सरगुजिहा गीत – गोई रे

अरे गोई झमकत पानी भरल जवानी ऊपर करिया रात गोई रे, ऊपर करिया रात।। भेदी पइरी बोले बइरी मानत नह है बात गोरी रे, मानत नइ है बात। आंखी में आंजे हों जेला कर डारिस गा घात गोई रे, कर डारिस गा घात। दे के पीरा लूटिस हीरा बइठे हों पछतात गोई रे, बइठे हों पछतात। पानी बिन मछरी अस चोला है आंखी झरियात गोई रे, है आंखी झरियात मरत पियासे हैं संगी मन हैं देखत बरसात गोई रे, है देखत बरसात। लागत है हिरदे सुरता में जइसे टूटल पात…

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सरगुजिहा गीत- दिन कर फेर

देखा रे भाई कइसन दिन कर फेर। रात कभों दुख ले के आथे कभों उगत है बेर।। तीन लोक कर जे स्वामी गा राज-पाट सब छोड़िन। भाग बली गा उघरा पावें बन ले नाता जोड़िन। संग चलिन सीता माता गा है कइसन अन्धेर।। देखा रे भाई ……………….. जे सिरजिस संसार कहत हैं केंवटा पार उतारे। गंगा पर करे बर जोहें भवसागर जे तारे। जेकर बस में चांद सुरूज गा कहथें होत अबेर।। देखा रे भाई …………… काया-माया जेकर बस गो जे धरती ला धारे। सोन मिरग कर पाछू कूदिन बिन…

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सरगुजिहा गीत- रूख ला लगाए डारबो

माथ जरे झिन मझिनहां कर घामा, छांहा बर रूख ला लगाए डारबो। रूखर दिखे झिन परिया-पहार हरियर बर रूख ला लगाए डारबो। फूल देथे-फर देथे अउर देथे छाया। काठ कोरो देथे बगरा देथे अपन माया।। बड़खा साधु कस हवे जी मितान, एहिच बर रूख ला लगाए डारबो। आमा कर हठुली घलो मउहा कर मदगी घलो। जमती कर ठेठी तले पाकर कर फुनगी।। नान कुन गांछी ला जोगावन सयान तेकरे से घोरना घोराए डारबो। जंगल कर रूख जमों बरखा ला बलाथे। भुइयां ला दाब राखेल बोहाए झिन बचाथे।। बगरा पतई हर…

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सरगुजा कर देखे जोग झरना

सरगुजा के दर्शनीय जल प्रपात परकिरती कर बदलाव ले भारतभर कर कला अउ संस्किरती कर संगे–संग इतिहास अउ पुरातत्व कर जरहोजात मन धरती कर भितरी हमाये जाथें। येमन कर जानकारी जुटाना काकरो बर अब्बड़ मेहनत कर बुता होथे। हमर सरगुजा हें कईअकठन धरम-करम, इतिहास पुरातत्व मधे कर देखे जोग जगहा हवें। इहां कर जुनहा बेंगरा, माड़ा, मंदिर, गढ़ी, किला, पखना कर मूरती, मनला देख के सरगुजा कर ढेरेच जूना, बकिन सबले जबरजस्स मूरती बनाये कर कला, सुघ्चर सभ्यता अठ धरम-करम हैं जमझन कर एकजुटता कर पता चलथे। इहां कर नदी…

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सरगुजिहा गजल

ढेरेच्च गुमान भरल, मनखे कर जात । तेकर सेथी बिगडिस, मनखे कर जात ।। धरती कर रेंगइया, तरई ला माँगे। । चलनी मा पानी भरे, मनखे कर जात।। नदिया ला दाई कहे, चन्दा ला मामा। दूनों कर नास करिस, मनखे कर जात।। सूते घनी जागत, जागत घनी सूते। रात-दिन कलथत हे मनखे कर जात।। चलती ला गाडी, जीते ला हार। । अइनसेच बुध राखथे, मनखे कर जात।। गजल ला गइहा करीहा आगू बिचार । कहथे सुबासनी सुना मनखे कर जात।। – सुबासनी शर्मा

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सरगुजिहा कहनी- मितान

ढेरे जुनहा गोठ हवे। गांव कर उत्तर कती एगो झोपड़ी रहिस। उहां एगो महात्मा रहत रहिन । दिन भर भीख मांगे अउर रात में झोपड़ी में कीर्तन भजन करत रहें। गांव में उनकर चेला-चपाटी भी रहिन ! कीर्तन भजन करे वाला चेला। ओही चेला में एगो चेला रहिस बिसनाथ। पढ़ल-लिखल होसियार चेला। कीर्तन भजन करे में उसताज। एक दिन बिसनाथ महात्मा जग भिनसारे पहुँचिस। ओकर चेहरा उदास रहिस । हाथ में एगो झोला रहिस। ओहर महात्मा ला पायलगी करके एक कती बइठ गइस। तब महात्मा कहिन – “का बात हवे…

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सरगुजिहा कहनी – काकर ठन बिहाव करबे

कतवारू गांव कर किसान रहिस। जांगरटोर मेहनत के कारन ओकर घरे कोनों चीज कर कमी नइ रहिस। ओकर एकेठन बेटा रहिस सोमारू। कतवारू खुद नई पढे – लिखे रहिस बकिन ओकर मन में अपन बेटा ला पढ़ाय कर ललक रहिस। सोमारू घलो सुघ्चर लइका रहिस। पढ़ाई कर उपर ओकर. पूरा ध्यान रहे। संगे-संगे अपन बापो कर काम में हाथ बंटावे। सोमारू जब गांवे कर इस्कूल ले बारहवीं पास करिस त ओकर बाप कतवारू चिलम चघाय के पूरे गांव में घूम-घूम के अपन बेटा कर गुन ला बखाने लागिस।। गरमी कर…

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सरगुजिहा कहनी – हिस्सा-बांटा

रामपाल जइसे तइसे हाईस्कूल पास करके जंगल ऑफिस में बाबू बन गइस । तेजपाल आठवीं कछा ले आगू नइ बढ़े सकिस । हार के ओकेला नागर कर मुठिया धरेक बर परिस । तेजपाल अपन खेती-पाती कर काम में बाझे रहे त दीन दुनियां सब ला भुलाए रहे। रामपाल अपन ऑफिस कर काम ले फुरसत पावे ते पूछ लेहे करे – “ कइसे बाबू नागर-बरधा ठीक चलथे ना ?’ तेजपाल कहदे – हॉ ददा बने बरधा हवंय। मोर खेत कस कोनों .. कर खेत नई जोताइस होही। रामपाल ओकर पीठ में…

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सरगुजिहा गीत : बरखा कर पानी

लबरा कर गोएठ लेखे, ए बच्छर बरखा कर पानी। एकस हें कइसें होए पारही, हमरे मन कर किसानी। एकघरी कर बरखा हर बुइध ला भुलाइस अगास कर बदरा हर, बुंदी बर तरसाइस। परिया परल हवे, जोंग ला नसाइस लागत हवे बतर ला बिदकाइस। ए बच्छर कर बरखा हें दिसथे, नई होए पारही किसानी। धुरिया बतराहा अउर चोपी चिखला नई, बीड़ा ला कोन उठने खोंची। बीयासी कर बेरा बतर हर नसाइस। काकर नांव धरी अपन किस्मत ला कोसी। हमर धरी कर का कहाऊ असों फेर नई होइस नगद पानी। सोंचे रहेंन…

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सरगुजिहा गीत- मोर संगे गा ले संगी

मोर संगे गा ले संगी मोर संगे गा। राग तैं मिला ले संगी राग तैं मिला।। आमा कर बीरो लीम कर मुखारी लकरा कर चटनी चीला सोहारी मोर संगे खा ले संगी मोर संग खा।। जटंगी कर फूल मुनगा कर पाना उरदा कर दार। डॉड़का सयाना मोर संग जगा ले संगी मोर संग जगा रेड़ अउ कन्हर मोरन महान हसेदव गागर गलफूला जान मोर संगे नहा ले संगी मोर संगे नहा।। लहसून जमीरा सामरी कर पाट सरई तेंदू महुआ अउर बांस आमा कटहर हर्रा परास मोर संग पा ले संगी…

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