चुनावी घोसना पत्र

हमर देस म जतेक खबसूरत चीज हे तेमा, चुनावी घोसना पत्र के नाव पहिली नमबर म गिने जाथे। एकर खबसूरती अतेक के, येमा कोन नी मोहाये। सुनदर ले सुनदर अऊ जवान ले जवान हिरवइन ला, येकर आगू म खड़ा करा दव। हिरवइन ले जादा ले जादा मोहाइच जही त, जवनहा मन, या पइसा वाला सियान मन, या नाव वाला अधेड़ मन। फेर भगवान घला, का गड़हन के बनइस होही, बइरी चुनावी घोसना पत्र के थोथना ला के, का लइका का सियान, का मजदूर का किसान, का अमीर का गरीब, का…

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चुनाव आयोग म भगवान

भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू करे के पहिली, अपन देवता ला जरूर सुमिरय। बिहिनिया ले तियार होके निकलीन। मनदीर ले भगवान गायब रहय, मसजिद ले अल्लाह कती मसक दे रहय, चर्च ले ईसा गायब त, गुरूद्वारा ले गुरूजी गायब …….।…

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योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे से बड़का कार्यकरता, अपन आप ला विनिंग केंडीडेट समझय। पारटी परमुख, टिकिस के लइन देख के, पारटी के जीत के आस म भारी खुस रहय। टिकिस के आस म, लइन लगे कार्यकरता के योग्यता जांचे बर, इंटरबू के आयोजन रखिस। इकछुक उम्मीदवार ला पारी पारी ले, चेमबर म बलाके सवाल पूछे लगिस अऊ अपन योग्यता बताये बर किहिस। एक झिन बतइस के, मोर योग्यता ये हे के, मेहा छत्तीसगढ़ के…

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बड़का कोन

सरग म खाली बइठे बइठे गांधी जी बोरियावत रहय, ओतके बेर उही गली म, एक झिन जनता निकलिस। टाइम पास करे बर, गांधीजी हा ओकर तिर गोठियाये बर पहुंचके जनता के पयलगी करिस। गांधी जी ला पांव परत देखिस त, बपरा जनता हा अकबकाके लजागे अऊ किथे – तैं काकरो पांव पैलगी झिन करे कर बबा ….. अच्छा नी लगे। वइसे भी तोर ले बड़का कन्हो मनखे निये हमर देस म, तोला ककरो पांव नी परना चाही। गांधी किथे – तोर जय होय जनता जी। भारत म तोर से बड़का…

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व्‍यंग्‍य : चुनाव के बेरा आवत हे

अवईया समे मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेंच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले घुसमुस-घुसमुस चालू होगे हे। अउ होही काबर नही, हर बखत चुनाव हा परे-डरे मनखे ला हीरो बना देथे अउ जबर साख-धाख वाला मनखे ला भुइयाँ मा पटक देखे। फेर कतको नेता हा बर रुख सरीख अपन जर ला लमा के कई पीढ़ी ले एके जगा ठाड़े हे। अउ कतको छुटभईया नेता मन पेपर मा फोटू छपवा-छपवा के बड़े नेता बने के उदीम करथे। फेर चुनाव हा लोकतंत्र के अइसन तिहार आय जेमा लोगन…

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पंचू अऊ भकला के गोठ : चुनई ह कब ले तिहार बनगे

पंचू अऊ भकला के गोठ बात चलत रिहिस हे, थोरकिन सुने बर बईठ गेंव पंचू काहत रहय भकला ल, सुन न रे भाई भकला, चुनई आवत हे हमर गाँव गंवई के मईनखे बर बड़का तिहार ये। भकला- किथे, पंचू भईया चुनई ह कबले तिहार बन गेहे नवा बनाय हे का ? पहिली तो अईसनहा तिहार सुने नीं रेहेंव। दसेरा, देवारी, होली, हरेली ल जानथव अऊ सबो गाँव वाले मन मिरजुर के मनाथे, फेर ये चुनई ह तिहार कबले बनगे ? पंचू- किथे, जबले अंगरेज मन हमर देश ल छोड़े हे,…

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माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहा तइहा के आय बइहा, चाहे कन्हो ला कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे सरेआम ओकर इज्जत उतार, लूट खसोट कहीं कर …….. मन भरिस तहन सरेआम माफी मांगले …….। हमर देस के इही तो खासियत हे बाबू …….. इहां के मन सिरीफ पांच बछर म भुला जथे अऊ कन्हो भी, ऐरे गैरे नत्थू खैरे ला, माफी दे देथे। भकाड़ू…

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व्‍यंग्‍य : बवइन के परसादे

कोनो भी बाबा के सफलता के पछीत म कोर्ह न कोई बवइन के पलौंदी जरूर होथें। मैं अपन चोरी चमारी के रचना सुना सुनाके तीर तखार के गाॅव म प्रसिध्द होगे हौं। फेर घर म जोगडा के जोगड़ा हौं। उही चिटियाहा चड्डी बनीयइन, बिन साबुन तेल के खउराहा उखराहा हाथ गोड़। चिथियाए बगरे भुरूवा भुरूवा बड़े बड़े चुंदी। गर म कुकुर के पट्टा कस ओरमे मोहनजोदड़ो युग के टेटकू मोबाइल। उहू मोबाइल के स्क्रीन टूटहा हे। उपरौनी म ओकर पछीत के ढकना टूटहा। जेला मैं रंगीन रब्बड़ में लपेट के…

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व्यंग्य : पहिचान

पिरथी के बढ़ती जनसंखिया ला देख के, भगवान बड़ चिनतित रहय। ओहा पिरथी के मनखे मनला, दूसर गरह म बसाये के सोंचिस। पिरथी के मन दूसर गरह म, रहि पाही के नहि तेकर परयोग करे बर, हरेक देस के मनखे कस, डुपलीकेट मनखे के सनरचना करीस। इंकर मन के रेहे बर घर, बऊरे बर समान, खाये बर अनाज, पहिरे बर कपड़ा उपलब्ध करा दीस। अलग अलग देस के डुपलीकेट मनखे मन बर, अलग अलग जगा, निरधारित कर दीस। देस के हिसाब से, ऊंकर संसकार अऊ रीत रेवाज ला ऊंकर दिल,…

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गरीब बनो अउ बनाओ

नवा बछर के बधाई म मोर एकलौता संगवारी जब ले केहे हे – ‘मंगलमय’। मंगलवार घलो इतवारमय लागत हे। इतवार माने सब छोड़छाड़ के, हाथ गोड़ लमाके अटियाय के दिन। फुरसत के छिन। अच्छा दिन।जब ले सुने हंव गरीब नामक जीव के उद्धार बिल्कुल होवईयाच हे, संडेवा काड़ी सहिन शरीर के छाती मुस्कुल म बीस पचीस इंच होही, फूलके छप्पन इंच होगे हवय। अब देखव न हर कोई गरीबेच के सेवा ल अपन धरम मान के तन मन लगाके धन बनात हें। जब ले ए दुनिया के सिरजन होय हे…

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