नृत्य – सुवा, करमा, राउतनाचा, डंगचगहा नाचा, बघवा नाचा, ढोलामारी, गम्मत, तमासा, पंथीनाचा, गोंडनाचा, डंडानाच, बिहावनाचा, डिडवानाचा, फी नाचा, बरतिया नाचा, रामनामी, पंडवानी, फाग, जंवारा, गौरा-गौरी, डिड्वानाचा, गांडा, ढोला, तारि-नारि। लोकगीत– छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में वैविध्यता और विशिष्टता को दृष्टिगत रखते हुए उसकी अंतर्वस्तु के आधार पर निम्नप्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है – (क) संस्कार […]
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पुरुषों के कपड़े – पागा, गमछा, पचहथी, सटका, लिंगोटी, अंगोछा, अंगरखा, कुरता, पागी-पटका, सांफी, सल्लूखा, धोती, लूँहंगी, चड्डी, बनयडडन, गोड्थैला (पैंठ), कमीज, बंगाली-पजामा। महिलाओं के कपड़े – लुगरा, पोलखा, साडी, बिलाउज, साया, लुगरी, कुरथी, इसकट-बिलउज, कुरती, झंगा, फराक, सादालुगरा, सादा के पोइलका, अन्य पहनावे – पनही, भंदड, अतरिया, खुमरी, कमरा, कनपापड़ । जेवर (आभूषण)- मुड़ म पहिरे के (माथा, जुडा, […]
संस्कार – छट्ठी (छठी), मुहू जुठारना (अन्न प्राशन संस्कार), झालर उतारना (मुंडन संस्कार), बरवा (जनेऊ संस्कार), मंगनी-जंचनी, बिहाव (विवाह संस्कार), मुह देखउनी, सधउरी (गोद भराई), काठी /लेसना/माटी देना (अंतिम संस्कार)) आगी देना (मुखाग्नि), तिज नहावन (तीसरा करना), दसनहावन (दशगात्र), तेरही (तेरहवाँ करना), बरसी (वार्षिक श्राद्ध)। विवाह संबंधी प्रक्रिया– मंगनी-जंचनी, मंगनी /सगई, चूलमाटी, मड़वा, तेल-हरदी, हरदाही, माई […]
शाकाहार व्यंजन – दार, भात, रोटी, साग, बरा, भजिया, बोबरा, अँईरसा, फरा, सौंहारी, ठेठरी, खुरमी, पेठा, रसाउर, खस्तोरी, धुसका, हथफोड्वा, पपची, देहदौरी, करी, चौसेला, चिलबोबरा, पीठा, तसमही, तिलगुजिया, बफौरी, नूनफरा, भजिया, रोट, घुचकुलिया, बासी, चटनी, अंगाकर रोटी, चिला, कोहरी, फरा, दुधफरा, मुठिया, अट्टरसा, कोढा रोटी, गुझा, कढी, पेंऊस, खुजरी, खीर, सेवड, बघारे भात, खिचरी, फरहार-कतरा, […]
उ उँकर (सं.) उकडू, पैरों के पंजों के बल बैठना। उँचान (सं.) ऊँचाई। उँटवा (सं.) ऊँट। उँटिहार (सं.) ऊँटी दे. लेकर गाड़ी के आगे-आगे चलने वाला व्यक्ति। उंडा (वि.) औधा, मुँह के बल। उकठना (क्रि.) बीती घटनाओं को सुना-सुना कर गाली-गलौज करना। उटकना (क्रि.) दे. उकठना उकेरना (क्रि.) निकालना, रस्सी आदि की बटाई खोलना। उखरू […]
आ आँकना (क्रि.) चिकित्सा के उद्देश्य से शरीर के पीडित भाग को गर्म लोहे से जलाना या दागना। आँकुस (सं.) 1. अंकुश 2. नियंत्रण। आँखी (सं.) आँख। आँच (सं.) लौ की गरमी, हल्का ताप। आँजर-पाँजर (सं.) 1. शरीर का पिंजरा, विशेषत: शरीर की नश्वरत्ता संकेतित करने के लिए प्रयुक्त शब्द। दे. “ढाँचा” 2. अंग-प्रत्यंग। आँट […]
अँइठी (वि.) गोल मुड़ी हुई, ऐंठ कर बनाई हुई, एक आभूषण। अइलहा (वि.) कुम्हलाया हुआ। अइलाना (क्रि.) कुम्हलाना। (सं.) उबाली गई तिवरा मटर, अरहर आदि की कच्ची फली। अँकरी (सं.) घास की जाति का एक अनाज जिसमेँ छोटे-छोटे गोल दाने होते हैं। अँकबार (सं.) 1. आलिंगन 2. दोनों भुजाओं के अन्दर भर जानेवाली फसल की […]