गुनान गोठ : पाठक बन के जिए म मजा हे

एक जमाना रहिस जब मैं छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार मन ल ऊंखर रचना ले जानव। फेर धीरे-धीरे साहित्यकार मन से व्यक्तिगत परिचय होत गीस। महूँ कचरा-घुरुवा लिख के ऊंखर तीर बइठे बर बीपीएल कारड बनवा लेंव। समाज म अलग दिखे के सउंख एक नसा आय, लेखन एकर बर सहज-सरल जुगाड़ आय। घर के मुहाटी भिथिया म दू रूपया चाउंर वाला नाम लिखाये के का रौब-दाब होथे, एला झुग्गी-झोपडी मुहल्ला म रहे ले महसूसे जा सकत हे। जइसन समाज तइसन उहाँ के अलग मनखे, मने विशिष्ठ व्यक्ति। खैर, अलग दिखे बर, बन…

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छत्‍तीसगढ़ी, छत्‍तीसगढ़ी चिल्‍लाने वाले भी छत्‍तीसगढ़ी पढ़ना नहीं चाहते

फेसबुक में छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर हम आत्ममुग्ध हुए जा रहे हैं। इन शब्दों के सहारे हम अपनी छद्म अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं और अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। मुखपोथी में सक्रिय छत्तीसगढ़ी भाषा के योद्धा नंदकिशोर शुक्ल जी लगातार जिस बात को दोहराते रहे हैं यदि उनकी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया तो यह निश्चित है कि हमारी फेसबुकाइ हुसियारी धरी रह जायेगी और आपके देखते-देखते ही छत्‍तीसगढ़ी नंदा जायेगी। उनका स्पष्ट कहना है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिक…

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मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू

संगवारी हो, आपमन जानत हवव के हमर भाषा के व्याकरण हिन्दी भाषा के व्याकरण ले आघू लिखा गए रहिस। ये बात ह सिद्ध करथे के हमर भाषा अउ ओखर साहित्य तइहा ले मान पावत हे अउ समृद्ध हे। अब तो हमर भाषा राज भाषा बन गए हे अउ अब हमर राज काज के काम छत्तीसगढ़ी भाषा म घलव होही। आप मन ये उदीम करव के अब ले सरकारी चिठ्ठी-पतरी छत्तीसगढ़ी भाषा म लिखव। ये उदीम ले सरकार के कारिंदा मन चिठ्ठी के जवाब देहे खातिर छत्तीसगढ़ी भाषा ल पढ़हिं-समझहीं तो।…

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संपादकीय: टमड़ ले पहिली अपनेच कान

पाछू पंद्रही ले छत्तीसगढ़ म अफवाह फइले हवय के गांव गांव म लईका चोर मन के दल के दल आये हें। ये अफवाह व्हाट्स एप के सहारा ले जादा फइलिस। नवा नवा मनखे मन टचस्क्रीन मोबाईल लीन अउ वोमा इंटरनेट पेक भरवईन, तहां ले वोमा व्हाट्स एप चलईन, अइसे लागे लगथे के जमा बिस्व के गियान अउ सूचना हमर हाथ म आ गे। कोन सूचना सहीं ये अउ कोन सूचना गलत आए तेखर निरवार करे के पहिली लोगन म ये होड़ सुरू हो जथे के ये सूचना ल जल्दी ले…

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संपादकीय : करिया तसमा म आंखी के उतियईल अउ उल्टा लटके के डर ले मुक्ति

करिया तस्मा पहिर के प्रधानमंत्री के सुवागत करई के किस्सा चार दिन मीडिया म छाईस। अपन डहर ले बुद्धिजीवी मन ओखर उपर अपन प्रतिक्रया घलो दीन। कोनो करिया तस्मा के संग खड़े रहिन त कोनों सरकार के कांसड़ा तिरई ल बने कहिन। छत्तीसगढ़ म तस्मा खपई ल, टेस मारे के उदीम कहे जाथे, काबर के छत्तीसगढ़ बर ये सहरी संस्कृ‍ति के लक्छन आए। फेर गांव अब सहर लहुटत हवय, अइसन समें म अब गावों म तस्मा खापे मनखे के दरसन होवत हे। ते पाके अब जमो तस्मा वाले मन के…

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संपादकीय : का तैं मोला मोहनी डार दिये

संगी हो देखते देखत हमर साहित्य के भण्डार बाढ़त जावत हे। हमर सियान अउ हमर भाखा के परेमी गुनीक मन छत्तीसगढ़ी भाखा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म लाए खातिर अपन-अपन डहर ले उदीम म लगे हन। सांसा ले आसा हवय, आज नहीं त काली हमर गोहार ल संसद ह सुनही अउ हमर भाखा संविधान के आठवीं अनुसुची म दरज होही। छत्तीसगढ़ी पद्य साहित्य म छंद बंधना म कसे रचना बीच के समे म कमती हो गए रहिसे। ये कमी ल जन कवि कोदूराम दलित जी के बेटा अरूण कुमार…

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मेकराजाला म बाढ़य हमर भाखा के साहित्य : राजभाषा आयोग देवय पंदोली

संगी हो हमर धान के खेत लहलहावत हावय अउ हमर मिहनत के फल अब हमर कोठार तहॉं ले कोठी म समाये के अगोरा देखत हावय. महामाई के सेवा हम पाछू नौ दिन ले हिरदे ले करेन, राम लीला म हमर लइका मन ला पाठ करत रहिता कुन देखेन अउ हिरदे म रामचरित मानस के सीख ला गठरी कस बांध लेहेन. आज दसेला तिहार म हम सब के मन म कलेचुप बईठे रावन ला बारे के पारी हे. आवव हम अपन खातिर, अपन परिवार अउ समाज के खातिर ये रावन के…

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रचना भेजईया मन बर गोठ

गुरतुर गोठ म प्रकाशन करे खातिर हर किसम के छत्तीसगढ़ी रचना मन के स्वागत हावय. अपन अउ अपन रचनाकार संगी मन के रचना मन ला हिन्दी के फ़ॉन्ट कृतिदेव, श्रीलिपि, चाणक्‍य, या कोनो आन फ़ॉन्ट म एमएस वर्ड फ़ाइल के रूप म, फोंट के नाव बतावत ई-मेल ले हमला भेज सकत हावव. रचना एके ठन फोंट म होवय, आने आने फोंट के घेरी बेरी उपयोग झन करव. पूरा पुस्तक कहूं स्कैन कर के भेजना चाहत होहव त पुस्तक ला ३०० ले कम रेजलूसन म लाइनवार पाना एके ठन फाइल म…

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मेकराजाला म चार बरिस के गुरतुर गोठ : दू आखर

आजे के दिन गांधी बबा के सुरता म सन् 2008 ले चालू हमर ये मेकराजाला के गुरतुर गोठ ह आज चार बरिस के होगे हावय. आप जम्मो संगी मन हमला अड़बड़ मया देहेव अउ आप मन के दुलार ले, हमन जइसे तईसे हमर भाषा के रचना मन ला इंहा सकेल के आप मन बर अउ आघू के दिनन बर, सकेल के राखे के उदीम करेन. आज हमला खुसी हावय के हम बिना सरकारी पंदोली के पांच साल ले ये वेब साईट ला तुनत तानत, येमा रचना के भण्डार धीरे धीरे…

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दू आखर

मयारू संगी, हमर गुरतुर गोठ ह आज गांधी बबा अउ सास्‍त्री जी के जयंती के दिन अपन एक बरछ पूरा कर लीस. ये एक बरिस म हम अपन गुरतुर गोठ ला अपन मन म संजोये सपना असन तो पूरा नई कर पायेन. फेर संगी मन के सहजोग ले सरलग आघू बढत रहेन. आप मन हमर संग, हमर भाखा के संग इही बहाना जुडे रेहेव, हमर उत्‍साह ला बढावत रेहेव. येखर बर हम आप मन के हिरदे ले आभारी हांवन. हमर ये प्रयास आप सब के सहयोग ले ही सफल हो…

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