गुरूजी के पनही, ओकर पहिचान आय। नानुक रिहीस तब ओकर ददा, जे पनही ल पहिने, उही पनही ल गुरूजी घला पहिरथे। खियात ले पहिर डरीस, फेर वा रे पनही, टूटे के नाव नी लीस। येहा, खानदानी गुरूजी पनही आय, जेमा कभूच कभू नावा डोरी धराये बर परय। ओकर उप्पर भाग, हमेसा चकाचक रहय। ओमा कभू कन्हो पालीस नी रंगीस, मइलइस निही त, फरिया घला रेंगाये नी परीस। कतको झिन ओकर पनही ल देखे, सन्हंराय घला फेर, तरी के बदहाली दिख जाय म, बदले के सलाह घला देवय। गुरूअईन घला, खियाय…
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होली के रंग – राशिफल के संग
हमर हिन्दू धर्म में पंचांग के बहुत महत्व हे।कोई भी काम करथन त पहिली पंचांग देखथन तब काम के शुरूआत करथन।राशिफल ह हमर जीवन में बहुत महत्व रखथे ।एकर से हमला शुभ अशुभ के जानकारी होथे । होली के शुभ अवसर में ज्योतिसाचार्य स्वामी भकानंद जी के द्वारा भांग के नशा में बनाय गे राशिफल आप मन के सामने प्रस्तुत हे – मेष -( अ,चु, चे, चो, ला, ली,लू,ले, ) ए साल ह मेष राशि वाला मन बर जादा अच्छा नइहे ।परिवार में कलह अऊ अशांति रही ।व्यापार ह मंदा…
Read Moreचलती के नाम गाड़ी, बिगड़ गे त…
बहुत साल पहिली किसोर कुमार, असोक कुमार अउ अनूप कुमार तीनों भाई के एक ठन फिलिम आय रहिस हे- चलती के नाम गाड़ी। फेर वोखर बाद के लाईन ल कोनो नई बतावय। मैं बतावत हों चलती के नाम गाड़ी बिगड़ गे त खटारा। टेटकू बैसाखू ल कार में घूमत देख के एक दिन महूं सोंचेव कि का मैं उंखरों बरोबर नइ हौं? तब मोर सुभिमान ह अपन आंखी खोलिस अउ सपना ले झकना के डर्राय लइका बरोबर जाग गेंव। मोर सुभिमान हा मोला धिक्कारिस, अरे सेकण्ड किलास आफिसर होय के…
Read Moreव्यंग्य : कलम
दू झिन संगवारी रिहीन । अब्बड़ पढ़हे लिखे रिहीन । अलग अलग सहर म रहय फेर एके परकार के बूता करय । दूनों संगवारी एक ले बड़के एक कहिनी कंथली बियंग कबिता लिखय , कतको परकार के अखबार अऊ पतरिका म छपय । हरेक मंच म जावय । फेर दूनों के रहन सहन म धीरे धीरे अनतर बाढ़त रिहीस । एक झिन अबड़ परसिद्ध अऊ पइसा वाला होगिस , ओकर करा गाड़ी बंगला अऊ सरकारी पद होगे । दूसर ल परसिद्धि मिलना तो दूर , अभू घला गोदरी ओढ़इया ,…
Read Moreनौ हाथ लुगरा पहिरे तभो ले देंहे उघरा
बिकास के चरचा चारों मुड़ा म होये । गांव गंवई के मनखे मन बिकास देखे बर तरसत रिहीन । हमर देस अजाद होही न बेटा तंहंले बिकास आही , सुनत सुनत दू पीढ़ही के मन सरग सिधार दीन । तीसर पीढ़ही के मनखे मन घला बुढ़ाये धर लीन । फेर कइसना होथे बिकास तेकर दरसन नी पइन । जब नावा राज बनीस , नावा सरकार बनीस , उही समे ले , “ बिकास अभू आनेच वाला हे , एदे आतेच हे , तुंहर तीर म अमरीचगे “ एकर खूबेच चरचा…
Read Moreछत्तीसगढ़ी व्यंग्य : नोट बंदी के महिमा
8 नवंबर के दिन भारत के एक एतिहासिक दिन हवय। ए दिन टीवी म रात के 8 बजे जब खबर आइस के प्रधानमंत्री जी देस ल संबोधित करही तव सब्बो झिन टीवी तीरन चटकगे रहिन के आज तव लागत हे के नापाकिस्तान उपर हमला करे के घोसना होही। फेर थोरिक देर म प्रधानमंत्री जी कहिन के आज ले 500 अउ 1000 के नोट ह रद्दी होगे समझव। तहां ले तव हाहाकार माचगे। फेर पाछु प्रधानमंत्री जी कहिन के कोनो डर के बात नो हे अभी 30 दिसंबर तक के समे…
Read Moreयमराज ह पिकनिक मनाय जब धरती म आइस
धरती में खास करके भारत में देवारी तिहार के तैयारी चलत रहिस। रंग रोगन फटाका झालर बलफ से दुकान मन ला सजाय जावत रहिस हे। हीरकयमराज हा दूरबीन लगाके धरती कुती ला देखिस अउ उदास होगे। आगू में जुगाली करत यमवाहन (भैंसा) खड़े रहिस हे। मालिक यमराज के उदास चेहरा देख के वो हा चिन्ता में पडग़े। यमराज हा बहुत सेण्अमेण्टल होगे रहिस हे। भैंसा जी बोलिस का बात ये महाराज आप बहुत उदास दिखत हो? यमराज बोलिस-वाहन, सबके पूजा होथे सिरिफ मोर पूजा कोनो नइ करय। यमराज के आंसू…
Read Moreगरीब मुलुक के बड़हर नेता
हमर देश भर नहीं भलुक पूरा दुनिया के एकेच हाल होगे हवय। हर देश ह अपन देश के कमजोरी ल जनता के आंखी ले लुकाय खातिर दूसर देश म आतंक फैलावत हे। लड़ई-झगरा के ओखी खोज हे अउ बड़े-बड़े बम गोला के धमाका करत हे। चारों मुड़ा हाय-हाय, रांय-रांय। जेन देश के अस्सी प्रतिशत जनता निच्चट गरीब हे। वो देस के राजा या आज के भाखा म कहीन त नेता ल कइसे होना चाही? जिहां तक लोकतांत्रिक व्यवस्था के मापदण्ड हे त निश्चित रूप ले कोनो न कोनो गरीब मनखे…
Read Moreव्यंग्य : ममा दाई के मुहुं म मोबाइल
रात बेरा के बात आय। रइपुर ले जबलपुर बस म जावत रेहेंव। बारह बजे रहिस होही। बस म बइठे सबो यात्री फोये-फोये नाक बजावत सुतत रहीन। उही बेरा म मोर आघु सीट म बइठे डोकरी दाई के मोबाइल टीरिंग-टीरिंग बाजे लागिस। मोर नींद ह टूट गीस। मे देखेंव डोकरी दाई ह झट ले मुहुं म मोबाइल ल दता के गोठियाय लगीस- ”हां बोल भांची। मेहर ममादाई बोलथो।” ममा दाई अउ भांची के गोठबात हर अबड़ बेर तक चलीस। जेमा एको ठिन जरूरी बात नई रहीस जेला रात के बारह बजे…
Read Moreबियंग: परगति
बात तइहा तइहा के आये। मनखे अऊ कुकुर के बीच ताकतवार होये के परतियोगिता सुरू होइस। एक घांव कुकुर हा मनखे ल चाब दीस। मनखे मर गे। मनखे के मन म, डर हमागे। कुकुर, ताकत के पहिली लड़ई जीत डरिस। कुछेच बछर पाछू, कुकुर फेर भिरगे मनखे संग। मनखे मर गे, कुकुर घला मरगे। मनखे अऊ कुकुर के बरोबरी सुनके, जम्मो देस खुस होगिस। इही दिन ले, मनखे ल घला कभू कभू कुकुर केहे लागिन। एक दिन, अड़बड़ खुसी मनावत रिहीन मनखे मन। पता चलिस – कुकुर, मनखे ल चाब…
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