तुंहर मन म का हे अपन अंतस ल बोल दव मोर मन के गोठ ल सुन लव अभी तो मान लव जो हे बात हांस के कही दव जिनगी के मया म रस घोल दव अभी तो बदलाव कर दव महुँ हंव किनारा म मझधार ल पार करा दव मया के गोठ हांस के बता दव… लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर
Read MoreCategory: कविता
जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे
बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे सेटर शाल ओढे हावय , घाम सबो तापत हे । किट किट दाँत करे , लइका मन काँपत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे बिहना के उठइया मनखे , जाड़ मा नइ उठत हे । चद्दर ला ओढ के…
Read Moreका होही?
बाढत नोनी के संसो म ददा के नींद भगा जाथे। कतको चतुरा रहिथे तेनो ह रिश्ता-नत्ता म ठगा जाथे। दू बीता के पेट म को जनी!! कतेक बड दाहरा खना जाथे। रात-दिन के कमई ह नी पूरय जतेक रहिथे जम्मो समा जाथे। दुब्बर बर दू असाढ करके मालिक ल घलो मजा आथे। लटपट-लटपट हमरे बर पूरथे तउनो म रोज सगा आथे। बइमान सब मउज करत हे साव मनखे ह सजा पाथे। आंखी मूंदके बैठे हे सब हंसा तभे करिया कउंवा जघा पाथे। रीझे यादव टेंगनाबासा(छुरा)
Read Moreभारत माँ के दुलौरिन बेटी
मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। तोरे कोरा मं देवी देंवता, डोंगरगढ़ बमलाई हे। राजिम मं कुलेश्वर बिराजे, भक्तिन करमा दाई हे।। :-महानदी तोर चरण पखारे…2,निरमल धारा बोहाई मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी,छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। सिहावा मं सिंगी रिषी अऊ,महानदी आंवतारी हे। रईपुर मं बंजारी बिराजे, महासमुंद खल्लारी हे।।…
Read Moreसोच समझ के देहू वोट
अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता मन. चिन्हव इँखर नियत के खोट। सोच समझ के संगी देहू वोट।-1 चारों खूँट सवारथ के अँधियार हे. लालच के हथियार तियार हे. दारु-कुकरा, धोती-लुगरा,नोट। सोच समझ के देहू वोट।-2 वोट माँगत ले नेता सिधवा हे, मरे ल मारे बर येहा गिधवा हे. मउका हे ठउका मारव चोट। सोच समझ के देहू वोट।-3 बुढ़वा रेंगव. चलव जवान. खच्चित करव तुमन मतदान. धरम-करम नइ होवय रोज। सुनव अपन हिरदे के गोठ।…
Read More“गंवई-गंगा” के गीत गवइया
गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं मितवा।। तोर बिना सुसकत हे महतारी, गांव-गली,नदिया- पुरवइया।। छत्तीसगढ़ के अनमोल रतन, माटी महतारी के करे जतन। “सोनाखान के आगी” ढिले, पूरा करे तैंहर सेवा के परन।। “चंदैनी गोंदा”कुम्हालात काबर? “गंवई – गंगा” के गीत गवइया।। छत्तीसगढ़ के सभिमान बर, धरती के गरब – गुमान बर। कलम चला निक जिनगी जीए, मनखेपन अउ सत-ईमान बर।। गीत झरे तोर…
Read Moreसुन तो भईरी
अई सुनत हस का भईरी, बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I येदे नेता मन के भासन सुनके कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I पंडरा ह करिया ल देखके, मुंहूँ ल फूलोलिस I कीथे मोर अंगना में काबर हमाये, आय हाबै चुनई त, खरतरिहा बन बड़ रुवाप दिखायेस I सिधवा कपसे बईठे रिहिस, कीथे, मिही तांव मुरख अगियानी, तुहीमन तांव ईहाँ के गियानी धानी I मंद के मरम ल में का जानव, तलुवा चाटे के काम हाबै मोर पुरानी I कोन जनी काय पाप करे रेहेंव, चारों खूंट…
Read Moreबस्ता
घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के ज्ञान के जोरन आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा रेंगाथे फूलतिस हँसी फूल अस होंठ म बस्ता के लदना होतिस कम जब रहितिस ग्रंथालय सबो स्कूल म बस्ता बस ले बाहिर जेन बोहैं तेने जानैं बोहे बर कइसे होगैं माहिर | असकरन दास जोगी
Read Moreपांच बछरिया गनपति
राजधानी म पइठ के , परभावली म बइठ के । हमर बर मया बरसाथे , हमींच ला अइंठ के । रिद्धी सिद्धी पाके , मातगे जोगी जति । ठेमना गिजगिजहा , पांच बछरिया गनपति । बड़का बुढ़हा तरिया के , करिया भुरवा बेंगवा । अनखाहा टरटरहा , देखाये सबला ठेंगवा । पुरखौती गद्दी म खुसरे खुसरे , बना लिन अपन गति । अपनेच अपन बर फुरमानुक , पांच बछरिया गनपति । लोट के , पोट के , भोग लगाये वोट के । न करम के , न धरम के ,…
Read Moreतोरे अगोरा हे लछमी दाई
होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। अंगना दुवार जम्मो लिपागे, नवा अंगरक्खा घला सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 1 अंधियारी म होवय अंजोर, दीया बारंव मैं ओरी ओर। हूम-धूप अउ आरती गा के, पईयां परत हंव मैं ह तोर, बांटव बतासा-नरियर,लाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 2 तोर बिन जग अंधियार, संग तैं त रतिहा उजियार। तोर किरपा ह होथे जब, अन-धन के भरय भन्डार। सुख-दुख म तैं सदा सहाई। तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 3 कलजुग के तहीं महरानी, तोर…
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