पिछले दिनों कुछ शब्दों पर आपस में बातें होती रहीं- अखरा कोतल बाहुक गेदुर अगवारिन फाता डमरुआ देवारी लमना अरमपपई फुंडहर सिलयारी तिरही
Read MoreCategory: Uncategorized
गरीबा महाकाव्य (तीसर पांत : कोदो पांत)
३. कोदो पांत अपन स्वार्थ बर सब झन जीथंय परहित बर कम प्राणी। पर के सुख बर जउन हा जीयत ते प्रणाम अधिकारी ।। विनती करों शहीद के जेमन हमला दीन अजादी । संस्कृत – साहित्य अउ समाज ला उंकरे लहू बचाइस ।। “”चलो चलो दीदी ओ आगू आओ बहिनी मन काम करे बर हम जाबो । धरती के सेवा करबो तब खाबो अउ खवाबो ।। घर बइठे मं काम बरकथय देह हलाए परथय कामिल मनसे के आए ले आलस पट ले मरथय. टोर के जांगर – गिरा पसीना झींक…
Read Moreगरीबा : महाकाव्य (दूसर पांत : धनहा पांत)
गरीबा महाकाव्य नूतन प्रसाद 2. धनहा पांत ठेलहा बइठे मं तन लुलसा-ऊपर ले बदनामी । काम करे मं समय व्यवस्थित-ऊपर मिलत प्रशंसा ।। काम के पूजा करिहंव जेकर ले होथय जग आगे । महिनत मं तन लोहा बनथय-बनन पाय नइ कामी ।। समय हा रेंगत सुरधर-सरलग, मौसम घलो पुरोथय काम ओसरी पारी पुछी धरे अस, वर्षा ऋतु-जड़काला-घाम. नेत लगा-अब पानी गिरगे, अड़बड़ कृपा करिस बरसात अपन बुता मं किसान भिड़गें, फुरसुद कहां करे बर बात! छोड़ बिस्कुटक कथा कंथली, नांगर ला सम्हरात किसान बइला मन ला मसक खवा अब, जावत…
Read Moreगरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)
गरीबा महाकाव्य नूतन प्रसाद 1. चरोटा पांत बिना कपट छल के प्रकृति ला मंय हा टेकत माथा । बुद्धिमान वैज्ञानिक मन हा गावत एकर गाथा ।। बाढ़ सूखा अउ श्रृष्टि तबाही जन्म मृत्यु मन बाना । बेर चन्द्रमा नभ पृथ्वी अंतरिक्ष सिंधु मन माला ।। बालक के हक हे दाई संग कर ले लड़ई ढिठाई । बायबियाकुल शक्तिहीन के प्रकृति करय भलाई ।। बेर करिस बूता बेरा तक, बड़बड़ाइस नइ ठेलहा बैठ बद्दी मुड़ पर कहां ले परही, बढ़ा डरिस जब करतब काम. बूता के छिन सिरा गीस अब, ब्यापत…
Read Moreमक्खी-मच्छर मारो अभियान – कबिता
(कविता-जनहित मा जारी) जौन गढ्ढा मा जनम धरिसे , ओला सपाट बनालव मक्खी-मच्छर ला मारव अउ तुम उनला दूर हकालव. मच्छर के चाबे से होथे डेंगू अउ फायलेरिया ऊंकर पेट मा घलो पनपथे चिकनगुनिया मलेरिया. इंकर बचाव करना हे तुम्हला मच्छरदानी लगालव मक्खी-मच्छर ला मारव………. मक्खी के स्पर्श से होथे पेचिस,दस्त अउ पीलिया ऊंकर पांव मा रहिथे बीमारी हैजा अउ मोती-झिरिया इंकर से बच के रहना हे तुम्हला साफ-सफाई अपनालव मक्खी-मच्छर ला मारव………. खाये-पीये के चीज मा अपन इनला झन बैठारव खोमचा,ठेला ,खुली जगह के चीज ला झन तुम खावव…
Read Moreइस अंक में खने ला न कोड़े ला, धरे ल खबोसा मंगल कामना के दिन आय अक्ती काहनी : फंदी बेंदरा मानवता के पुजारी सत्य साईं बाबा हमर छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ी राजभासा कामकाज के भासा कब बनही जरूरत हावय रामराज के किरकेट के महाकुंभ मइया पांचो रंगा सुधा वर्मा
Read Moreआडियो फाईल
भिनसारे ले हर-बोलवा मनरूख ले अलख जगावंय!झुनकी घुंघरू संग मजीराधरे खंजरी गावंय!भाग देख दरवजा आइनहर गंगा दुहरावंय!सबके मंगल अपन संग ममालिक ले गोहरावंय!अब अपन हित खातिर पर के गर म छुरी चलावत हें! बेंदरा भलुवा धरे मदारीजब गलियन म घूमय !डमरू के डम डम ल सुनके लइका पिचका झूमय!डांग* चढ़ंय डंग-चगहा* कइ ठनहुनर अपन देखावंय!गुप्ती के पैसा अउ कोठीके अन्न हर ले जावंय!बस्तरिहा ओ जरी बूटी नबैद सही अब आवत हें! गोरखनाथी गोदरिया के सारंगी जब बाजंय!काम बुता ल छोड़ के लोगनखोर गली बर भागंय!भजन भरथरी अउ गोरख के गा…
Read Moreछत्तीसगढ़ के ब्लॉगर अशोक बजाज भाई ला कोरी कोरी बधई
हिन्दी नेट जगत के हमर मयारू ब्लॉगर संगी अशोक बजाज भाई केछत्तीसगढ़ प्रदेस मसहकारिता, पर्यावरण, नसा मुक्ति अउ किसान हित बरसरलग सेवा ला देख केडॉ.रमन सरकार द्वारा उनलावेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अधक्छबनाए गे हे अउ राज्य सासन म मंत्री के दरजा दिए गे हे http://www.ashokbajaj.com हिन्दी ब्लॉग जगत अपन बीच म अशोक भाई ला पाके अड़बड़ अनंदित हेअशोक बजाज भाई ला कोरी कोरी बधई …
Read Moreलोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय व वरिष्ठ-कनिष्ट-गरिष्ठ ब्लॉगर आरंभ मा पढव : – सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’
Read More