छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) :- कहावत का शाब्दिक अर्थ है ‘लोक की उक्ति’। इस अर्थ से कहावत का क्षेत्र व्यापक हो जाता है, जिसे हिन्दी साहित्य कोश में इस प्रकार व्यक्त किया गया है “लोकोक्ति में कहावतें सम्मिलित हैं, लोकोक्ति की सीमा में पहेलियाँ भी आ जाती हैं।’ परन्तु आज ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘कहावत’ या प्रोवर्ष के पर्याय के रूप में रूढ हो चला है। इसके अंतर्गत पहेलियाँ नहीं रखी जाती (यदु: छत्तीसगढ़ी कहावत कोश: 2000-7)। छत्तीसगढ़ी की बहुप्रचलित कहावतें इस प्रकार हैं – अँधरा पादै भैरा जोहारै (अंधा पादे,…
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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे
छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं – छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) – ‘मुहावरा’ ऐसी पद-रचना है, जो अपने सामान्य अर्थ से भिन्न किसी अन्य अर्थ में रूढ़ हो गया हो। छत्तीसगढ़ी के कुछ मुहावरे मानक हिंदी के मुहावरों के बिलकुल समान हैं, जैसे- ‘अति करना’ लेकिन कई बार मानक…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ
छत्तीसगढी की विभक्तियाँ :- छत्तीसगढ़ी में विभक्तियों के लिए निम्न प्रकार शब्द प्रयुक्त होते हैं – मैं हर (मैं ने) हमन (हम ने ) ओहर (उसने) ओमन (उन्होंने /उन लोगों ने) मोला (मुझे / मुझ को) हमन ला (हमें / हम लोगों को) तोला (तुम्हें / तुम को) तुमन ला (आप लोगों को) ओला (उसे / उसको) ओमन ला (उन्हें / उन लोगों को) मोर ले (मुझ से) हमन ले (हम से) तोर ले (तुम से) तुमन ले ले (आप लोगों से) ओकर ले (उस से) ओकर मन ले (उन…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
छत्तीसगढ़ी के अव्यय – समुच्चय बोधक अव्यय – संयोजक – अउ, अउर मैं अउ तैं एके संग रहिबोन। वियोजक – कि, ते रामू जाहि कि तैं जाबे। विरोधदर्शक = फेर, लेकिन संग म लेग जा फेर देखे रहिबे। परिणतिवाचक = तो, ते, ते पाय के, धन बुधारू बकिस ते पाय के झगरा होगे। दिन-रात कमइस तभे तो पइसा सकेल पइस अउ अपन बेटी के बिहाव करिस। आश्रय सूचक = जे, काबर, कि, जानौ (जाना-माना), मानौ (जाने-माने) तैं ओला काबर बके होबे। अइसन गोठियात हस जाना-माना तैं राजा भोज अस अउ…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम Chhattisgarhi pronouns मैं / मैं हर (मैं) – मैं रहपुर जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली डोंगरी जाबो । तैं / लूँ /तें हर (तुम) – तैं काय कहत रहे ? तुमन(आप लोग) – तुमह तभे बनही। ओ / ओहर (वह) – ओर सुते हे। ओमन (वे) – ओमन नई मानिन। ए/एहर (यह) – एहर बिहनिया रोवत हे। एमन (ये) – एमन गम्मत करड्डया आय। शोधार्थी – राजेन्द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्तरंजन कर प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली –…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ
आस्था -देवी-देवता के नाम -सांहड़ा देवता, काली माई, चंड़ीदेबी, शीतला माता, देबीदाई, देंवता, मंदिर, भगवान, गणेश, महादेव, पारबती, राम, छिता, लछिमन, बजरंगबली, हनमान, बिसनू, लछमी, सरसती माई, महामाया, बमलेसरी, कंकालीन, बूढिमाता, भैंरो बाबा, सवरीन दाई, ठाकुर देवता, संतोषी दाई, बजारी माता, बामहन देवता, पंडित, पुजारी। सामग्री – उँवारा, जोत, नरियर, परसाद, फूल-पान, हूम-जग, चढोतरी, सेंग, बईगा, पूजा-पाठ, हवन, जग, कलस, कलावा, गंगाजल, नवदुरगा, जंवारा, कलस, कुंवारीभोज, पंडा, गोबर, चउक, आरती। अंधविश्वास / रूढिवाद – मसान, परेतिन, परेत, जिन्द, टोना, बरमभूत, करिया मसान, सरपीन, सकसा, मटिया, बधघर्रा, मुडकट्टी, टोनही, टोनहा, बइगा,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – तीज-त्योहार और उपकरण
तीज-त्योहार – हरेली, खम्हरछठ (हलषष्ठी), गणेश चतुर्थी, आठे कन्हैया, राखी, अक्षयतृतीया, तीजा-पोरा, पीतर, दसेरा, सुरूत्ती, देवारी, गोबरधनपूजा, छेरछेरा /माघीपुन्नी, होरी, गौरा-गौरी, अक्ती (पुतरी-पुतरा के तिहार), गुरबारी, होली, जेठउनी, जुमतिया, नागपंचमी। उपकरण – उपकरण के अंतर्गत घरेलू उपकरण, कृषि संबधी उपकरण, काम करने के औजार, सुरक्षा संबंधी हथियार आदि को अध्ययन की दृष्टि से अलग-अलग वर्गों में बाँटा जा सकता है। घरेलू उपकरण एवं वस्तुएँ – बटकी, सील-लोढा, चौकी-बेलना, थारी, लोटा, माली, परात, पैना, पसउना, बांगा, करछूल, कराही, झारा, लकरी, छेना, गुंडरी, थौना, चिमनी, कंडिल, दीया-बाती, जांता, ढेंकी, मूसर, खौना, चन्नी, सूपा, बहिरी, पोतनी, खरहारा, टठिया, परई, तसला,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया
क्रिया – रंधई, खवई, पियइ, सुतइ, नचइ, कूदइ, खेलइ, इतरइ, हसड्, रोवइ, संगदेवइ, अवई-जवईइ, देख, किंजरइ, बनि-भुति करइ, कमई, लरइ-झगरा करइ, बकई, हनई, देवइ, बहरइ। क्रिया शब्दों को अंत में ना उपसर्ग लगाकर भी लिखा जाता है यथा – खाना मुसकाना धोना मया करना हदरना बतराना बहकना जड़ाना बहना खेलना बड़बड़ाना भगाना भागना बजाना लड़बडाना गोठियाना गाना बसना रेंगना लहराना फसाना समझाना हंकराना हड़बडाना हसना बुझाना पीटना खटकाना पीटना तीरना रोना फंदना बारना झटकना सुसकना जागना हफ्टना सजाना उजारना सुतना फोरना चिरना कलहरना हराना नहाना सटकना जोतना अमरना धोना पीना तिरियाना…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – गाली, वर्जनाएँ
गाली – रोगहा, कोढि़या, बन्चक, रांड़ी, रण्ड़ी, भोसड़ामारी, चोदरी, बेसिया, चरकट, किसबीन, चंडालीन, बकरचोद, रांड़ी, भौजी, किसबीन, भडुवा, लफंगा, हरामी, सारा, चुतिया, चुच्चा, बेसरम, चंडाल, दोगला, लबरा, जुठहा, जुठही, रोगहा, किसबा, कनचोदवा, मादरचोद, चोट्टा, चोदू, चोदूनंदन, भोसडीवाला, टोनही, टोनहा, कुरगहा, जलनकुकडा, टेटरही, रेंदहा, हेक्कड, पाजी, हिजडा, नलायक, दत्तला, घोंघी, करबोंगी, भकचोदवा, करबोकवा, करलुठी, करजिभि, पेटली, लमगोडवा, बदमास, बरदाओटिहा, परदाकुद्दा, कुबरा, बेर्रा, कनटेरी, कनवा, मरहा, कुसवा, सुसवा, छुछमुहा, गठारन, ननजतिया, हकनीन, कौंवा, उखनू, उखानचंद। वर्जनाएँ (टैबू संरचना) :– शरीर के अंग– नूनू, चोचो, झांट, लवड़ा, पुदी, गट्टा, गांड, पोंद, दुदु, फुर्गा,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ
छत्तीसगढ़ी में कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ, जैसे – खातू पलई, खेत जोतई, बोनी, पलोई, बियासी, निंदई-कोड़ई, रोपा, रोपई, दवई डरई, लुवई, डोरी बरई, करपा गंजई, बीड़ा बंधई, भारा बंधई, खरही गंजई, पैर डरई, मिंजई, खोवई, ओसई, नपई, धरई, कोठी छबई, बियारा छोलई, लिपई, बहरई, बसूला/राँपा / बिन्हा/टंगिया/हँसिया टेवई, बेंठ धरई, कलारी चलई, पैर खोवई, पैरावट लहुटई, पैर गंजइ। फसलों की विभिन्न स्थितियाँ– जरई आगे, जामत हे, धान केंवची हे, दूध भरावत हे, पोटरिया गे, भरा गे, बाली आवथे, पोठा गे, पोक्खा-पोक्खा होगे, पोचलियावत है, बदरा पर गे, माहो लग गे, पाकत हे, सूखा गे,…
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