सत्ता मिले रहय बपरा मनला। मुखिया सोंचत रहय के, कइसनों करके सत्ता म काबिज बने रहना हे। ओहा हरसमभव उपाय करे म लगे रहय। ओकर संगवारी हा देसी तरीका बतावत, एक झिन लोकतंत्र बाबा के नाव बताइस जेहा, ताबीज बांध के देवय। लोकतंत्र बाबा के ताबीज बड़ सरतियां रिहीस। जे मनखे ओकर ताबीज पहिर के, ओकर बताये नियम धरम के पालन करय तेला, ओकर वांछित फल खत्ता म मिलय। एक दिन लोकतंत्र बाबा तिर पहुंचगे मुखिया हा। बाबा तकलीफ पूछिस। मुखिया कहिथे – तकलीफ…
Read Moreबियंग: ये दुनिया की रस्म है, इसे मुहब्बत न समझ लेना
मेंहा सोंचव के तुलसीदास घला बिचित्र मनखे आय। उटपुटांग, “ भय बिनु होई न प्रीति “, लिख के निकलगे। कन्हो काकरो ले, डर्रा के, परेम करही गा तेमा …… ? लिखने वाला लिख दिस अऊ अमर घला होगे। मेहा बिसलेसन म लग गेंव। सुसइटी म चऊंर बर, लइन लगे रहय। पछीना ले तरबतर मनखे मन, गरमी के मारे, तहल बितल होवत रहय। सुसइटी के सेल्समेन, खाये के बेरा होगे कहिके, सटर ला गिरावत रहय, तइसने म खक्खू भइया पहुंचगे। गिरत सटर अपने अपन उठगे, खक्खू भइया के चऊंर तऊलागे, पइसा…
Read Moreचुनाव अउ मंदहा सेवा
चुनाव तिहार के बेरा आवत देख मंदहा देवता हा अइलाय भाजी मा पानी परत हरियाय बरोबर दिखे लगथे।थोकिन अटपटहा लगही कि मेहा मंदहा ला देवता कहि परेंव फेर चुनाव के बेरा मा सबके बिगड़ी बनइया काम सिधोइया इहीच हा आय। जइसे चुनाव के लगन फरिहाथे दिन तिथी माढ़थे तब गाँव के मंदहा समूह के खुशी ला झन पूछ ,शेर बर सवा शेर हो जाथे। मंदहा ला का चाही, तीन बेर पीना शेर बरोबर जीना। अब तो कोनो संस्था , समाज, लोकतंत्र के चुनई हा बिगर मंद, मंदहा के निपट जाही…
Read Moreहोली विशेष राशिफल
होली के रंग —– राशिफल के संग हमर हिन्दू धर्म में पंचांग के बहुत महत्व हे। कोई भी काम करथन त पहिली पंचांग देखथन तब काम के शुरूआत करथन। राशिफल ह हमर जीवन में बहुत महत्व रखथे । एकर से हमला शुभ – अशुभ के जानकारी होथे । होली के शुभ अवसर में ज्योतिषाचार्य स्वामी भकानंद महाराज जी के द्वारा भांग के नशा में बनाय गे राशिफल आप मन के सामने प्रस्तुत हे —- मेष —–( अ,चु, चे, चो, ला, ली,लू,ले, ) ए साल ह मेष राशि वाला मन बर…
Read Moreरखवारी
जनगल के परधान मनतरी हा, जनगल म परत घेरी बेरी के अकाल दुकाल के सेती बड़ फिकर करय। जे मुखिया बनय तिही हा, जनगली जानवर मन के फिकर म दुबरा जाये। एक बेर एक झिन मुखिया ला पता चलिस के, दूर देस के जनगल म, एक ठिन अइसे चीज के निरमान होये हे, जेला सिरीफ अपन तिर राखे ले, भूख गरीबी डर भय अपने अपन मेटा जथे। बड़ महंगुलिया आइटम रिहीस हे फेर, जनता के सेवा बर बिसाना घला जरूरी रिहीस। ओहा वो आइटम ला बिसाये के तै करिस। उधारी…
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