कविता के थरहा- विसम्भर यादव ‘मरहा’

(सुरता ‘मरहा’ के) अवसान दिवस 10-09-2011 बिना पढ़े-लिखे अउ बिना लिखित संग्रह के अनगिनत रचना मुंह अखरा होना बड़ अचरज के बात आए। येला माता सरसती के किरपा अउ कवि के लगन, त्याग-तपसिया अउ साधना के परिनाम केहे जही मंच मं खड़ा होके सरलग 8-10 घंटा कविता पाठ करना कउनो हांसी-ठट्ठा नो हे। फेर ‘मरहा’ जी हा ये रिकार्ड बनइस तहां ले कई जघा ‘मरहा’ नाइट के आयोजन घलो करे गिस। बच्छर के 365 दिन मा 300 दिन कवि सम्मेलन के मंच मा रहय। ‘मरहा’ जी हा कतको धारमिक, अध्यात्मिक…

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सुरता (संस्मरण) – सिकरनिन दाई

जब मंय ह प्रायमरी कक्षा म पढ़त रेहेंव अउ हमर ददा-कका मन के संयुक्त परिवार रिहिस त परिवार म बारो महीना कोई न कोई घुमंतू मंगइया-खवइया नइ ते पौनी-पसेरी मन के आना-जाना लगेच् रहय। विहीमन म एक झन माई घला आवय। हमर दाई-काकी, परिवार के अउ गाँव के दूसरमन ह वोला सिकरनिन कहंय। मंय ह वोला सिकरनिन दाई कहंव। सिकरनिन दाई ह होली-देवारी अउ दूसर तिहार-बार होतिस तभे आतिस। आतिस तब भीतर आंगन म आ के एक ठन आंट म बइठ जातिस। जब कभी वो आतिस, इहिच आंट म बइठतिस।…

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सुरता – गीत संत डॉ. विमल कुमार पाठक

इतवार १४ जुलाई, २०१३ के संझा वीणा पाणी साहित्य समिति कोती ले पावस गोस्ठी के आयोजन, दुर्ग म सरला शर्मा जी के घर म होइस. कार्यक्रम म सतत लेखन बर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अधियक्छ पं.दानेश्वर शर्मा, जनकवि मुकुन्द कौशल, हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका डाॅ.निरूपमा शर्मा, संस्कृत हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका शकुन्तला शर्मा के सम्मान समिति ह करिस. ये अवसर म डॉ. विमल कुमार पाठक के घलव सम्मान होवइया रहिसे फेर डाॅ.पाठक कार्यक्रम म पधार नइ पाइन. कार्यक्रम बर डाॅ.पाठक के उप्पर लिखे मोर आलेख गुरतुर…

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सुरता गजानंद परसाद देवांगन

9 दिसमबर पुन्यतिथि धरती म जनम धरना, जीना खाना अऊ एक दिन इंहा ले चले जाना, अइसन जीवन कतको मनखे जीथे। फेर, बहुतेच कमती मनखे अइसे होथे, जेन दूसर बर जीथे अऊ अपन जिनगी के एकेक समे ला परमारथ म लगाथे। समाज अऊ देस हित बर समरपित होके सुख अऊ सनतोस के अनुभौ करथे। अइसने समाज, सनसकीरीति, साहित्य अऊ धरम बर समरपित बिभूति रहिस सिरी गजानंद परसाद देवांगन जी हा। जेन ला कभु रमायन परबचन, कभु कबिता पाठ त कभु सांसकरीतिक मंच के सनचालन करत देखंय लोगन हा। अभु घला…

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सुरता चंदैनी गोंदा के

दाऊ रामचंद्र देशमुख ल छत्तीसगढी लोकमंच के पितामह केहे जाथे।इंकर जनम 25 अक्टूबर 1916 म पिनकापार (राजनांदगांव) म होय रिहिसे।फेर एमन अपन करमभूमि दुरुग के बघेरा गांव ल बनाइन।ननपन ले दाऊ जी ल नाचा गम्मत म रुचि रिहिस।सन् 1950 में दाऊ जी ह “छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल ” के स्थापना करिन।एकर सिरजन बर उन ल अथक मिहनत करे बर परिस।जेन समें म आय-जाय के बरोबर साधन नी रिहिसे वो समे दाऊ जी ह बइलागाडी म गांव-गांव म घूमिन अउ गुनी कलाकार मन ल सकेलिन।छत्तीसगढ़ में प्रचलित नाचा गम्मत के…

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सन्त रविदास जयन्ती माघी पूर्णिमा 10 फरवरी

सन्त रविदास गियान के जघा हा जग मा सबले ऊँच अउ अव्वल हावय। गियान हा मान,सम्मान अउ गरब गुमान हरय। गियान जिनगी के सबले खच्चित जीनिस हरय,एखर बिना मनखे पसु के समान होथे। अगियानी आदमी हा आँखी रहीके अंधरा कहाथे। गियान मनखे के तीसरइया नयन हरय। गियान अंतस के वो अंजोर हरय जेखर ले समाज मा फइले अंधबिसवास, छुआछूत, जातपात, ऊँचनीच, ठग-जग, लाचच-लबारी जइसन जीवलेवा अंधियार हा दुरिहा भागथे। समाज मा ग्रहन कस धरे ए अंधियारी मन ला अपन गियान के बल मा भगाय के, दुरिहाय के बूता समे-समे मा…

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सोनाखान के सोन: शहीद बीर नारायण सिंह

शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 सिदम्बर 1857 म अत्याचारी अंगरेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतेक रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमींदारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उहां भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके नहीं ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम वोला भूख…

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छत्तीसगढ़ी काव्य चितेरे : बाबू प्यारेलाल गुप्त

छत्तीसगढ़ के भुइंया मं कतको रतन मनखे मन जनम लइन। जेखर काम ले छत्तीसगढ़ के नांव हर बड़ उजराइस हवे। अइसन हे हरियर भुइंया मं 17 अगस्त, 1891 के दिन बाबू प्यारेलाल गुप्त के जनम होए रहिस। गुप्तजी हर गद्य तथा पद्य दूनो म अपन कलम चलाइन अउ कतको उपन्यास, कविता, संग्रह तथा इतिहास के किताब लिखिन। उन हिन्दी म तो लिखबेच करीन, ठेठ छत्तीसगढ़िया म भी खूब लिखिन। धरम-करम में भी उंखर मन लागय। रतनपुर के प्रख्यात विष्णु महायज्ञ ल सफल करे बर बड़ मिहनत करीन अउ ओखर स्मारिका…

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छत्तीसगढ़ी भासा के महाकाव्यकार

महाकवि कपिलनाथ कस्यप महा कवि कपिलनाथ कस्यप हमर देस के आजाद होय के पहली जनम लेइन अउ बरिस 1985, 2 मार्च के देहावसान होइस, बीसवीं सदी के उन एक साधारण अचरचित साहित्यकार रहिन उन समाचार पत्र-पत्रिका म अपन नाम छपय एकर ले परहेज करत रहिन जबि उन राष्ट्रीय कवि मैथिलीसरन गुप्त के समकालिन कवि रहिन। छत्तीसगढ़ी भासा ल एक मानकरूप म लाये म उन तीन ठन महाकाव्य ‘श्री राम कथा’, ‘श्री कृस्नकथा’, ‘महाभारत’ अउ ‘श्रीमद् भागवत गीता’ (छत्तीसगढ़ी भावानुवाद) के रचना कर अपन प्रतिभा ला बताईन -छत्तीसगढ़ के महाकवि कहाइन…

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नाचा के सियान : भुलवाराम यादव

भुलवाराम दुर्ग के तीर रिंगनी गांव के अहीर रहिस। भुलवाराम लइकई ले अपन गांव म मालगुजार, गौंटिया मन के गरूवा चरइ अउ गोबर-कोठा के काम करय। जब लइका भुलवा गरूवा चराये बर निकलय त बंसरी संग करमा-ददरिया के गीत गावय अउ सिम-साम देखके बिधुन होके नाचय। भुलवा के नचई अउ गवइ ला देख के नामी पंडवानी गायक पूनाराम निषाद के पिताजी लक्ष्‍मण निषाद अउ नामी गम्‍मतिहा ठाकुरराम के पिताजी गोविन्‍दराम मन ओला खड़े साज नाचा म परी बना के नचवाये लागिन। ओ समय भुलवा के उमर आठ साल के रहिस।…

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