आज सुमत के बल मा संगी, नवा बिहनिया आइस हे अंधवा मनखे हर जइसे, फेर लाठी ल पाइस हे नवा रकम ले नवा सुरूज के अगवानी सुग्घर कर लौ नवा जोत ले जोत जगाके , मन ला उञ्जर कर लौ झूमर झूमर नाचौ करमा, छेड़ौ ददरिया तान रे धान के कलगी पागा सोहै, अब्बड़ बढ़ाए मान रे अनपुरना के भंडारा ए, कहाँ न लांघन सुर्तेय – अपन भुजा म करे भरोसा, भाग न ककरो .लुर्टय् हम सहानदी के एं घाटी म कभू न कोनो प्यास मरँय रिसि-मुनि के आय तपोवन,…
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छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल: संपादक-डॉ. बलदेव
हमर तो ए मेर उद्देस्य एकेच ठन आय के छत्तीसगढ़ के सब्बोच अंचल के कवि मन ले थोरथार परिचय हो जाए। ए संकलन खातिर छत्तीसगढ़ी के चारों मुड़ा म संपर्क करे गय रहिस अठ कवि मन के कविता मन ल एक जगह रखे के प्रयत्न करे गइस | बहुत झिन कवि मन के रचना जेमन पत्रिका अउ किताब मन मा परकासित हे, अउ जेमन मिल सकीन ते मन ले कम से कम एकक ठिन प्रतिनिधि कविता के संकलन तियार करे गइस हे। बीस- पच्चीस साल ले हमर संगी जंवरिहा मन…
Read Moreसाहित्यकार मनके धारन खंभा रिहिन डॉ. बलदेव
डॉ. बलदेव के चिन्हारी हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म सबो विधा म समान रूप ले सक्षम लेखक के रूप म होथे, फेर मैं उनला पहिली बेर एक समीक्षक के रूप म जानेंव. तब मैं छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका ‘मयारु माटी’ के प्रकाशन-संपादन करत रेहेंव. उंकर पहिली रचना मोर जगा आइस, जेमा उन सियान साहित्यकार हरि ठाकुर जी के रचना संसार के लाजवाब समीक्षा लिखे रहिन हें. वोला पढ़के मैं बहुत प्रभावित होएंव. एकर पहिली मैं छत्तीसगढ़ी म अतका सुंदर समीक्षा अउ ककरो नइ पढ़े रेहेंव, तेकर सेती उनला तुरते चिट्ठी…
Read Moreछत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव
हिन्दी के स्वाधीनता अऊ स्वावलम्बन सब्द मन के बीच म गाढ़ा सम्बन्ध हवय, ए दूनो सब्द के मूर्तिमान रूप पं. शुकलाल प्रसाद पाण्डेय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के दूसर मजबूत खंभा आये जिंकर रचना कर्म के कारन गंवारू समझे जाने वाला छत्तीसगढ़ी बोली ल भासा के रूप म विकसित होय के ठोस अधार मिलिस, दिनों-दिन वोकर सम्मान म बढ़ोत्तरी होयम जमाना लगीस। आज तो जमाना बदल गय हे, हमर ये ही सुतंत्र चेता कवि मनीसी मन के रोपे बिरवा हर महाबट याने छत्तीसगढ़ी राज भासा के सरूप धारन करके फूले .फरे…
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